Saturday 29 January 2022

Kalsarp Dosh जानिए क्या है कालसर्पयोग उसके 12 प्रकार एवं सम्पूर्ण जानकारी पहचान एवं निदान

जय श्री कृष्ण दोस्तों आज हम कालसर्प योग का नाम सुनते ही मन में एक अजीब सा डर बैठ जाता है। इस दोष से पीड़‍ित जातक जीवन में कई प्रकार के उतार-चढ़ाव देखता है। जातक महत्वाकांक्षी होते हुए भी पूर्ण सफलता से वंचित रह जाता है। यदि आप कालसर्प योग से पीड़‍ि‍त हैं तो नागपंचमी सर्वश्रेष्ठ दिन है जो इस पीड़ा से आपको मुक्त कर सकता है। अनेक विद्वानों ने अपने मतों के अनुसार इसके उपाय बतलाए हैं।

Kalsarp Dosh जानिए क्या है कालसर्पयोग उसके 12 प्रकार एवं सम्पूर्ण जानकारी पहचान एवं निदान

ज्योतिष शास्त्र में लगभग 1000 योग प्रसिद्ध है। जिनमें (कालसर्पयोग) को अत्यंत खराब एवं खतरनाक माना गया है, क्योंकि यह योग काल यमराज पितृ देवताओं में से एक और सर्प सापों के देवता के रूष्ट हो जाने पर अत्यंत दोष दर्शाता है। जिस वंश के पूर्वज लोग अपने पितरों का श्राद्धादि कर्म सही प्रकार से शान्ति नहीं करते तो यह दोष जातक की कुंडली में स्पष्ट दिखाई देता है। 

जैसे जन्म लेने वाले प्रत्येक के जन्म के साथ मृत्यु सुनिश्चित हैउसी प्रकार प्रत्येक जीवन में सर्प का भी महत्व है। क्योंकि ब्रह्मा, विष्णु, शिव ने इन्हे अपनाकर एक विशिष्ट दर्जा प्रदान किया। 

कालसर्प योग का स्वरूप क्या है - What is Kalsarpa Yoga

ज्योतिष शास्त्र में राहु और केतु को नाग के स्वरूप में माना गया है। इनमें से राहु-काल और केतु-सर्प। अतः राहु केतु के कारण बनने वाले योग को कालसर्प योग कहते है। सामान्यतः सारे ग्रह राहु-केतु के बीच कैद हो जाये तो ऐसी स्थिति को कालसर्प योग कहते है। केतु जिस भाव में बैठता है उस राशि, उसके भावेश, केतु पर दृष्टिपात करने वाले ग्रह के प्रभाव में क्रिया करता है, जिसका सामान्य अर्थ है काल, यानि मृत्यु और सर्प, यानी सांप से है। 

कुंडली में कालसर्प योग के प्रभाव से व्यक्ति को मानसिक कष्ट सहना पड़ता है। इसके साथ ही कई तरह की परेशानियां जातकों को सहना पड़ता है। आर्थिक मंदी,सुखों में कमीं, मन विचलित रहना,किसी भी कार्य का न बनना,किन्तु यह योग हमेशा कष्ट कारक नहीं होते, कभी-कभी यह अनुकूल फल देते हैं और व्यक्ति को विश्वस्तर पर प्रसिद्ध बनाते है।

कालसर्प योग के लक्षण 

हमारे धार्मिक ग्रन्थों में कालसर्प-योग के 12 प्रकार बताए है और जो कुण्डली में 12 भावों पर राज करते है ,इन 12 भावों में कालसर्प योग इस प्रकार से है ---

कुण्डली भाव /कालसर्पयोग नाम
प्रथम              राहु-अनन्त
द्वितीय            कुलिक
तृतीय             वासुकी
चतुर्थ              शंखपाल
पञ्चम्            पद्म्
षष्ठ                 महापद्म्
सप्तम्             तक्षक्
अष्टम्             कर्कोटक
नवम्              शंखचूड
दशम्              घातक/पातक
एकादश          विषधर/विषाक्त
द्वादश             शेष/शेषनाग

कालसर्पयोग का सामान्य प्रभाव -- 

सन्तान प्राप्ति में अवरोध , गृहस्थ जीवन में प्रतिक्षण कलह , धन प्राप्ति में बाधा , मानसिक अशान्ति , विद्या प्राप्ति एवं भाग्योदय में बाधा , वात - पित - कफ त्रिदोषजन्य रोग , विद्या प्राप्त कर लें भी तो प्राप्त विद्या का उपयोग न होना , जीवन भर संघर्ष , संकटों की धारा चलना , रिश्तेदारों से व्यर्थ का विरोध , लोगों में गलतफहमी , दोस्तों द्वारा विश्वासघात , भूत - प्रेतादि का बाधा , तान्त्रिक प्रयोग , मिथ्या अभियोग में फंसकर जेल यात्रा , वैवाहिक सुखाभाव , व्यर्थ की कोर्ट - कचहरी में खर्चा , कर्ज का लगातार बढ़ना , घर में बरकत नहीं , वास्तुदोष वाले घर में रहना पड़ता है , स्वपरिवार के लोगों का वरताव अच्छा नहीं रहना , संतान के विवाह में देरी , परिवार के प्रिय / प्रमुख व्यक्ति का वियोग , घर के किसी व्यक्ति का अकारण घर का छोड़ना तथा उसका वर्षो तक पता न चलना , परिवार के किसी व्यक्ति का दुर्घटना / अपघात / आत्महत्या में मृत्यु होना , स्वयं दूसरों के काम में आगे किन्तु स्वयं की सहायता कोई न करे , धन्धे में दिवाला होना इत्यादि । 

प्रत्येक कालसर्प योग का संक्षिप्त फलादेश 

१- अनन्त कालसर्पयोग--   ऐसे जातक को व्यक्तित्व निर्माण करने एवं आगे बढ़ने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता है । गृहस्थ जीवन विगड़ा हुआ एवं अशान्तिपूर्ण होगा । वैवाहिक जीवन अंसतोषजनक रहता है । स्वपरिवारजनों से नुकसान झेलना पड़ता है । मानसिक अशान्ति एवं रोजी - रोटी के लिए परेशान रहना पड़ता है । एक के बाद एक अनन्त मुसीबतें आती रहेगी इत्यादि । 

२-  कुलिक कालसर्पयोग-   धन के कारण जीवन में संघर्ष रहेगा । धन सम्पति के कारण अपयश , परेशानियां एवं खर्च की अधिकता बनी रहती है । स्वास्थ्य में नरमा - गरमी बनी रहती है । दिमाग गरम रहता है । यह योग अत्यन्त पीड़ादायक है । चिड़चिड़ापन स्वभाव में रहता है । कुलीन धनी परिवार के होते हुए भी कंगाल रहेगा । 

३- वासुकी कालसर्पयोग-   स्वकुटम्ब एवं भाई - बहिनों की ओर से परेशानी रहती है । मित्रों से धोखा , नौकरी - धन्धे में उलझनें , भाग्य का पूर्ण सुख नहीं । धन कमाता है पर साथ में बदनामी भी । स्वजनों के कारण मुसीबतें झेलनी पड़ती हैं । किसी भी प्रकार के काम से यश नहीं मिलता । 

४- शंखपाल कालसर्प योग-   इस योग के कारण सर्व सुख में बाधा । माता , वाहन , नौकर - चाकर को लेकर परेशानी रहेगी और इनसे अनावश्यक लड़ाई - झगड़े होंगे । पिता या पति की और से कष्ट एवं वैमनस्य रहेगा । व्यापार - व्यवसाय में नुकसान झेलना होगा । अपनों से विश्वासघात होगा । दिमागी परेशानी एवं तनाव सदा रहेगा । सुख के लिए किये गये सभी प्रयास निरर्थक होगा , निरन्तर बाधा व संघर्ष करती रहनी पड़ेगी । 

५- पद्म कालसर्प योग--   इस योग वाले व्यक्ति को विद्या अध्ययन एवं सन्तान प्राप्ति में रुकावट आती है । विशेषतः पुत्र प्राप्ति की चिन्ता रहेगी । गुप्त शत्रु बहुत होते हैं । परिवार में अपयश एवं जीवनसाथी द्वारा विश्वासघात होगा । लाभ प्राप्ति में रुकावट अथक प्रयास भी विफल होगा । जिस कार्य में हाथ डालें उसमें असफलता ही होगी । 

६- महापद्म कालसर्प योग-   इस योग के कारण व्यक्ति रोगी बना रहता है । जातक का चरित्र संदेहास्पद रहता है । प्रेम प्रणय विफल होगें । सफल भी हो जायें तो टिकेगी नहीं , तलाक / मृत्यु जरुर होगा । आत्मबल कमजोर रहता है , अतः निराशावादी रहेगा । यात्रायें बहुत करने पर भी सफलता नहीं मिलेगी । कार्य में स्थिरता का अभाव रहेगा । गुप्त शत्रु अनेक होगें । जीवन कष्टमय रहेगा । 

७- तक्षक कालसर्प योग-   जातक का वैवाहिक जीवन तनावपूर्ण रहेगा । जीवनसाथी से बिछोह , प्रेम प्रंसग में असफलता मिलेगी । बनते कार्य बिगड़ेंगे । बड़े पदों की प्राप्ति से वंचित रहेगा । गुप्त प्रसंग एवं भागीदारों से धोखा ही होगा । मानसिक अशान्ति कभी भी दूर नहीं होगी । 

८- कर्कोटक कालसर्प योग-   इस जातक को अल्पायु और दुर्घटना से भय रहेगा । स्वास्थ्य की चिन्ता बनी रहेगी । बात - बात पर धनहानि तथा उधार दिया हुआ धन डूबेगा । वाणी अनियंत्रित एवं दूषित रहेगी । परिश्रम के अनुसार फल नहीं मिलेगा । अपनों में अपयश और इष्टजनों में मानहानि मिलेगी । 

९- शंखनाद / शंखचूड़ कालसर्पयोग-    इस जातक का भाग्योदय में परेशानी एवं नौकरी की प्राप्ति व आगे बढ़ने में रुकावटें होगी । मित्रों द्वारा कपट व्यवहार , व्यापार में घाटा , सरकारी कामकाज एवं नौकरी आदि से च्युति होगी । अदालत से दण्डित होगा । भाग्योदय के लिए सभी प्रयत्न विफल होंगे । बहनोई एवं मामा पक्ष से धोखा होगा । 

१०- पातक / घातक कालसर्पयोग-   इसके कारण व्यापार में घाटा , भागीदारी में | मन - मुटाव , सरकारी संबध खटाई में पड़ना । सुख के सभी प्रयास व्यर्थ होगा । परिवार में सदा | कलह होगा । निरन्तर चिन्ता एवं परेशानी सतायेगीं । व्यवसायिक एवं गृहस्थ जीवन कष्टमय होगा । पैतृक सम्पति की प्राप्ति में अवरोध एवं पिता से अमृदु संबंध रहेगा । 

११- विषधर ( विषाक्त ) कालसर्पयोग -     इस योग में जन्मे जातक को ज्ञानार्जन में | दुविधा होगी । उच्च शिक्षा में बाधा , स्मरण शक्ति का ह्यस होगा । दादा - दादी एवं नाना - नानी से पूर्ण सहयोग की संभावना रहते हुए भी हानि ही होगी । चाचा एवं चचेरे भाइयों से झगड़े होगे । सन्तान सदा बीमार रहेगी । लाभ में बाधा के कारण व्यक्ति चिन्तातुर रहेगा । धन निमितक बदनामी प्राप्त होगी ।

१२- शेषनाग कालसर्पयोग -   इस योग के कारण जन्म स्थान से देश से दूर रहना पड़ेगा । नेत्र पीड़ा , जीवन संघर्षशील , अनिद्रा एवं रहस्यमय ढंग से जीवन व्यतीत होगा । मृत्यु के पश्चात ख्याती मिलेगी । निराशावादी होगा । मनचाहा काम या तो कभी पूरा नही होगा , यदि होता है तो भी अत्यन्त विलम्ब से होगा । मानसिक उद्विघ्नता के कारण दिल और दिमाग परेशान रहता 

उपाय- इसकी शान्ति का उपाय प्रभाव के अनुसार अनेक है । कुछ नीचे प्रदर्शित है । 

१. नागपंचमी व्रत 

२. विषनिर्मलीकरण मंत्र जप 

३. कालसर्पविमाक्षक तांत्रिक मंत्र 

४. अमृतक्षीरिणीशाबर मंत्र 

५. नवनाग स्त्रोत 

६. नान्दीश्राद्ध पूर्वक नवनागपूजन विशिष्ट कालसर्प शान्ति होम इत्यादि ।

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