Saturday 21 May 2022

Nasha mukti par kavita नशा तेरी जिंदगी का जहर बन गया/ नशा मुक्ति पर कविता

Nasha mukti par kavita नशा तेरी जिंदगी का जहर बन गया/ नशा मुक्ति पर कविता
Nasha mukti

नशा तेरी जिंदगी का जहर बन गया है,
इसीलिए तो आज तेरे अपने रो रहे हैं। 
मेरे देश को ये अब क्या हो गया है,
मेरा अपना भाई जो नशे में सो रहा है  ।
आरती पुकारती पुकारती मां भारती ।
मेरा अपना लाल ये नशे में खो रहा है ।
माँ की ममता पिता का दुलार यूँ ,
हो गया है आज क्यूँ नशे से तुझे प्यार ।
नशा तेरी ------------------------रो रहे है ।।
पैंसों की खातिर जिसने ये जहर बनाया है ,
घर बसाके खुद का उसने गैरों का उजाड़ा है ।
झुक गये पिता के कंधे,उमर ढल चुकी है अब ।
सम्भाल पाए कैसे खुद को,बेटा नशे में चूर है ।
मां की ममता रो रही है बहन को दुलार दे ।
पत्नी बच्चे रूठ गये है तेरे इस व्यवहार से ।
नशा तेरी ------------------------रो रहे है ।।
देश के अमीरों ने है कायम मिसाल आज की ।
खुद को ज्ञानि कहते और नशे का ज्ञान देते है ।
बच्चों की पढाई सपने टूटे-बिखरे दिखते है ।
पत्नी के अरमान हाॅसले परास्त हो गये ।
नशे की इस लत ने तुझे लात मारी कैसी है ।
बिखर गया परिवार तू कैसे भिखारी बन गया ।
नशा तेरी ------------------------रो रहे है ।।
कयी हार - वार इस नशे ने दिया तुझको है ।
छोड ये नशा अब तो जीतने की बारी है ।
लरजते ओंठ अपनों के सपने अभी बाकी है ।
खिल उठे वो फिर जिसने सितम तुझसे खाये है
क्यूँ नशे में आदमी इतना मगरूर हो गया ।
न दे सका तवज्जु खुद की
इन्सानियत वो भूलता ।
नशा तेरी ------------------ रो रहे है ।

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