Monday 10 October 2022

Study of seventh house in a woman's horoscope स्त्री की जन्मकुण्डली में सप्तम भाव में नवग्रहों का सम्पूर्ण परिचय

Study of seventh house in a woman's horoscope स्त्री की जन्मकुण्डली में सप्तम भाव में नवग्रहों का सम्पूर्ण परिचय 

दोस्तों हमारा भविष्य हमारे कर्मों के द्वारा ही बनता है और कर्मों के फल से ही हमारी कुण्डली में पहले से ही निर्धारित होता है कि उसका भविष्य कैसा होगा। आज हम आपको बताने जा रहे है कि स्त्री कैसे पता करे कि उसकी जन्मकुंडली का सप्तम भाव क्या दर्शाता है, जबकि यही सप्तम भाव अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। यह भाव वैवाहिक और दांपत्य, सुन्दर पती मिलना, सुयोग्य परिवार और सुख का दर्पण होता है। सप्तम भाव से किसी स्त्री या पुरुष के संबंधों के बारे में विचार किया जाता है। और यह ग्रहों पर ही निर्धारित करता है कि वह कैसा प्रभाव डाल रहा है।

यह ज्योतिष शास्त्र में निहित है कि स्त्री की कुंडली के सप्तम भाव से उसके पति का और पुरुष की कुंडली के सप्तम भाव से उसकी पत्नी के बारे में विचार किया जाता है। यानी दोनों के लिए यह सप्तम भाव बहुत महत्वपूर्ण है। 

लेकिन यहां हम केवल स्त्री की कुंडली के सप्तम भाव के बारे में विचार करेंगे। दूसरी बार पुरूष के बारे में अध्ययन करेंगे और आज स्त्री की कुंडली के सप्तम भाव के बारे में विस्तार से वर्णन करेंगे ।

१- सूर्य सप्तम भाव में = अगर स्त्री की ऐसी स्थिति हो तो नारी दुष्ट स्वभाव, लडने झगडने में अधिक समय व्यतीत करती है, और पति के प्रेम से हमेशा वंचित रहती है और हमेशा कर्कशा कडवा बोलने वाली होती है।

२ - चंद्रमा सप्तम भाव में = अगर ऐसी स्थिति बनती है तो स्त्री मृदुलभाषी कोमल स्वभाव, लज्जाशील यदि उच्च का चंद्रमा हो तो स्त्री वस्र, आभूषण, धनिक व सुंदरी के साथ साथ गुणवान भी होती है।

३- मंगल सप्तम भाव में = अगर ऐसी स्थिति बन रही है तो यह उसके लिए बहुत खराब होने वाला है स्वभाव के साथ साथ कार्य में भी मलिनता आती है। सत्री सौभाग्य हीन कुकर्म व कर्क व सिंह राशि में शनि मंगल हों तो व्यभिचारिणी,पराए मर्द के चहेती, वेश्या और कुलटा मानी जाती है लेकिन धनवान भी अधिक होती है।

४- बुध सप्तम भव में = अगर ऐसी स्थिति बन रही है तो स्त्री के मुख पर सरस्वती विराजमान होती है विदुषी, समाज में मान प्रतिष्ठा हासिल करती है, पति की प्यारी, लेखन क्षेत्र में प्रांगणता हासिल करती है,और अगर उच्च राशि का बुध हो तो लेखिका,डाइरेक्ट प्रोफेसर तथा पति सुंदर मिलने वाला और नाना प्रकार के ऐश्वर्य का भोग करने वाली होती है।

५- गुरु सप्तम भाव में = अगर ऐसी बन रही हैं तो स्त्री पतिव्रता,गुणों वाली लक्ष्मी का स्वरूप गुणवती, धनी तथा धर आरूढ रहती है । यदि कर्क राशि में चंद्र और गुरु सप्तम भाव में तो नारी साक्षात रतिस्वरुपा यानी लक्ष्मी का स्वरूप होती है। 

६- शुक्र सप्तम भाव में = ऐसी स्तिथि है तो नारी रूप सौन्दर्य से भरपूर शारीरिक गठन ऐसे होता है कि दूसरे पुरुष को अपने ओर आकर्षित करती है का पति श्रेष्ठ, वीर व प्रवीण होती है।

७- शनि सप्तम भाव में = ऐसी स्थिति बन रही हैं तो नारी का का जीवन कष्टों व दुखों से घिर जाता है। पति रोगी, दरिद्र व व्यसनी होता है परंतु उच्च का शनि तो पति धनिक, गुणवान व विश्व विख्यात होता। परन्तु अगर इस शनि पर राहु या मंगल की दृष्टि पढ रही हो तो स्त्री विधवा बन जाती है ।


८- राहु सप्तम भाव में = ऐसी स्थिति बन रही हैं तो पती को कष्ट पहुंचता है स्त्री अपने कुल को दोष लगाने वाली होती है, दुखी पति सुख से वंचित रहता है। परंतु राहु उच्च के तो सुंदर और स्वस्थ पति की प्राप्ति हो जाती है।


९- केतु सप्तम भाव में = अगर ऐसी स्तिथि बन रही हो तो स्त्री स्वभाव सा शक्त, दूसरों से अनबन ही रहती है। प्रेमी बहुत कम होते है।

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