Indian army poem
भारतीय सिपाही /कविता संग्रह
लौह पुरुष है भारत के सिपाही,
मत करना इनसे सौदा ,
अगर मुस्किल मे हो भारत माता,
तो उसके खातिर लुटा दे जान ।
भारत के वीर सिपाही गर्भ मे मिलता उनको वरदान,
बाहर तो उनकी काया है,
हृदय मे बसा है मां का सम्मान ।
पैसो से न तोल सकोगे ,
जेवरों से न खरीद सकोगे,
ये भारत माता के हीरे है,
जो इस माता के खातिर ,
बलिदान कर देगे सब कुछ ।
भारत के वीर सपूतों से न,
टकराव कभी मन मे लाना,
झुकोगे इनके सामने तो येभी झुक जायेगे,
टकराव अगर करोगे तो,
ये घर मे घुस कर मारेंगे ।
अरमानों मे बसा है भारत,
इनसे क्या सौदा करोगे,
तन,मन,धन सब त्याग रखा है,
इस माता की रक्षा ही धेय है इनका।
भारत सिपाही के सपनो मे बसा है भारत,
नया अध्याय बनायेंगे,
जो कर न सका अब तक का भारत ,
वो करके दिखलायेगे ।
हर सिपाही के हृदय मे है इस मिट्टी की खुश्बू,
उसका कर्ज चुका देंगे,
जो इसकी मिट्टी से खेले,
उसको मिट्टी मे मिला देंगे ।
सिपाहियों के जज्बातों से न खेलना,
इनके हृदय मे बसा है योद्धा,
सियाचिन जैसी भूमि को हराया,
इनका उपकार न दे पाओगे ।
==तिरंगा ==
तिरंगा,तिरंगा शान है मेरा, तिरंगा,तिरंगा मान है मेरा,
वीरों के वीर हो तुम,
तुम से ही भारत का अभिमान ।
सदा सलामत रहे तिरंगा,
जिसमे बसी है मेरी जान ।
वन्दे मातरम ................... ।
मिट्टी की खुश्बू क्या होती है,
पूछो उस वीर जवान से।
वक्त आये तो कटा दे सर,
झुकने न देगें तिरंगे को ।
वन्दे मातरम् ...............।
तीन रंगों से सजा झंडा,
जिसमे है हर भारतीय की शान ।
शान्ति,गौरव,सुख-समृद्धि हो,
यही है तिरंगे की पहचान ।
वन्दे मातरम् .................।
चौबीस तिल्लियां चौबीसों घण्टे,
रहना है हमको गतिशील ।
स्तम्भ ऊंचा है इस तिरंगे का,
छूना है हमको ऊंचाईयां ।
वन्दे मातरम् ...................।
दशों दिशायें काल खड़ा है,
उस काल को हमने हराना है।
सुख चैन सब खो देंगे हम,
इस माता गौरव बढाना है ।
वन्दे मातरम् ..................।
तिरंगा है एक पवित्र ध्वजा,
जिसको हमने लहराना है ।
207 की लाइन मे ,
इसको सबसे आगे लाना है ।
वन्दे मातरम् ....................।
भारत माता का आंचल है ये,
इसको न मैला होने देंगे ।
खुद मिट जायेगे लेकिन,
इसका रंग न मिटने देगे हम ।
वन्दे मातरम् .....................।
तिरंगा, तिरंगा शान है मेरा,
तिरंगा,तिरंगा मान है मेरा ।
=वीर सैनिक=
वीर हो तुम,वीर हो तुम,
हूं सैनिक भारत माता का मै,
ये हक मुझे मेरी मां ने दिया ।
इस मां की चिन्ता छोड़ दे अब,
उस मां की रक्षा करनी है।
वीर हो तुम, .................।
अपनी वीरता से करनी है रक्षा,
जिस मां ने तेरा पोषण किया।
मैने बस जन्म दिया तुझको ,
लालन पालन किया इस मां ने है।
तेरी मां का होगा गौरव,
जब वीरता तू दिखलायेगा ।
उस मां का कर्ज चुका देगा,
जब लहू की होली खेलेगा ।
वीर हो तुम .....................।
सौदा न करना इस माता का,
जिसकी मिट्टी मे तू खेला है ।
इस मां रक्षा के खातिर,
चाहे मिट्टी मे मिल जाना तुम ।
फक्र होगा उस मां को,
बेटा उसका ललकारेगा ।
अपनी मिट्टी की खुश्बू को,
दुश्मन से छीन के लायेगा ।
वीर हो तुम ..................।
मेरी चिंता मत करना बेटा,
मै तो आखिर जी ही लूंगी।
इस मां की तुम रक्षा करना,
जिसका अब कोई भी अपना न रहा।
हर कोई इसे नोचने पे लगा ,
तुम ही हो इसके अब रक्षक ।
वीर हो तुम . . . . . . . . . .
=मै हूं सैनिक =
हूं सैनिक भारत मां का,
रक्षा करना मेरा अधिकार।
बर्फीली चोटियों की सुन्दर वादियां,
इसकी सुरक्षा फरमान मेरा ।
गर्व न कर तू भेद न कर ,
हर हौसला तेरा अफजाई हो ।
गर आये संकट माता पर ,
तुम रूद्र रूप धारण लेना ।
मै हूं सैनिक .....................।
चमन की चमक हो सबसे ऊंची,
हर सैनिक की यही तमन्ना है ।
आंसुओं को न आने दिया पलकों पर,
चाहे दिल मे कितनी सिद्धत हो ।मां ने दिया तुझको हौसला ,
सीमा पर तुम्हे अब लडना है।
एक शहीद के जख्मों को,
सौ दुश्मनो के खून से भरना है।
मै हूं सैनिक .......................।
कभी भी खुद पर अभिमान न हो,
ऐसा मां ने है वचन दिया ।
एक सेवक की तरह है सेवा करना,
सैनिक भक्त है भारत माता का।
दया,भाव,करूणा दिखलाना,
ये पूंजी है भारत माता की ।
अधर्म न करना कभी किसी,
चाहे बलिदान तुम हो जाना ।
मै सैनिक हूं......................।
●शहीद भगत सिंह ●
भगत सिंह, भगत सिंह
है वीर ये हिन्दुस माता का,
न कोई इसे ललकारेगा ।
दिल मे बसी है भारत मां।
कौन इसे हरा पायेगा,
जय हिंद. जय हिंद ।
23 मार्च 1931,
आया दिन अमर शहीदों का,
अंग्रेजो ने दी तडप उसे,
न मिटा सके गौरव मां का ।
राजगुरु, सुखदेव, भगतसिंह,
तीनों को फांसी चडा डाला।
मरते मरते वीरों ने फिर भी,
गीत भारत मां का गाया ।
मेरा रंग दे बसंती चोला;मेरा रंग दे,
मेरा रंग दे बसंती चोला,
माय रंग दे बसंती चोला ।
फांसी चडते चडते गीत वतन का गाया है ।
अंग्रेजों के मंसूबों को न,पूरा कभी होने दिया ।
मृतक शरीर के टुकडो को,
अंग्रेजो ने मिट्टी के तेल से जलाया था ।
मिटा न सके हौसला भगतसिंह का,
अमर वो आज कहलाये है।
वन्दे मातरम्.
वन्दे मातरम्
● मै फौजी भारत माता का●
भारत मा की फौज है हम,
दिल मे हर वक्त तूफान है।
उडा देंगे हौसला दुश्मनों का,
जो देंगे जख्म इस माता को।
135 करोड़ की सांसे,
एक हि फौजी मे बसती है।
मिल जाये गर 100 फौजी तो,
दुनियां को अक्ल सिखा देंगे।
क्या शक्ति है इस माता मे जो,
हर फौजी को वीर बनाती है।
भीड़ भरे दुश्मनों के घर मे,
एक फौजी ने ही इतिहास रचाया है।
सभी देवताओं का वास यहां,
यहीं है वीरों की तपस्थली ।
जन्म दिया जिस माता ने ,
उस मां का मान बडायेगा ।
भारत माता का हर फौजी,
दुश्मनों को प्यार प्रेम सिखलायेगा ।
देंगे जान भी इस मां के लिए,
कर्ज इस मां का न चुका पायेंगे ।
लेना पडे जन्म सौ बार अगर,
इस मां का फौजी ही कहलायेंगे ।
भारत माता की फौज है हम,
दुश्मन क्या हमको ललकारेगा ।
।जलियांवाला बाग हत्याकांड
नमन है वीर सपूतों को,
हे मातृ भूमि के वीर सपूत ।
तुमको न भुला पाये ये धरती,
करते है तुमको नित वंदन।
हुयी शताब्दी पूरी आज पर,
दिल मे अब भी है तूफान भरा ।
जलियांवाला बाग हत्याकांड,
हर मानव की रूह कांप उठी।
क्या बूढ़े और जवान साथियों,
बच्चे नारी को न छोडा था।
बिछा दी लाशें ऐसी,
जैसा मंजर मछुआरों का।
कहां गयी थी मानवता इनकी,
क्या इनका कोई मजहब ना था ।
जिस धरती ने सिखाया जीना,
उसी को तूने रंगीन किया।
तुम इस धरती मां का दर्द क्या समझो ,
जो अपनी मां का ना हो पाया ।
नमन है वीर सपूतों को जो ,
बलिदान हुए इस मां के लिए ।
वीर जवान
मेरे देश के वीर जवान हो तुम,
शीश झुकाना क्या जाने।
जिस देश मिट्टी मे घुली है अहिंसा,
वो हिंसा फैलाना क्या जाने।
तेज झलकता माथे पर जब,
देख दुश्मन के पांव थरथराते है।
झुके न मां का शीश कभी,
वो शीश झुकाना क्या जाने।
जिस देश पलती ममता है,
वो नफरत फैलाना क्या जाने।
ऐसे मां के वीर हठीले, शीश झुकाना क्या जाने,
मेरे देश के बेटे हो तुम मान गवाना क्या जाने।
जिस देश की हवा मे घुली है शांती ,
वो बेटे अशांति फैलाना क्या जाने।
इस देश के वीर जवान हो तुम,
नफरत फैलाना क्या जाने।
जहां का बच्चा बच्चा पहने रहता हर शोले है,
इस मां के वीर जवान हो तुम,
पीठ दिखाना क्या जाने।
वो शीश झुकाना क्या जाने।
जरूरतें
मेरी जरूरतें अक्सर मुझे विवश करती है,
जो सुकून हृदय मे था वो कहीं और चला गया।
जीवन मे खींचा तानी चलती रही,
कुछ पाने की कुछ पा लेने की चाह मे।
जिसकी कद्र न थी जमाने मे कहीं,
वही मेरी जरूरत बनकर रह गई ।
हकीकत को पिछडे वक्त मे हमने,
जो कीमती जरूरत थी वह भी छोड दिया।
जरूरत न पूरी हो सकी कभी,
जो जरूरत बन कर ही रह गई ।
कोमलता से जब अंत समय मे,
मेरे हृदय से पुकार जाग उठी।
कि सुन फरिश्ते भवसागर के,
मै हूं वहां भी जहां तेरी जरूरत नही।
तू फिरता मारा क्यूं खुद को तलाशने,
तेरी हर फितरत पर नजर उस ईश्वर की है।
सुन्दर प्रकृति की जरूरतें है सुंदर मन,
नदी की जरूरत है पवित्र हृदय,
लोगों की जरूरत है सुख शांति ।
हर कोई जीता रहा जरूरतों मे,
हकीकत मे जरूरत किसकी है वो भूल गया।
Tag: indian army/ kamanndo fors/ भारतीय सैनिक/ dharti ke lal/ शहीद का परिवार/ शहीद की पत्नि
भारतीय सिपाही /कविता संग्रह
"आर्मी के वीर जवान""
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Indian army |
मत करना इनसे सौदा ,
अगर मुस्किल मे हो भारत माता,
तो उसके खातिर लुटा दे जान ।
भारत के वीर सिपाही गर्भ मे मिलता उनको वरदान,
बाहर तो उनकी काया है,
हृदय मे बसा है मां का सम्मान ।
पैसो से न तोल सकोगे ,
जेवरों से न खरीद सकोगे,
ये भारत माता के हीरे है,
जो इस माता के खातिर ,
बलिदान कर देगे सब कुछ ।
भारत के वीर सपूतों से न,
टकराव कभी मन मे लाना,
झुकोगे इनके सामने तो येभी झुक जायेगे,
टकराव अगर करोगे तो,
ये घर मे घुस कर मारेंगे ।
अरमानों मे बसा है भारत,
इनसे क्या सौदा करोगे,
तन,मन,धन सब त्याग रखा है,
इस माता की रक्षा ही धेय है इनका।
भारत सिपाही के सपनो मे बसा है भारत,
नया अध्याय बनायेंगे,
जो कर न सका अब तक का भारत ,
वो करके दिखलायेगे ।
हर सिपाही के हृदय मे है इस मिट्टी की खुश्बू,
उसका कर्ज चुका देंगे,
जो इसकी मिट्टी से खेले,
उसको मिट्टी मे मिला देंगे ।
सिपाहियों के जज्बातों से न खेलना,
इनके हृदय मे बसा है योद्धा,
सियाचिन जैसी भूमि को हराया,
इनका उपकार न दे पाओगे ।
==तिरंगा ==
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Indian tiranga |
तिरंगा,तिरंगा शान है मेरा, तिरंगा,तिरंगा मान है मेरा,
वीरों के वीर हो तुम,
तुम से ही भारत का अभिमान ।
सदा सलामत रहे तिरंगा,
जिसमे बसी है मेरी जान ।
वन्दे मातरम ................... ।
मिट्टी की खुश्बू क्या होती है,
पूछो उस वीर जवान से।
वक्त आये तो कटा दे सर,
झुकने न देगें तिरंगे को ।
वन्दे मातरम् ...............।
तीन रंगों से सजा झंडा,
जिसमे है हर भारतीय की शान ।
शान्ति,गौरव,सुख-समृद्धि हो,
यही है तिरंगे की पहचान ।
वन्दे मातरम् .................।
चौबीस तिल्लियां चौबीसों घण्टे,
रहना है हमको गतिशील ।
स्तम्भ ऊंचा है इस तिरंगे का,
छूना है हमको ऊंचाईयां ।
वन्दे मातरम् ...................।
दशों दिशायें काल खड़ा है,
उस काल को हमने हराना है।
सुख चैन सब खो देंगे हम,
इस माता गौरव बढाना है ।
वन्दे मातरम् ..................।
तिरंगा है एक पवित्र ध्वजा,
जिसको हमने लहराना है ।
207 की लाइन मे ,
इसको सबसे आगे लाना है ।
वन्दे मातरम् ....................।
भारत माता का आंचल है ये,
इसको न मैला होने देंगे ।
खुद मिट जायेगे लेकिन,
इसका रंग न मिटने देगे हम ।
वन्दे मातरम् .....................।
तिरंगा, तिरंगा शान है मेरा,
तिरंगा,तिरंगा मान है मेरा ।
=वीर सैनिक=
![]() |
Veer sainik |
वीर हो तुम,वीर हो तुम,
हूं सैनिक भारत माता का मै,
ये हक मुझे मेरी मां ने दिया ।
इस मां की चिन्ता छोड़ दे अब,
उस मां की रक्षा करनी है।
वीर हो तुम, .................।
अपनी वीरता से करनी है रक्षा,
जिस मां ने तेरा पोषण किया।
मैने बस जन्म दिया तुझको ,
लालन पालन किया इस मां ने है।
तेरी मां का होगा गौरव,
जब वीरता तू दिखलायेगा ।
उस मां का कर्ज चुका देगा,
जब लहू की होली खेलेगा ।
वीर हो तुम .....................।
सौदा न करना इस माता का,
जिसकी मिट्टी मे तू खेला है ।
इस मां रक्षा के खातिर,
चाहे मिट्टी मे मिल जाना तुम ।
फक्र होगा उस मां को,
बेटा उसका ललकारेगा ।
अपनी मिट्टी की खुश्बू को,
दुश्मन से छीन के लायेगा ।
वीर हो तुम ..................।
मेरी चिंता मत करना बेटा,
मै तो आखिर जी ही लूंगी।
इस मां की तुम रक्षा करना,
जिसका अब कोई भी अपना न रहा।
हर कोई इसे नोचने पे लगा ,
तुम ही हो इसके अब रक्षक ।
वीर हो तुम . . . . . . . . . .
=मै हूं सैनिक =
![]() |
Indian sainik |
हूं सैनिक भारत मां का,
रक्षा करना मेरा अधिकार।
बर्फीली चोटियों की सुन्दर वादियां,
इसकी सुरक्षा फरमान मेरा ।
गर्व न कर तू भेद न कर ,
हर हौसला तेरा अफजाई हो ।
गर आये संकट माता पर ,
तुम रूद्र रूप धारण लेना ।
मै हूं सैनिक .....................।
चमन की चमक हो सबसे ऊंची,
हर सैनिक की यही तमन्ना है ।
आंसुओं को न आने दिया पलकों पर,
चाहे दिल मे कितनी सिद्धत हो ।मां ने दिया तुझको हौसला ,
सीमा पर तुम्हे अब लडना है।
एक शहीद के जख्मों को,
सौ दुश्मनो के खून से भरना है।
मै हूं सैनिक .......................।
कभी भी खुद पर अभिमान न हो,
ऐसा मां ने है वचन दिया ।
एक सेवक की तरह है सेवा करना,
सैनिक भक्त है भारत माता का।
दया,भाव,करूणा दिखलाना,
ये पूंजी है भारत माता की ।
अधर्म न करना कभी किसी,
चाहे बलिदान तुम हो जाना ।
मै सैनिक हूं......................।
●शहीद भगत सिंह ●
भगत सिंह, भगत सिंह
है वीर ये हिन्दुस माता का,
न कोई इसे ललकारेगा ।
दिल मे बसी है भारत मां।
कौन इसे हरा पायेगा,
जय हिंद. जय हिंद ।
23 मार्च 1931,
आया दिन अमर शहीदों का,
अंग्रेजो ने दी तडप उसे,
न मिटा सके गौरव मां का ।
राजगुरु, सुखदेव, भगतसिंह,
तीनों को फांसी चडा डाला।
मरते मरते वीरों ने फिर भी,
गीत भारत मां का गाया ।
मेरा रंग दे बसंती चोला;मेरा रंग दे,
मेरा रंग दे बसंती चोला,
माय रंग दे बसंती चोला ।
फांसी चडते चडते गीत वतन का गाया है ।
अंग्रेजों के मंसूबों को न,पूरा कभी होने दिया ।
मृतक शरीर के टुकडो को,
अंग्रेजो ने मिट्टी के तेल से जलाया था ।
मिटा न सके हौसला भगतसिंह का,
अमर वो आज कहलाये है।
वन्दे मातरम्.
वन्दे मातरम्
● मै फौजी भारत माता का●
भारत मा की फौज है हम,
दिल मे हर वक्त तूफान है।
उडा देंगे हौसला दुश्मनों का,
जो देंगे जख्म इस माता को।
135 करोड़ की सांसे,
एक हि फौजी मे बसती है।
मिल जाये गर 100 फौजी तो,
दुनियां को अक्ल सिखा देंगे।
क्या शक्ति है इस माता मे जो,
हर फौजी को वीर बनाती है।
भीड़ भरे दुश्मनों के घर मे,
एक फौजी ने ही इतिहास रचाया है।
सभी देवताओं का वास यहां,
यहीं है वीरों की तपस्थली ।
जन्म दिया जिस माता ने ,
उस मां का मान बडायेगा ।
भारत माता का हर फौजी,
दुश्मनों को प्यार प्रेम सिखलायेगा ।
देंगे जान भी इस मां के लिए,
कर्ज इस मां का न चुका पायेंगे ।
लेना पडे जन्म सौ बार अगर,
इस मां का फौजी ही कहलायेंगे ।
भारत माता की फौज है हम,
दुश्मन क्या हमको ललकारेगा ।
।जलियांवाला बाग हत्याकांड
नमन है वीर सपूतों को,
हे मातृ भूमि के वीर सपूत ।
तुमको न भुला पाये ये धरती,
करते है तुमको नित वंदन।
हुयी शताब्दी पूरी आज पर,
दिल मे अब भी है तूफान भरा ।
जलियांवाला बाग हत्याकांड,
हर मानव की रूह कांप उठी।
क्या बूढ़े और जवान साथियों,
बच्चे नारी को न छोडा था।
बिछा दी लाशें ऐसी,
जैसा मंजर मछुआरों का।
कहां गयी थी मानवता इनकी,
क्या इनका कोई मजहब ना था ।
जिस धरती ने सिखाया जीना,
उसी को तूने रंगीन किया।
तुम इस धरती मां का दर्द क्या समझो ,
जो अपनी मां का ना हो पाया ।
नमन है वीर सपूतों को जो ,
बलिदान हुए इस मां के लिए ।
वीर जवान
मेरे देश के वीर जवान हो तुम,
शीश झुकाना क्या जाने।
जिस देश मिट्टी मे घुली है अहिंसा,
वो हिंसा फैलाना क्या जाने।
तेज झलकता माथे पर जब,
देख दुश्मन के पांव थरथराते है।
झुके न मां का शीश कभी,
वो शीश झुकाना क्या जाने।
जिस देश पलती ममता है,
वो नफरत फैलाना क्या जाने।
ऐसे मां के वीर हठीले, शीश झुकाना क्या जाने,
मेरे देश के बेटे हो तुम मान गवाना क्या जाने।
जिस देश की हवा मे घुली है शांती ,
वो बेटे अशांति फैलाना क्या जाने।
इस देश के वीर जवान हो तुम,
नफरत फैलाना क्या जाने।
जहां का बच्चा बच्चा पहने रहता हर शोले है,
इस मां के वीर जवान हो तुम,
पीठ दिखाना क्या जाने।
वो शीश झुकाना क्या जाने।
जरूरतें
मेरी जरूरतें अक्सर मुझे विवश करती है,
जो सुकून हृदय मे था वो कहीं और चला गया।
जीवन मे खींचा तानी चलती रही,
कुछ पाने की कुछ पा लेने की चाह मे।
जिसकी कद्र न थी जमाने मे कहीं,
वही मेरी जरूरत बनकर रह गई ।
हकीकत को पिछडे वक्त मे हमने,
जो कीमती जरूरत थी वह भी छोड दिया।
जरूरत न पूरी हो सकी कभी,
जो जरूरत बन कर ही रह गई ।
कोमलता से जब अंत समय मे,
मेरे हृदय से पुकार जाग उठी।
कि सुन फरिश्ते भवसागर के,
मै हूं वहां भी जहां तेरी जरूरत नही।
तू फिरता मारा क्यूं खुद को तलाशने,
तेरी हर फितरत पर नजर उस ईश्वर की है।
सुन्दर प्रकृति की जरूरतें है सुंदर मन,
नदी की जरूरत है पवित्र हृदय,
लोगों की जरूरत है सुख शांति ।
हर कोई जीता रहा जरूरतों मे,
हकीकत मे जरूरत किसकी है वो भूल गया।
Tag: indian army/ kamanndo fors/ भारतीय सैनिक/ dharti ke lal/ शहीद का परिवार/ शहीद की पत्नि
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