Friday 24 December 2021

Benifit of OM Mantra जानिए ॐ मंत्र का रहस्य उच्चारण करने के फायदे,महत्व एवं चमत्कार

 नमस्कार दोस्तों इस ब्रह्माण्ड में अलौकिक शक्तियां विचरण करती है,जो हर समय हमारे पर्यावरण में विद्यमान रहती है। समस्त ब्रह्माण्डीय शक्ति तथा लौकिक अलौकिक शक्तियां मंत्र के अन्दर विराजमान रहती है। तीन अक्षरों के संयोग से बना है अ+ऊ+म =ॐ जो ईश्वर के तीनों स्वरूपों का वर्णन करते है सृष्टि के रचनाकार ब्रह्मा, पालनहार विष्णु और संहार कर्ता शिव का ही संयुक्त रूप ध्वनि है,जिसमें तीनों देवताओं की अलौकिक शक्ति विद्यमान है। ईश्वर निराकार है और उसका प्रतिक ओम कार ॐ शब्द माना जाता है। 

को ही प्रथम ध्वनि माना गया है,क्योंकि इस सृष्टि में भौतिक संरचना से पहले केवल ध्वनि ही थी और इसे ही ब्रह्माण्ड की आवाज कहा जाता है।हमारे शास्त्रों की माने तो इस एक शब्द के जप मात्र से मनुष्य की समस्त समस्याओं का समाधान होने लगता है।इसकी शक्ति से व्यक्ति आध्यात्म से जुड जाता है जिसे समस्त भौतिक ज्ञान हो जाता है। इस ॐ मंत्र ध्वनि में अलौकिक शक्तियां है कुछ लोग अपनी मनोकामना पूर्ति हेतु मंत्रों का जप करते हैं,तो कुछ लोग आत्मीय शान्ति के लिए इस मंत्र का जाप करते है। आइए जानते है ॐ मंत्र मे क्या रहस्य छिपे हुए है।

Benifit of OM Mantra जानिए ॐ मंत्र का रहस्य उच्चारण करने के फायदे,महत्व एवं चमत्कार

ॐ को पवित्र ध्वनि ही नही बल्कि अनन्त शक्ति भी कहा जाता है,इसीलिए वैदिक व लौकिक  मंत्रों में इसका प्रयोग किया जाता है,ॐ के बिना तो सृष्टि की रचना ही नहीं की जा सकती, इसीलिए ॐ ध्वनि किसी न किसी रूप से हमारी संस्कृति, सभ्यता और प्रकृति का हिस्सा बना हुआ है।

ॐ ध्वनि का महत्व एवं महात्म /Detailed Description And Analysis

कठोपनिषद में ओंकार की महिमा का वर्णन करते हुए धर्मराज नचिकेता से कहते हैं --

सर्वे वेदा यत्पदमामनन्ति ,

तपासि सर्वाणि च यद्वदन्ति ,

यदिच्छन्तो ब्रह्मचर्य चरन्ति ,

तत्ते पदसंग्रहेण ब्रवीम्योमित्येतत् । ।

अर्थात- हे नचिकेता , सम्पूर्ण वेद जिस पद को कहते हैं , सम्पर्ण तप के फल का जिसकी उपासना के फल में अन्तर्भाव है , जिसकी इच्छा से ब्रह्मचारी ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं , वह यह ऊँ है । यही कारण है कि सभी कर्मों के आरंभ में इसका प्रयोग बतलाया गया है । इस ऊँकार के ऋषि ब्रह्मा और गायत्री छन्द हैं ।

गीता में कहा गया है--

"ओमित्येकाक्षरं ब्रह्म व्याहरन्मामनुस्मरन् ।

यः प्रयाति त्यजन्देहं स याति परमांगतिम् ।।

अर्थात--  जो पुरुष ॐ ऐसे एक अक्षर रूप ब्रह्म को उच्चारण करता हुआ और उसके अर्थस्वरूप परमात्मा का चिन्तन करता हुआ शरीर को त्याग कर जाता है , वह पुरुष परमगति को प्राप्त होता है । ऊँ अर्थात प्रणव की संरचना अ + उ + म - तीन वर्णो से हुई है । प्रणव का लेखन ऊर्ध्वशुण्ड , मध्य शुण्ड और अधः शुण्ड के रूप में चन्द्रकला एवं बिंदु के योग से पूर्ण होता है ।

ये तीन शुण्ड रूप प्रमुख भाग ही सोम , सूर्य और अग्निरूपी तीन पास ऊँ में विराजमान हैं --

सोम सूर्याग्नि रूपास्तु तिस्त्रो मात्रा प्रतिष्ठिताः ।

प्रणवे स्थूल रूपेण याभिर्विश्वं व्यवस्थितम् । ।

तंत्रशास्त्र के अनुसार --

सोम की एक सौ छत्तीस , 

सूर्य की एक सौ सोलह ,

अग्नि की एक सौ आठ मात्राएँ होती हैं । 

इनका योग तीन सौ साठ है । 

ये एक वर्ष के दिवसों का बोध कराती हैं । ओंकार को सारे मंत्रों का सेतु बताया गया है ( मत्राणां प्रणवः सतु ) इसलिए मनोवाञ्छित फल की प्राप्ति के लिए प्रत्येक मंत्र का ओ३म् के साथ उच्चारण किया जाता है ।

सिक्ख सम्प्रदाय में भी ऊँकार को ईश्वर का प्रतीक माना गया है ।

गुरु नानक देव ने सिक्ख धर्म का जो मूल मंत्र बनाया था उसमें वे कहते हैं--

" एक ओंकार , सतिनामु करता पुरखु निरभउ , निरवैरु , अकाल मूरति अजूनी सैभं , गुर प्रसादि । ।

इसका अर्थ है - वह परमेश्वर एक है जिसका सत्य नाम ओंकार है अथवा ओंकार ही सतनाम ईश्वर का है । वह सृष्टिकर्ता तीनों कालों - भूत , भविष्य , वर्तमान में है । अपने आप होने वाला , भय रहित और बैर रहित है । जो अजन्मा और अमर है , उसकी उपलब्धि गुरु की कृपा से ही संभव है ।

ऊँ सच्चिदानन्द घन परमात्मा के स्वरूप को व्यक्त करने के साथ नाद ब्रह्म का भी सुचक है । भारतीय मनीषियों की मान्यता के अनुसार समस्त सृष्टि इसी नाद से ही संचालित हो रही है । प्रसिद्ध वैज्ञानिक आईस्टीन ने भी इसे एक संभावना के रूप में स्वीकार किया है कि इस विराट ब्रह्माण्ड का परिचालन ध्वनि के आधार पर हो रहा है ।

ॐ मंत्र ध्वनि उच्चारण के रहस्य, चमत्कार एवं फायदे secret & benifit of om mantra 

● ॐ के पहले वर्ण उच्चारण करने से शरीर में कंपन शुरू होता है जिससे रीड की हड्डी प्रभावित होती है और उसको दिव्य बल व शक्ति मिलती है।

● ॐ मंत्र ध्वनि को बीज मंत्र भी कहा जाता है,बीज मंत्र वह शक्ति है जिससे हर मंत्रों की शुरूआत होती है। 

● ॐ मंत्र ध्वनि का नित्य ध्यान करने से सोचने का स्तर बढ जाता है जो हमारे मन को ब्रह्माण्ड की अलौकिक शक्तियों के साथ विचरण कराती है। और हमारा आत्म ज्ञान मजबूत होता है

● ॐ मंत्र ध्वनि का उच्चारण स्वास्थ्य वर्धक तथा आरोग्य वर्धक माना गया है।

● ॐमंत्र ध्वनि के उच्चारण से हम पर्यावरण से ही सबकुछ प्राप्त कर सकते हैं हवा,पानी, भोजन, गर्मी आदि।

● ॐ मंत्र ध्वनि के उच्चारण से घबराहट, कमजोरी दूर होती है और दुनिया की हर वस्तु पर यकीन होने लगता है।

● ॐ मंत्र ध्वनि के उच्चारण से से कयी रोगों से बचा जा सकता है-थायराॅइड, सूगर,रक्त सम्बन्धित विकार,  मानसिक तनाव व विकार आदि।

● ॐ मंत्र ध्वनि के उच्चारण से से मन की पवित्रता, ताजगी, तंदुरुस्त, ऊर्जावान और उत्साही बना जा सकता है और अपने अन्दर के आलस्य को मार सकता है।

● ॐ मंत्र ध्वनि के उच्चारण से से  व्यक्ति की श्वसन तंत्र क्रिया, थकान, बेचैनी तथा मानसिक तनाव पर काबू पा सकता है।

● ॐ मंत्र ध्वनि के उच्चारण से व्यक्ति के मस्तिष्क के अंदर एकाग्रता बढती है,जिससे सुसुप्त अवस्था में गया हुआ ज्ञान भी जागृत अवस्था में आ जाता है।

● इस ॐमंत्र ध्वनि के प्रभाव से व्यक्ति का ब्लड सर्कुलेशन नियंत्रित होता है,जो रोगों से लडने में छमता बढाता है। 

● ॐ मंत्र ध्वनि का उच्चारण अगर व्यक्ति पूरी तन्मयता के साथ करे तो उसके शरीर में अःक स्पंदन (झंझनाहट) होने लगता है जिससे उसके रोम छिद्र खुल जाते है और उसके सभी कष्ट बाहर आ जाते है।

● ॐ मंत्र ध्वनि में (म) वर्ण का लम्बा उच्चारण शरीर के आंतरिक शक्ति को बढाता है,पीडानाशक उत्पादन का काम करता है जो उसके सभी कष्टों का निवारण करता है।

● ॐ मंत्र ध्वनि के नित्य उच्चारण से हम अपने मन - इच्छाओं पर काबू पा सकते है। 

● ॐ मंत्र ध्वनि के उच्चारण से बुद्धि, धैर्य, पराक्रम, सामाजिक समरसता, मेल-जोल, सद्भाव, सहचर्या, परोपकार, तत्परता बढती है।

● ॐ मंत्र ध्वनि के प्रभाव से स्व आत्मीय ज्ञान में वृद्धि होती है और व्यक्ति अपने आप को जानने लगता है।

● ॐ मंत्र ध्वनि से घर,परिवार, आत्मा तथा शरीर में चारों तरफ सकारात्मक ऊर्जा रहती है नकारात्मकता स्वतः ही दूर हो जाती है और बुद्धि को अच्छे संकेत मिलते है।

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