Ekadashi Vart Vidhi & Niyam: सम्पूर्ण 24 एकादशी व्रत की विधि व लाभकारी 15 नियम
नमस्कार दोस्तों आज हम बात कर रहे है Ekadashi Vrat Niyam Puja Vidhi दोस्तों हमरे सनातन धर्म में एकादशी के व्रत (Ekadashi Vrat) का विशेष महत्व है, इस दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाने से पुण्य मिलता है,ज़रूरतमंदों को दान देने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। एकादशी प्रति माह दो बार आती है कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष इस तरह वर्ष में 24 एकादशियां आती हैं. चलिए आज आपको इस एकादशी पर हर एकादशी व्रत की संपूर्ण विधि-नियम और उद्यापन का तरीका क्या है और किन-किन सामग्री की आवश्यकता होगी, जान लें,अच्छा लगे तो कमेन्ट में जय श्रीकृष्ण अवश्य लिखें।
एकादशी व्रत करने जा रहे हैं, तो जानिए ये 15 नियम...
एकादशी (Ekadashi) व्रत कैसे प्रारंभ हुआ? भगवती एकादशी कौन है, इस संबंध में पद्म पुराण में कथा है कि एक बार पुण्यश्लोक धर्मराज युधिष्ठिर को लीला पुरुषोत्तम भगवान श्रीकृष्ण ने समस्त दुःखों, त्रिविध तापों से मुक्ति दिलाने, हजारों यज्ञों के अनुष्ठान की तुलना करने वाले, चारों पुरुषार्थों को सहज ही देने वाले एकादशी व्रत करने का निर्देश दिया।
एकादशी (Ekadashi ) व्रत-उपवास करने का बहुत महत्व होता है। साथ ही सभी धर्मों के नियम भी अलग-अलग होते हैं। खास कर हिंदू धर्म के अनुसार एकादशी व्रत करने की इच्छा रखने वाले मनुष्य को दशमी के दिन से ही कुछ अनिवार्य नियमों का पालन करना चाहिए।
ये हैं एकादशी व्रत-उपवास के 15 सरल नियम...
* दशमी के दिन मांस, लहसुन, प्याज, मसूर की दाल आदि निषेध वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए।
* एकादशी के दिन प्रात: लकड़ी का दातुन न करें, नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और अंगुली से कंठ साफ कर लें, वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है। अत: स्वयं गिरा हुआ पत्ता लेकर सेवन करें ।
* यदि भूलवश किसी निंदक से बात कर भी ली तो भगवान सूर्यनारायण के दर्शन कर धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा मांग लेना चाहिए।
* यदि यह संभव न हो तो पानी से बारह बार कुल्ले कर लें। फिर स्नानादि कर मंदिर में जाकर गीता पाठ करें या पुरोहितजी से गीता पाठ का श्रवण करें।
* 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' इस द्वादश मंत्र का जाप करें। राम, कृष्ण, नारायण आदि विष्णु सहस्रनाम को कंठ का कृष्ण कहते हैं।
* यदि भूलवश किसी निंदक से बात कर भी ली तो भगवान सूर्यनारायण के दर्शन कर धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा मांग लेना चाहिए।
* भगवान विष्णु का स्मरण कर प्रार्थना करें और कहे कि- हे त्रिलोकीनाथ! मेरी लाज आपके हाथ है, अत: मुझे इस प्रण को पूरा करने की शक्ति प्रदान करना ।
* एकादशी के दिन घर में झाड़ू नहीं लगाना चाहिए, क्योंकि चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है। इस दिन बाल नहीं कटवाना चाहिए। न नही अधिक बोलना चाहिए। अधिक बोलने से बोलने वाले शब्द भी निकल जाते हैं।
* इस दिन यथाशक्ति दान करना चाहिए। किंतु स्वयं किसी का दिया हुआ अन्न आदि कदापि ग्रहण न करें। दशमी के साथ मिली हुई एकादशी वृद्ध मानी जाती है।
*वैष्णवों को योग्य द्वादशी मिली हुई एकादशी का व्रत करना चाहिए। त्रयोदशी आने से पूर्व व्रत का पारण करें।
* एकादशी (ग्यारस ) के दिन व्रतधारी व्यक्ति को गाजर, शलजम, गोभी, पालक, इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिए।
* केला, आम, अंगूर, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करें।
* प्रत्येक वस्तु प्रभु को भोग लगाकर तथा तुलसीदल छोड़कर ग्रहण करना चाहिए।
* द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को मिष्ठान्न, दक्षिणा देना चाहिए।
* क्रोध नहीं करते हुए मधुर वचन बोलना चाहिए।
इस व्रत को करने वाला दिव्य फल प्राप्त करता है और उसके जीवन के सारे कष्ट समाप्त हो जाते है।
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