Friday 17 June 2022

Khamoshi Par Kavita तुम कहो तो सही / खमोशी पर कविता-शायरी

Khamoshi Par Kavita तुम कहो तो सही / खमोशी पर कविता-शायरी

तुम कहो तो सही !
क्यों खामोश होकर समा बांध रही हो ।
मानों प्रकृति में सबकुछ स्तब्ध हो गये है।
नदी, झरने, बाग-बगीचे मानो,
किसी असहाय वेदना से जूझ रहे है।
पक्षियों की चहचहाट मानों थम सी गयी है ।
आज जुगल हंसों के प्रेम में अनुराग भर गया हो ।
तुम्हारी खामोशी से बसंत भी पतझड़ लगता है ।
तुम कहो तो सही !
क्यों वेदना हृदय की तुम समझ नहीं पाती हो।
तुम्हारी मुस्कान हजारों दर्द भुला देती है ।
तुम्हारे गूंजने से शमा रौशन हो जाता है।
प्रकृति में मानों सुरों का वेग बडता है।
मेरे मन के छंद तुम्हारे हृदय को स्पर्श करता है।
तुम्हारे कहने से सभी शिकवे - गिले दूर होते है।
तुम कहो तो सही !
तुम्हारी खामोशी मन कयी सवाल खडे करती है ।
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