Saturday 25 February 2023

Powerful Sannskrit Suktiyan : 40 सर्वश्रेष्ठ संस्कृत सूक्तियां सफलता की सीढी

Powerful Sannskrit Suktiyan : 40 सर्वश्रेष्ठ संस्कृत सूक्तियां सफलता की सीढी

sanskrit shlok-sukti in hindi आइये आज हम ज्ञान के उस अथाह सागर में से कुछ अनमोल रत्नों को देखते हैं। This solution contains questions, answers, images, explanations of the complete सुभाषितानी-सूक्ति-श्लोक of Sanskrit taught in hindi If you are avri student of using NCERT Textbook to study Sanskrit, then you must come across chapter
विद्यार्थी विशेष रूप से इन श्लोकों-सूक्तियों को कंठस्त कर सकते हैं और उन्हें अपने जीवन में उतार कर सफलता प्राप्त कर सकते हैं, विना ज्ञान के मनुष्य पशु है लेकिन विना संस्कारवान शिक्षा के मनुष्य का जीवन शून्य है।sanskrit sukti- shlok in hindi

संस्कृत की महत्त्वपूर्ण उक्तियाँ

1- जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी । 
(जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बड़ी हैं। या 'जननी जन्मभूमि स्वर्ग से महान' हैं।)

2- उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् । 
(उदार चरित्रवाले के लिए संसार ही परिवार है।
3- अगच्छन् वैनतेयोऽपि पदमेकं न गच्छति । 
(बिना परिश्रम शक्तिमान भी कुछ नहीं कर सकता।)
4- शीलं हि सर्वनारस्य भूषणम्। 
(मनुष्य की शोभा शील ही है।
5- बुभुक्षितः किं न करोति पापम्
(भूखा क्या पाप नहीं कर सकते?)
6- शेठे शाठ्यं समाचरेत्। 
(दुष्ट के साथ दुष्टता का व्यवहार करना चाहिए।)
7- शरीरमाद्यं खलु धर्म साधनम्। 
(ही शरीर धर्म का पहला साधन है।)
8- आचारहीनं न पुनन्ति वेदाः । 
(दुराचारी को वेंद भी पवित्र नहीं करते।) 
9- अहिंसा परमो धर्मः । 
(अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है।)
10- सुलभा रम्यता लोके दुर्लभो हिर्ज गुणानम् । 
(संसार में सुन्दरता तो सरलता से मिल जाती है, किन्तु गुण - ग्रहण करना कठिन है। )
11- महाजनो येन गतः स पन्थाः । 
(महापुरुष जिस मार्ग से हटें, वही श्रेष्ठ मार्ग है।)
12- आत्मज्ञानं परमज्ञानं । 
(अपने को पहचानना ही सबसे बड़ा ज्ञान है। )
13- ज्ञानमेव परमो धर्मः । 
(ज्ञान ही सबसे बड़ा धर्म है |) 
14- स्वाध्यायन्मा प्रमदः । 
( स्वाध्याय में अलस्य मत करो। )
15- अति सर्वत्र वर्जयेत्। 
(किसी भी प्रकार की अति का परित्याग कर देना चाहिए। )
16- मा ब्रूहि दिनं वचः । 
(दीन वचन मत बोलो।
17- मानो हि महतां धनम्। 
(मान ही पुरुषों का धन है।)
18- वीरभोग्या वसुन्धरा । 
(वीर ही पृथ्वी का उपभोग करते हैं ।)
19- वचने का दरिद्रता? 
(मधुर बोलने में क्या गरीबी ? )
20- नास्ति क्रोधसमो रिपुः । 
(क्रोध के समान कोई शत्रु नहीं ।) 
21- शत्रुपि गुणा वाच्याः । 
(शत्रु के भी गुणों को कहना चाहिए।)
22- गतस्य शोचनं नास्ति। 
(बीती ताहि बिसार दे।)
23- विनाशकाले विपरीत बुद्धिः । 
(बुरे दिन आने पर बुद्धि विपरीत हो जाती है।
24- आहारे व्यवहारे च त्यक्तलज्जः सुखी भवेत्। 
(भोजन तथा व्यवहार में लज्जा नहीं करनी चाहिए।)
25- सत्यमेव जयते नाऽनृतम्। 
(सत्य की जीत होती है, झूठ की नहीं।)
26- कः परः प्रियवादिनाम्। 
(प्रिय बोलने के लिए पराया कौन है?
27- परोपकाराय सतां विभूतयः। 
(सज्जनों का धन अन्य की वजह के लिए होता है।)
28- विद्यारत्नं महाधनम्। 
(विद्यारूपी रत्न सबसे बड़ा धन है।)
29- गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। 
(गुरु, ब्रह्मा, विष्णु और महेश देवता के समान ही सम्माननीय हैं।)
30- सर्वे सन्तु निरामयाः । 
( सब नीरोग हो। )
31- उद्यमेन हि सिद्धांत कार्याणि न मनोरथैः । 
(कार्य परिश्रम करने से पूर्ण होता है मनोरथ करने से नहीं ।)
32- दैवेन दिव्यमिति कापुरुषा वदन्ति । 
(भाग्य के भरोसे कायर पुरुष रहते हैं।
33- यले कृते यदि न सिद्धि कोऽत्र दोषः । 
(यदि आवश्यक प्रयास करने पर भी सफलता न मिले तो दृश्य को दोष देखें?)
34- नहि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते। 
(ज्ञान के समान इस संसार में और कुछ पवित्र नहीं है।)
35- भोगो भूषयतेम् धन । 
(धन की शोभा उसकी खपत से है।)
36- सम्पूर्णकुम्भो न करोति शब्दम् । 
(भरा हुआ घड़ा नहीं छलकता ।)
37- विद्या धर्मेण शोभते । 
(विद्या धर्म से शोभा मिलते हैं ।)
38- सन्तोष एव पुरुषस्य परमनिधानम् । 
( सन्तोष मनुष्य का सबसे बड़ा धन है।)
39- यस्तु क्रियावान् पुरुषः स एव। 
(जोशील है, वही पुरुष हैं।)
40- मातृवत् परदारेषु। 
(अन्य की स्त्री माता के समान है।)

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