नमस्कार दोस्तों आज हम सम्पूर्ण मंगल ग्रह के बारे में चर्चा कर रहे है कि इसका शुभ और अशुभ प्रभाव जातक की कुंडली में किस तरह से पढता है,क्योंकि पृथ्वी पर जन्म लेते ही व्यक्ति ग्रहों से जुड़ जाता है।वही ग्रह हमें शक्तिशाली बनाता है। हमारे ज्योतिष शास्त्र में मंगल ग्रह को ग्रहों का सेनापति कहा जाता है।अपने कर्म क्षेत्र के अनुसार ही यह बलवान और कमजोर होता है। इसमें कयी सारी खूबियाँ और अवगुण भी है जैसे मंगल दोष होना भी शामिल है।सतमांगलि, आंशिक रूप से मांगलिक आदि बहुत देखा जाता है। मंगल के अशुभ प्रभाव के कारण जातक की मानसिक स्थिति गडबडा जाती है उसके अंदर कयी सारे रोगों का प्रसार होता है। बनते हुए कामों में विघ्न आने लगता है। आदी समस्याएं आती है।
आज हम जानेंगे कि मंगल ग्रह को मजबूत कैसे करें? कमजोर मंगल को मजबूत करने के उपाय कौन से है? मंगल ग्रह के दोष कौन से है? मंगल ग्रह के शुभ संकेत कौन से है? मंगल ग्रह शान्ति मंत्र कौन सा है? मंगल ग्रह के शुभ फल कौन से है? कमजोर मंगल के उपाय कौन से है? कमजोर मंगल के लक्षण कौन से है? मंगल ग्रह को कैसे खुश करें? मंगल ग्रह का दान कैसे करें? मंगल ग्रह खराब हो तो क्या करें? आदि कयी सारी विषयों पर हम बात करने वाले है। अगर आप इन सभी पहलुओं पर ध्यान देते हैं तो वास्तव में आपका जी फलीभूत होगा।
Mangal grah ko majboot karne ke upay सम्पूर्ण मंगल ग्रह अध्ययन गुण दोष, स्वभाव, लक्षण, दान एवं मंगल ग्रह को शान्त व मजबूत करने के उपाय
अक्सर हम यही सोचते है कि मंगल ग्रह वैवाहिक जीवन के लिए शुभ नहीं होता है जबकी ऐसा नहीं है। मंगल ग्रह मंगलवार का प्रतीक है और यह वार श्री हनुमान जी का विशेष वार माना जाता है। हनुमान जी सभी के जीवन में मंगल कारी बना देते है, यह जीवन में अपार खुशियाँ लेकर आते है, तरक्की के रास्ते खोल देते है। सुख समृद्धि व सफलताएं लेकर आते है बस आपको इन नियमों का पालन करना होगा आपको अपने मंगल को मजबूती देनी होगी तभी आपका भाग्य चमकेगा, क्योंकि मंगल भाग्य कारक भी माना जाता है और अनेको गुणों की खान भी बताया गया है।
मंगल ग्रह के गुण, स्वभाव एवं प्रभाव
मंगल ग्रह तृतीय एवं षष्ठ भाव का कारक माना जाता है और अलग-अलग भाव में अपना अलग-अलग गुण, प्रभाव जातक की कुंडली में डालता है। आइए जानते है इन भावों में मंगल के विशेष गुण -
1- तृतीय भाव में मंगल - छोटे भाई-बहन, सामर्थ्य पराक्रम, साहस, मित्र, यात्रा, गला कान हाथ पैर, लेख, धैर्य, वृत्ति, शारीरिक बल, नौकर, महान कार्य, दूसरों पर शासन करना, कुल की स्थिति, शौक, धन सम्पत्ति का विभाजन, दूसरों को कष्ट पहुंचाना, और विशेष बात कि इस भाव में पाप ग्रह बली होते है।
2- षष्ठ भाव में मंगल - इस भाव में मंगल शनि के साथ विराजमान रहता है जिस कारण इनके गुण प्रभाव पर इनका पूरा प्रभाव नहीं होता है। योग, विघ्न, लडाई, चोट, घाव, चोरी, चोरभय, कमर, पैर, मानसिक व्यथा, नेत्ररोग,ग अपनों से विरोध, मूत्र रोग, अति पीढा आदि।
मंगल ग्रह को मजबूत करने के उपाय
मंगल का स्वभाव ही है मंगल करना और इसमें मांस मदिरा का सेवन करना बहुत ही अशुभ कारक माना जाता है। इसीलिए आपके लिए खास उपाय लेके आ रखें जो मंगल को मजबूती प्रदान करेंगे।
1- हनुमान जी को सिंदूर, चमेली का तेल, व चोला अर्पण करें।
2- मंगल दोष पीढितों को हमेशा अपने छोटे भाई बहिन के साथ मधुर सम्बन्ध होने चाहिए।
3- नीम का पेड लगाने तथा रोज उसे रोज जल देना चाहिए।
4- कबूतरों को ज्वार खिलाने से भी मंगल को मजबूती मिलती है।
5- रोज लाल चंदन या लाल तिलक धारण करें।
6- लाल फल, अन्न, वस्त्र या धातु का दान करें।
7- हनुमान चालीसा या बजरंग बाण का पाठ करें।
8- कुत्ते को हमेशा मीठी रोठी खिलाएं।
9- गुड चना का दान करें या बन्दरों को खिलाएं।
10- मंगलवार का व्रत रखें और हनुमान जी की उपासना करें और उस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें।
12 भावों में मंगल का शुभ व अशुभ फल एवं प्रभाव
सभी ग्रह अलग-अलग भाव में अलग-अलग प्रभाव डालता हैं उसी प्रकार से हम मंगल के बारे में भी अध्ययन करेंगे कि अलग-अलग भाव में कैसा प्रभाव जातक की कुंडली में डालता है। और विस्तृत रूप से समझकर हम उसका उपाय भी बताएंगे --
1- प्रथम भाव - पहले भाव में मंगल होने से शनि उसका मित्र बन जाता है तथा 28 वर्ष के बाद जातक का भाग्योदय होता है, उसके पास धन-धान्य की वृद्धि होती है और आर्थिक संकट से दूर रहता है।
उपाय - मंगल के दिन मंलका , गुड और लाल फल हनुमान मंदिर में चढाएं।
2- द्वितीय भाव - इस भाव में व्यक्ति भाइयों में सबसे बढा होता है,और उसके पास प्रयाप्त मात्रा में धन होता है तथा उसका परिवार भी विस्तृत होता है,अऔर उसके जीवन में सुख की कमी नहीं होती है।
उपाय - लडाई झगडे से दूर रहें अपने परिवार तथा भाइयों के साथ मित्रवत व्यवहार करें।
3- तृतीय भाव - इस भाव में आपकी मेहनत ही रंग लाएगी। अगर यहाँ मंगल शुभ हो तो सूरवीर, समझदार एवं सफल व्यक्ति कहलाता है तथा अशुभ हो तो आप चाहते हुए भी खुद के अनुसार कार्य नहीं कर सकते।
उपाय - धूर्तता पूर्ण व्यवहार छोडे, स्त्रियों का सम्मान करें ।
4- चतुर्थ भाव - इस भाव का मंगल व्यक्ति को उग्र स्वभाव का , चंचल और जिद्दी प्रवृत्ति का बनाता है यानी चाहें जान चली जाये पर अपनी बात पर अडे रहना और अपने अनुसार ही कार्य करना। लेकिन इनकी खाशियत यह भी है कि ये परिवार के प्रति लगनशील, वफादार एवं जिम्मेदार माने जाते है।
उपाय - मंगल अऔर शनि की उपासना करें, अधिकतर ब्रह्मचर्य का पालन करें।
5- पञ्चम भाव- इस भाव का व्यक्ति लापरवाह प्रवृत्ति का माना जाता है,घर से दूर रहना, अपने को गरीब होते हुए भी अधिक अमीर जताना। माता पिता के प्रति भी उदास भाव रखना तथा खुद संतान भी अधिक दुखी रहना।
उपाय - पने जीवन में किसी को धोखा न दें, नशीली पदार्थों से दूर रहें तथा सबका सम्मान करें।
6- षष्ठ भाव - इस भाव का व्यक्ति संन्यासी प्रवृत्ति का होता है मोह बन्धन में नहीं पढता है। इसका जन्म भी बहुत मन्नतों के बाद होता है।
उपाय - शरीर पर स्वर्ण धारण करें।
7- सप्तम भाव - इस भाव का मंगल व्यक्ति को धर्मात्मा बनाता है। और माता पिता भी बडे दयाद्र भाव के होते है। इनके पास किसी भी प्रकार की कमी नही होती है सभी सुखों से परिपूर्ण होते है।
उपाय - नियमित रूप से हनुमान चालीसा पढते रहें और जबतक शादी न हो स्त्री से दूर रहें यानी ब्रह्मचर्य का पालन करें।
8- इस भाव के लोग व्यापार में तरक्की करते है, नये आयामों को चुनते है तथा बढे भाई की होने की सम्भावना कम रहती है।
उपाय - विधवा स्त्री का सम्मान करें तथा उसका सहयोग करे, मांस मदिरा का सेवन न करें।
9- नवम भाव - इस भाव मे शुभ मंगल राजयोग देता है, नौकरी सम्बन्धित परेशानियों को दूर करता है, लेकिन इसमे व्यक्ति नास्तिक प्रवृत्ति का होता है और दूसरों पर हुकूमत करता है।
उपाय - भाई के साथ रहने से ही लाभ मिलेगा।
10- दशम भाव - इस भाव का मंगल व्यक्ति को बलवान बनाता है चल अचल सम्पत्ति से सुख देता है। शूर जैसा जीवन जीता है। व्यापार में अधिक लाभ प्राप्त करता है।
उपाय - अपने कार्य क्षेत्र में मंदिर में सिंदूरी हनुमान जी की मूर्ति रखें ।
11- एकादश भाव - गुलामी का जीवन जीना मां बाप के घर को अन्न धन से भरना तथा चापलूसी प्रवृत्ति का होना।
उपाय - पिता के धन पर गुरूर न करें। शनिदेव की पूजा-अर्चना करें।
12- द्वादश भाव - हिंसक तथा कामुकता का प्रभाव रहना। भोग विलास वाला जीवन जीना।
उपाय - धर्म के अनुसार ही आचरण करें। बुरी संगत से बचें।
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