जय श्री राधे दोस्तों हमारे हिन्दू धर्म में संस्कारों का विशेष महत्व है क्योंकि इसी से समाज में हमारी गरिमा तथा पहचान बनाती है। संस्कार ही मनुष्य को आचरणवान और चरित्रवान बनाते है। संस्कार मनुष्य जीवन को परिष्कार एवं शुद्धि प्रदान करते है तथा हमारी विशेष पहचान के साथ मनुष्य को पवित्रता प्रदान करके व्यक्तित्व को निखारती है। संस्कार मनुष्यों को सामाजिक एवं आध्यात्मिक रूप से आदर्शवान नागरिक बनाने में सहयोग करते है। किन्तु धीरे-धीरे हमारे आचरण से संस्कारों की बली दी जा रही है --
Pre Wedding Photoshoot प्री वेडिंग यानी संस्कारों की बली
दोस्तों बडा दुख होता है जब मैं अपने आखों के सामने अपनी संस्कृति को लुप्त होते हुए देखता हू। दुख ये नहीं लोग अपनी ही संस्कृति को शर्मसार करने में लगे है। बल्कि दुख इस बात का है कि मैं अपने धर्म और संस्कृति को बचाने में असफल हो रहा हूँ। क्योंकि आज प्रचलन हो चुका है,प्री वेडिंग फोटोसूट का यानी शादी से पहले ही लडकी और लडक अपने परिवार की सहमति से फोटोग्राफी की साथ कयी दिनों तक घर से दूर रहना। यह प्रचलन दर्शाता है कि हम आज पाश्चात्य संस्कृति के गुलाम बन चुके है। हम अपनी मर्यादाओं तथा पूर्वजों के द्वारा बनाए गयें संस्कारों का हनन कर रहें है।
इसीलिए आज के लोगों की मानसिकता इतनी विकीर्ण हो चुकी है कि उसका अपना ही खून खुद को महफूज नहीं समझता। क्या यह वही देश है जहाँ सोलह संस्कारों के साथ जीवन की समाप्ति होती थी। उन संस्कारों में अटूट विश्वास तथा शक्ति होती थी जो एक दूसरे के दुखों को समाप्त करता था। आज परिवार विखर इस लिए रहे है क्योंकि आपने अपना अस्तित्व तथा ईमान कसाई के हाथों बेच दिया है। झूठी शानो-शौकत के लिए अपना जमीर तक बेच देते है। और गौर फरमाए साहब ये सब सामान्य लोग नहीं बल्कि अच्छे पढे लिखे लोग कर रहे है,क्योंकि उन्हें घर और अय्यासखानों में कोई अंतर नहीं दिखता,उन्हें अंतर दिखता है तो केवल खुद के जमीर से और अपनी माँ से ।
पहले शादी को त्यौहार के रूप में मनाया जाता था क्योंकि तब ये भावना थी कि जोडियाँ ऊपर से बनकर आती है। लेकिन जनाब ये भारत आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और खुद की आजादी नीलाम कर रहा है। इस भारत माता ने अपनो से ही कयी जख्मों को सहा है,और आजकल ताजा ताज घाव दिया है। Pre Wedding प्री वेडिंग जो रिश्तों की डोर को मजबत नहीं बल्कि मजबूर कर रही है। और शर्म की बात तो ये है जनाब कि खुद मां बात बालकों से रिक्वेस्ट कर रहे है ऐसा करने पर, पहले तो लोग शादी के बाद अपने जीवन की शुरुआत करने के लिए भ्रमण पर जाते थे लेकिन अब हमारा भारत भी एडवांस हो चुका है। शादि से पहले ही कपल्स कयी दिनों तक घर से बाहर घूमने जाते है और अर्ध नग्न वस्त्रों में तथा आंतरिक आलिंगन करते हुए फोटो खींचकर सहेजते है।
दोस्तों फिर अपनी खुद की इज्जत को समाज के सामने नीलाम किया जाता है। शादी समारोह में बडी स्क्रीन लगा किया जाता है। फिर वही सगे सम्बन्धी रिश्तेदार जो पहले दुल्हा-दुल्हन को आशीर्वाद देने आते थे उनका भी भाव बदल जाता है वे भी अब उन अर्ध नगन वस्त्रों में खींची गयी फोटो तथा वीडियो की वाही-वाही लूटते है,और वीडियो का आनंद लेते हैं जी हां उसी विडियो में किसी की वो बेटी,बहू,बहिन आदि होती है लेकिन चलेगा क्योंकि संस्कृति और संस्कार नहीं बल्कि ऐय्याशी धर्म का पालन करना है।
नोट 👉 दोस्तों यह लेखक अरूण सेमवाल के अपने विचार है यह किसी व्यक्ति विशेष से नहीं है किन्तु यह आपके लिए ही है कृपया कुछ पल के दिखावे के लिए अपनी बेटी बहू,संस्कृति,संस्कार को नीलाम न होने दें बाकी आप समझदार है।
🙏जय श्रीकृष्ण 🙏 🙏राधे - राधे🙏
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