Thursday 17 March 2022

Garud Puran Falsruti सम्पूर्ण गरूड पुराण का सार निष्कर्ष एवं फलश्रुति का महत्व जाने कौन है बेटा कहलाने का अधिकारी

जय श्री कृष्ण दोस्तों हमारे पुराणों  गरूड पुराण की बहुत उपयोगिता और महत्व बताया गया है। गरूड पुराण में पूर्व जन्म और मरने के बाद का कर्मों के अनुसार कैसी गति प्राणी को प्राप्त होती है, क्या क्या यातनाएं प्राणी को दी जाती है यह सब गरूड पुराण में बताया गया है। हिंदू धर्म में कर्म को प्रधानता दी गई है,हमारे कर्म ही आगे का मार्ग प्रशस्त करते है, इसलिए कहा गया है कि कर्म से ही मनुष्य पुत्र कहलाने का अधिकारी होता है,और जो भी पुत्र धर्म का पालन नहीं करता है वह बेटा कहलाने का अधिकारी नहीं होता है।गरूड पुराण के फलश्रुति में सम्पूर्ण गरूड पुराण का सार निष्कर्ष बताया गया है और इस गरुड़ पुराण के फलश्रुति अध्याय में बताया गया है कि पुत्र कहलाने का अधिकारी वही है जो पिता को मुक्ति दिलाने के कर्तव्य का पालन करता है।जो पित्र ऋण को चुकाता है इसके लिए चार कर्म बताए गए हैं। जिसमें श्राद्ध और दान को महत्व दिया गया है।

Garud Puran Falsruti सम्पूर्ण गरूड पुराण का सार निष्कर्ष एवं फलश्रुति का महत्व जाने कौन है बेटा कहलाने का अधिकारी

दोस्तों हमारे सनातन हिन्दू धर्म में मृत्यु के बाद गरुड़ पुराण के श्रवण का प्रावधान है।जिससे व्यक्ति भय युक्त होकर अपने पितरों की शान्ति व तृप्ति हेतु कर्म करता है। इस पुराण के अधिष्ठातृ देव भगवान विष्णु हैं। इस पुराण के आखिरी में फलश्रुति में मानव व अन्य प्राणियों के निमित्त अनेकों नियम व कर्म बताए गये है कि किस तरह प्राणी पाप कर्म से बच सकता है, इसमें भक्ति, ज्ञान, वैराग्य, सदाचार, निष्काम कर्म की महिमा के साथ यज्ञ, दान, तप तीर्थ आदि शुभ कर्मों में सर्व साधारण को प्रवृत्त करने के लिये अनेक लौकिक और पारलौकिक फलों का वर्णन किया गया है। आइए जानते है क्या संदेश छिपा है गरूड पुराण की फलश्रुति में।

गरूड पुराण - फल - श्रुति 

श्रीभगवान् बोले – हे गरुड़ ! जो भी मृत्यु के दस दिन के अन्दर गरुड़ पुराण सुनते हैं , वे सब पापों से मुक्त हो जाते हैं ॥ पितरों को मुक्ति देनेवाला , पुत्र को मनोवांछित फल देनेवाला , परलोक तथा इस लोक में सुखदायक है || जो नास्तिक , नराधम पितृकर्म को नहीं करते उनका दिया पानी पीने योग्य नहीं होता , क्योंकि वह मदिरा के तुल्य है || देवता तथा पितर उसके घर को नहीं देखते , उनके कोप से पुत्र - पौत्र दुर्गति को प्राप्त होते हैं || ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य , शूद्र या अन्य जो प्रेतक्रिया नहीं करते उनको चाण्डाल के समान जानना चाहिए ||प्रेतकल्प को जो सुनाता या सुनता है , वे दोनों पाप से मुक्त हो दुर्गति को नहीं प्राप्त होते ॥

जो माता - पिता के मृत होने पर गरुड़ पुराण सुनता है , उसके माता - पिता मोक्ष प्राप्त करते हैं और वह पुत्र सन्ततिवाला होता है || जिसने न गरुड़पुराण , न गयाश्राद्ध , न वृषोत्सर्ग , न मासिक - वार्षिक श्राद्ध किया || उसको पुत्र कैसे कहा जायेगा ? वह तीन ऋण से कैसे मुक्त होगा ? अपने माता - पिता के तारण में कैसे समर्थ होगा ? || इसलिये सब प्रयत्न से गरुड़पुराण सुनने से धर्म , अर्थ , काम तथा मोक्ष प्राप्त होता है और सब दुःख नष्ट हो जाते हैं ।पुण्यकारक , पवित्र करनेवाला , पापनाशक यह गरुड़पुराण सुननेवालों की इच्छा को परिपूर्ण करनेवाला है || इसके सुनने मात्र से ब्राह्मण विद्या का ज्ञाता , क्षत्रिय जमींदार , वैश्य धनी , शूद्र पातक से पवित्र हो जाता है || सुनने के बाद गरुड़पुराण करनेवाले को शय्यादान आदि दे , अन्यथा सुनने का फल नहीं होता।।

पहले पुराण की पूजाकर वस्त्र , अलंकार , गोदान , दक्षिणा आदि से सादर वाचक की पूजा करे || पुण्य की इच्छा हो तो अन्नदान , सुवर्णदान , भूमिदान दे । भक्ति से पाठ करनेवाले की पूजा करे ॥ कथा कहनेवाले की पूजा करने मात्र से निःसन्देह मेरी पूजा होती है । उसके सन्तुष्ट होने से नि : संदेह मैं सन्तुष्ट होता हूँ ॥

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