Wednesday 29 January 2020

हनुमान जी का जीवन दर्शन हनुमान जयंती,मुहुर्त विशेषांक (श्री हनुमान जी के धार्मिक तथा वैज्ञानिक पहलुओं का अध्ययन)

हनुमान जी का जीवन दर्शन
हनुमान जयंती,मुहुर्त विशेषांक 

(श्री हनुमान जी के धार्मिक तथा वैज्ञानिक पहलुओं का अध्ययन)

Life vision of Hanuman
 Hanuman Jayanti, Muhurt special issue
 (Study of religious and scientific aspects of Shri Hanuman ji)
Hanuman ji

अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं, दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम् ।सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं,रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि ।।

दोस्तों हनुमान जी को सर्वश्रेष्ठ भक्त आदर्श मित्र और पथ प्रदर्शक माना गया है।
हनुमान जी जैसा  विद्वान अबतक इस पृथ्वी पर पैदा नही हुआ है। उनका ज्ञान पराकाष्ठा को पार करता है। विद्वता की शीमा असीम है , फिर भी एक सेवक के रूप मे ही अपना सर्वस्व न्योछावर करदेते है। यह भी सत्य है कि इस भारत वर्ष मे उतने राम के मंदिर नही होंगे जितने हनुमानजी के है। और कहा गया है कि हनुमान जी ही कलयुग के पृथ्वी देवता है।
(हनुमान जी ने स्वयं वानर होते हुए भी दास्य भक्ति के प्रताप से भगवान राम के प्रिय दास होने के कारण ही देवता बन गये। संपूर्ण ब्रह्माण्ड मे यह सिद्धि दूसरा कोई कपिपति प्राप्त नही कर सका।)
In spite of being a monkey, Lord Hanuman himself became a deity only because of being the beloved slave of Lord Rama with the majesty of Dashaya devotion.  No one else could achieve this accomplishment in the entire universe.)

हनुमान जयन्ती का शुभ मुहूर्त 

Hanuman Jayanti auspicious time---

दोस्तों हनुमानजी पृथ्वी देवता है और भक्तों पर दयादृष्ठि रखते है।संकट मोचन, अंजनी सुत, पवन पुत्र हनुमान का जन्मोत्सव चैत्र माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है| प्रभु के लीलाओं से कौन अपरिचित अंजान है| हनुमान जयंती के दिन बजरंगबली की विधिवत पूजा पाठ करने से शत्रु पर विजय और मनोकामना की पूर्ति होती है|
दोस्तों हनुमानजी के पराक्रम से हम सब और चौदह भुवन परिचित है। ये श्रीराम दर्शन के अग्रदूत, रामकृपा के अहैतुक प्रेरक और महर्षि वाल्मीकि के अत्यन्त प्रियपात्र है,रामायण महामाला के महारत्न और श्रीराम भक्तों के अनन्याश्रय है। उनके गुणगणवर्णन का प्रयास आकाश अवगाहन के समान आत्म-साहस परीक्षण है।

हनुमान जयंती पर्व तिथि व मुहूर्त 2020

(8 )अप्रैल

हनुमान जयंती तिथि - (बुधवार, 8 अप्रैल 2020)

पूर्णिमा तिथि आरंभ12:00 (7 अप्रैल 2020)

पूर्णिमा तिथि समाप्त - 08:03 (8 अप्रैल 2020)


हनुमान जी विश्व के सबसे बडे मैनेजमेंट गुरू Hanuman ji the world's largest management guru 

दोस्ततों हनुमानजी जी को मैनेजमेंट गुरू माना गया है। क्योंकि हनुमानजी ने श्रीराम के आगे आयी हर बाधा (अडचन) को हनुमानजी  नेही अपने मैनेजमेंट से दूर किया था।रामायण मे जिस कुशलता और नीतीपूर्ण ढंग से हनुमानजी ने तमाम समस्याओं का हल किया , वो बिना किसी मैनेजमेंट के पूरा नही हो सकता था। हनुमानजी समय,ज्ञान,वाणी और संसाधनों का सटीक प्रयोग करना जानते है, इसीलिए उन्हें संसार का सबसे बडा मैनेजमेंट गुरू कहा गया है।
हनुमानजी अपने प्रबंधनगुणों के साथ ऐसी छवि पेशकरतेहै, जिसे आज की युवा (जवान) पीढी अपनाना नही चाहती है। लेकि आज के युवा को इसकी अत्याधिक आवश्यकता है। हनुमानजी के जीवन चरित्र से संदेश मिलता है कि--आम बने रहकर भी कैसे व्यवहार करें, कैसे बोले, काम कैसे करे और जीवन को किस तरह यापन करे।(How to behave while remaining common, how to speak, how to work and how to live life)
हनुमान जी की दूरदर्शिता शिक्षा आज भी प्रासंगिक है।  जिनका अनुसरण करके लोग जीवन मे सफलता हासिल कर सकते है।
हनुमानजी ने कुछ महत्वपूर्ण रणनीतियां, मैनेजमेंट बनाया जिससे राम को सफलता मिली वह यह है---
Hanumanji created some important strategies, management which helped Ram succeed----

1-  रावण की सभा में राम का दूत बनकर जाना।

2- बाली को मारने का तरीका बताकर सुग्रीव की जीत का कारण बने।

3- राम को जीत दिलाने के लिए खुद कठिन रास्ते का चयन किया।

4- हनुमान जी ने सीता को विश्वास दिलाने के लिए राम से अंगूठी निसानी के रूप में मांगी।

5- हनुमानजी जी की सोच थी कि दुश्मन की नगरी मे भी राम का कोई भक्त जरूर होगा और विभीषण को ढूंढ निकाला।

हनुमानजी सीखाते हैं सफलता की कुंजी (Hanumanji teaches the key to success)

 दोस्तों सफलता(success)हर कोई पाना चाहता है, और हर कोई इसे पाने के लिए कडी मेहनत करता भी है,लेकिन मुसीबतों और कठिनाइयों को देखकर वह पीछे हट जाता है।लेकिन आपको पता नही है----संघर्ष यह एक ऐसा अनुभव है, जिसे हर मानव को अपने जीवन काल में सफलता हासिल करने के लिए कठिन परिश्रम करना ही पढता है।(Conflict is an experience that every human being has to work hard to achieve success in their lifetime)
-क्योंकि सफलता बिना संघर्ष के हासिल नहीं की जा सकती है।अगर आपको अपना वर्चस्व स्थापित करना है तो आपको कुछ तो अलग करना ही पढेगा। समाज में मान-प्रतिष्ठा हासिल करनी हो या जो भी आपका लक्ष्य हो उसे प्राप्त करना बिना परिश्रम के हासिल नही हो सकता।

हनुमान जी ने दुनिया को सफलता पाने के तीन महत्वपूर्ण सूत्र दिये है----
Hanuman ji has given three important sources of success to the world----

1-- सक्रियता
हनुमान जी ने कहा है कि आप अपना शरीर (तन) सक्रिय और मन निष्क्रिय रखिए, क्योंकि मन का विश्राम ही ध्यान है, और जहां ध्यान है, वहीं जीवन की सभी समस्याएं समाप्त हो जाएगी।
  activity
 Hanuman Ji has said that you keep your body (body) active and mind inactive, because meditation is the rest of the mind, and where meditation is there, all the problems of life will end)

2- सजगता
मनुष्य को हमेशा सजग रहना चाहिए।  और यह तभी सम्भव है, जब जब उसका लक्ष्य निश्चित होगा। इससे ऊर्जा और समय का सदुपयोग होगा, हनुमान जी ने लंका विजय के लिए यही अपनाया।
Alertness Man should always be alert.  And this is possible only when its goal is fixed.  This will make good use of energy and time, this is what Hanuman adopted for the victory of Lanka)
3-- सक्षम होना
मनुष्य तभी सफलता हासिल कर सकता है, जब वह सक्षम होगा।जब हम तन,मन,धन से सक्षम हो जाएँगे तभी आपको सफलता हासिल होगी।
capable
 Man can achieve success only when he is capable. When we will be able with body, mind and wealth, then you will achieve success.


हनुमान जी को सिंदूर का चोला क्यों चढाते है

हनुमानजी बडे राम भक्त थे और एक बार माता सीता अपनी मांग मे सिंदूर भर रही थी, हनुमान जी ने कारण जानकर हनुमानजी के मन मे खयाल आया कि अगर श्रीराम जी की लंबी उमर चुटकी भर सिंदूर से हो सकती है तो क्यों न मै पूरे शरीर पर सिंदूर लगाऊं और अपने प्रभू श्रीराम को अजर-अमर कर दूं।और सिंदूर लगाकर राम के सामने जाते और राम हंसकर कहते है मुझे अति प्रसन्नता हुई।


हनुमानजी थे पूर्ण ब्रह्मचारी

हनुमानजी को ब्रह्मचारियों का अग्रगण्य माना जाता है। उन्होने अपने ब्रह्मचर्य से,शम,दम,त्याग,तितिक्षा,प्रज्ञा,और बुद्धि कौशल से श्रीराम जी को अपने वश मे कर लिया था। राम जी उनकी बुद्धिमता को देखकर अति प्रसन्न हुए। श्रीराम जी ने हनुमान जी से कहा कि मै हमेशा तुम्हारा ऋणि रहूंगा , आप मुझसे जो भी कराना चाहते है मै करने को तैयार हूं। उन्होने हमेशा अपने जीवन मे संयम बनाए रखा और कभी भी अपने कार्य से विमुख नही हुए उन्होनेओ हमेशा कर्म को ही अपना लक्ष्य माना और हमेशा राम भक्त बनकर रहने का मन मे खयाल आया और संकल्प लिया  वे हमेशा ब्रह्मचारी ही बने रहेंगे।

कलियुग के जाग्रत देवता है हनुमानजी 
Hanumanji is the awakening deity of Kali Yuga

हनुमान जी को कलियुग में पृथ्वी स्थानीय देवता माना गया है। माना जाता है कि हनुमानजी से हर दुष्ट आत्मा भयभीत हो जाती है। परीक्षा काल में भी हर विद्यार्थी को हनुमानजी सबसे बडे सहायक के रूप में दिखते है। क्योंकि यही बल,बुद्धि, विद्या तथा अष्ट सिद्धियां और नव निधियों को देने वाले हैं। वर्तमान युग में जब विद्यार्थियों को संस्कारवान बनाए रखने की बात आती है तो हनुमानजी से उपयुक्त अन्य कोई मार्गदर्शक कोई नही होगा।
आज के युग में युवावों के सामने सबसे बडी चुनौती यह है कि वह चरित्रवान कैसे बने रहे। हनुमानजी का आत्म परिचय ही हमे प्रेरित करता है। इस संसार में सत्य,प्रेम के रूप में हनुमानजी सदैव विद्यमान है।
हमारे शास्त्रों मे कहा गया है कि--
उच्च गुणों से संपन्न हनुमान लोक कल्याण की भावना,संयम,उत्तर दायित्व,वचन पालन, निष्ठा, शुद्ध आचार-विचार देवताओं के रूप मे मान्य है। 

By developing positive thinking, discipline and determination power within yourself, one can achieve the impossible goal.  (सकरात्मक सोच , अनुशासन व दृढ संकल्प शक्ति  को अपने भीतर विकसित कर असम्भव लक्ष्य को  प्राप्त कर सकता है।)

नासा ने स्वीकारी हनुमान चालीसा की बात--
NASA accepts Hanuman Chalisa

कहा जाता है कि जब सृष्टि का निर्माण हुआ तो हनुमान जी ने सूर्य-चांद की दूरी तय कर ली थी।
आज हर विकसित देश चाहे अमेरिका,रूस,चीन,भारत,या जापान हो सूरज तक अपनी पहुंच बनाने में जुटे है किन्तु सफलता हासिल नही हुई। वहीं हनुमानजी ने अपनी बाल्य अवस्था में ही लाखों मील दूर सूरज मे न सिर्फ कदम रखा बल्कि उसे फल समझकर खा भी लिया था।
हनुमान चालीसा मे कहा गया है---

जुग सहस्त्र जोजन पर भानु, लील्यो ताहि मधुर फल जानू ।

इस दोहे का शाब्दिक अर्थ है हनुमानजी ने एक युग ,सहस्त्र जोजन,की दूरीशपर स्थित सूर्य को खा लिया था।

सूर्य की दूरी का सम्पूर्ण विवरण--
Complete details of the distance of the Sun

एक युग     = 12000 वर्ष,
एक सहस्त्र = 1000,
एक योजन = 8 मील युग × सहस्त्र × योजन = पर भानु,
12000 × 1000 × 8 मील = 96000000 मील,
1 मील = 1.6 किलोमीटर,
96000000 × 1.6 = 153600000 किमी



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