Saturday 4 June 2022

Poem on kalam ki takat मेरी कलम की ताकत पर कविता

Poem on kalam ki takat मेरी कलम की ताकत पर कविता
kalam ki takat
 

✍ताकत कलम की✍

है ताकत कलम में इतनी मेरी,

लिख सकता हूँ इतिहास नया ।

भर सकता हूँ हुंकार रगों में उनकी,

जो भूल चुके आजादी अपनी ।।

                    है सरस्वती की कृपा मुझमें, 

                    मैं उसको नया अभिसार दूं ।

                    जो खो रहें है सम्मान भारत का,

                    उन सब का पर्दाफाश करूँ ।।

मैं लिखूं कलम से ऐसा की,

हर रगों में ज्ञान की ज्योति जले ।

जो भूल गये पढना-लिखना,

उनमें मै आखर ज्ञान भरूँ ।।

              ना लिखूं मै अमीरों की दास्ताँ को, 

               ना नेता ना सरकार लिखूं ।।

                मैं लिखूं तो उमंग जगे उनमें, 

                जो भूल चुके आगे बडना ।।

ना धर्म ना भ्रष्टाचार लिखूं मैं, 

ना एक्टर्स ना फिल्म स्टार लिखूं ।

मैं लिखूं दर्द उस माता का,

जिसका बेटा घर छोड चला ।।

                  मैं लिखूं दर्द उन घर-परिवारों का,

                 जो लाल अपना खो चुके,

                  इस भारत मां की रक्षा के खातिर,

                 लिपट तिरंगे से जब घर आया ।।

मैं लिखूं दर्द इस धरती का,

जिसने असंख्य घाव सहे ।

अपनों ने दगा किया इससे,

फिर भी ना हिम्मत हारी ये मां ।।

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