Saturday 14 May 2022

Poem on girls बेटी पर कविता/थोडा जिद्दी मगर मासूम सी होती है बेटियाँ

Poem on girls बेटी पर कविता/थोडा जिद्दी मगर मासूम सी होती है बेटियाँ
Beti par kavita

थोडा जिद्दी मगर मासूम सी होती है बेटियाँ,
ना चाहते हुए भी क्यों हो जाती है बेटियाँ ।
घर की लक्ष्मी व दिशा खोल जाती है बेटियाँ, 
पिता के सपनों को मुकम्मल करती है बेटियाँ ।
पराया धन कहकर हर पल रिझाती है बेटियाँ, 
फिर भी कितने ही रिश्तों को सजाती है बेटियाँ ।
थोड़ी जिद्दी ----------------- जाती है बेटियाँ ।
पापा की परी और भैय्या की दुलारी है बेटियाँ ।
फिर भी क्यों किस्मत की मारी है ये बेटियाँ ।
थोडी जिद्दी मगर संस्कारी होती है बेटियाँ ।
अपनों का दुख जो महसूस करती है बेटियाँ ।
बूढ़े माँ-बाप का सहारा होती है बेटियाँ ।
सभी के सपनों में उडान भरती है बेटियाँ ।
थोडी जिद्दी -------------------जाती है बेटियाँ ।
घर के आंगन की चहल-पहल होती है बेटियाँ ।
दो घरों की नींव संस्कारों की जननी है बेटियाँ ।
कितनी ही बुराईयों को मिटा देती है बेटियाँ ।
कितने ही अंतर्मन की पीड़ा की दवा है बेटियाँ ।
ममता और मर्यादा की मूरत है बेटियाँ ।
कश्मकश जीवन से जूझती संजीवनी है बेटियाँ ।
थोडी जिद्दी --------------------जाती है बेटियाँ ।

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