Tuesday 14 March 2023

Nari Jeewan ki Anuthi Dastan par kavita /नारी जीवन जंग है

Nari Jeewan ki Anuthi Dastan /नारी जीवन जंग है

सामाजिक सीमाएं बांध देती है जिसका जीवन ।
हे ! नारी तेरा जीवन किसी जंग से कम नहीं ।
मन मे आए विचारों को न उद्धृत कर पाये ।
छुए आसमां को अगर तो अपने पंख कटवाए ।
पुरूषों के कुविचार भी यहाँ  सरताज दिलवाए ।
तेरी सु-वाणी भी यहाँ पत्थर है बरसाए ।
इच्छाएं दफन होती रही कोयले की खान में ।
फिर भी न बचा पायी स्वाभिमान इस जहाँ में ।
दिखता है सरल पर तेरी राह बहुत कठिन है ।
सावन की बारिश या जेष्ठ की तपिस है ।
लुटाकर प्रेम तुझे करूणा ही भायी है ।
संयोग और वियोग की तूही परछाई है ।
तुझे भी हक है अपने हिस्से की सांसे लेना ।
मन के छंदों को मुक्त कण्ठ गाने का ।
प्रेम की मूरत तूने दुख ही यहाँ पाए है ।
फिर भी कर्तव्य पथ से कभी न घबरायी है।
रूह की ख्वाहिश ने तेरी अस्मिता को कुरेदा है ।
पुरूष की दरिंदगी ने तुझे हर सितम-घाव दिए ।
फिर भी हे ! नारी तेरी चमक बरकरार है ।
भारत माता का गौरव और मातृत्व का अभिमान है।
सामाजिक सीमाएं बांध देती है जिसका जीवन ।
हे ! नारी तेरा जीवन किसी जंग से कम नहीं ।

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