Thursday 9 September 2021

Ayodhya Ram Mandir in hindi हिन्दुओं का आस्था व श्रद्धा का केन्द्र अयोध्या में श्रीराम मंदिर|जानिए क्यों विशेष है यह मंदिर

नमस्कार दोस्तों आज हम पूरे भारत और पूरे विश्व में हिन्दू धर्म अनुयायी का आस्था व विश्वास का केन्द्र परम पवित्र अयोध्या श्रीराम मंदिर के इतिहास में 5 अगस्त 2020 का दिन सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया। जहाँ पूरे हिन्दू समाज में इस दिन का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा था।नहीं वर्ष 1528 से लेकर 2020 तक यानी 492 साल के इतिहास में कई मोड़ आए।कयी बार हिन्दुओं की आस्थाओं पर आघात पहुचाए गये।कयी संघर्षों के बाद और कयी लोगों के बलिदान के बाद यह शुभ अवसर 9 नवंबर 2019 का दिन जब 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने ऐतिहासिक फैसले को सुनाया। जिससे श्रीराम भक्तों की इतने लम्बे समय बाद जीत हुयी।

Ayodhya Ram Mandir

Ayodhya Ram Mandir in hindi हिन्दुओं का आस्था व श्रद्धा का केन्द्र अयोध्या में श्रीराम मंदिर|जानिए क्यों विशेष है यह मंदिर 

भगवान बिष्णु के अवतार माने जाने वाले श्रीराम पूरे भारत वासियों के हृदय में विराजमान है। उनके शिष्टाचार, आचरण,सभ्यता और संस्कृति आज भी हमारे अंदर जमी हुयी है।बात राम मंदिर की आए तो सबका खून खौल उठता था की राम हमारे पूर्वज है और हमसे यह अधिकार छीना जा रहा है। अयोध्या श्रीराम जन्मभूमि पर बनने वाले अद्वितीय और विशाल राम मंदिर के बनने से हिन्दुओं का अस्तित्व हिन्दुओं की पहचान और हिन्दुओं की आस्था और विश्वास की जीत हुयी है। क्योंकि यह राम मंदिर प्राचीन काल से जन जन का श्रद्धा व विश्वास का केन्द्र रहा है।

अयोध्या श्रीराम मंदिर का संक्षिप्त इतिहास 

श्रीराम जी प्राचीन काल से हिन्दुओं के मार्गदर्शक और आस्था व विश्वास के प्रतीक रहे है। रामायण महाकाव्य के अनुसार श्रीराम की जन्म भूमी विराट अयोध्या नगरी है। यहीं पर मुस्लिम सम्प्रदाय ने 15 वीं शताब्दी में मस्जिद का निर्माण कराया था तभी से यह राम की पवित्र भूमि पर विवाद रहा और राम भक्तों को कयी आघात पहुचाए गये। राम भक्तों के आक्रोश के बाद भी सफलता हाथ नहीं लगी। सभी भक्तों ने चंदा इकट्ठा करके मंदिर निर्माण करने की सोची। 1992 में राम भक्तों में फिर से आक्रोश जाग उठा और बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया गया। इस कारण हिंसा ने विकराल रूप धारण किया। कयी राम भक्त बलिदान हुए कयी बार आशाएं धूमिल हुयी, अनेकों लडायी और हार के बाद भी राम भक्तों का जुनून शान्त नहीँ हुआ और आखिर कार  वर्ष 2020 में श्रीराम और राम भक्तों की जीत हुयी।

श्रीराम मंदिर के लिए 44 दिन में एकत्रित किए 2100 करोड रूपये का चंदा
Ayodhya Ram Mandir

कहते है विश्वास की जीत होती है। ऐसा ही भाव राम भक्तों में देखने को मिला। इसीलिए तो राम भक्तों ने मंदिर निर्माण के लिए दिल खोलकर दान किया। राम मंदिर निर्माण निधि अभियान में केवल 44 दिन के भीतर 2100 करोड रूपये का चंदा इकट्ठा हुआ। सायद ही यह इतिहास में पहली बार हुआ होगा।

इस अभियान की खास बात यह रही कि इसमें हर राम भक्त का अंश व योगदान जोडा गया। चाहे वह कितना भी गरीब हो या कितना भी अमीर क्यों न हो 10 रूपये से लेकर हजारों रूपयें की राशि लोगों ने अपने आराध्य प्रभु श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए दान दिया। इस मंदिर तीर्थ क्षेत्र न्यास के कोषाध्यक्ष श्री स्वामी गोविन्द देव गिरी जी का कहना है कि हर वर्ग के आस्था व विश्वास तथा सहयोग से राम मंदिर की नींव रखी जाएगी।

राम मंदिर के लिए भक्त ने रखा 28 साल का उपवास 

जी हाँ राम मन्दिर निर्माण मे लगे 492 साल का इतिहास ऐसा ही नहीं है इसके लिए राम भक्तों ने कयी संघर्ष किए है एक भक्तिन ने तो 28 साल से उपवास रखा है और संकल्प लिया है कि जब तक राम मंदिर बन नहीं जाता वह अन्न ग्रहण नहीं करेगी। सूत्रों की माने तो आज तक यह भक्त केवल दूध और केला खाकर जिन्दा थी और अभी भी संकल्प ले रखी है कि जिस दिन राम मंदिर में भण्डारा होगा तभी वह अपना उपवास तोडेगी। भक्तों के इसी विश्वास ने इतने बढे संकट के विषय को बिना किसी विद्रोह का हल निकाल दिया।इसीलिए तो सनातन धर्म में अद्वितीय शक्ति है जो हर मुश्किल कार्य को भी आसान कर देती है।

श्रीराम मंदिर की नींव में 2000 फीट नीचे रखा है टाईम कैप्सूल

इस राम मंदिर का इतिहास सैकडों वर्ष पुराना है। तथा कयी विवादों से निपटकर आया है। भविष्य में अगर कोई राम मंदिर पर रिसर्च करना चाहे या फिर से विवाद का कारण बने तो इन महत्वपूर्ण दस्तावेजों से मदद मिल सके।

श्रीराम जन्मभूमि में इन 7 स्थानों का भी है बड़ा महत्व जानें क्यों 

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की अध्यक्षता में राम मंदिर का भूमि पूजन किया गया और साथ ही इस अयोध्या नगरी में कयी तीर्थों को विशेष महत्व देकर राम मंदिर से इन्हें जोडा गया। क्योंकि राम भक्तों का आस्था व श्रद्धा का केन्द्र श्रीराम भूमि अयोध्या नगरी में और भी धार्मिक स्थलों व मंदिरों का दर्शन कर सके इसके लिए इन प्रमुख 7 स्थलो को जोडा गया --

1- हनुमानगढी - राम मंदिर के साथ यहाँ हनुमानगढी के दर्शन करना भी अनिवार्य है तभी राम मंदिर का फल प्राप्त हो पाता है। श्रृद्धालु सबसे पहले हनुमानगढी का ही दर्शन करते है। क्योंकि श्रीराम अपने भक्तों को पहले स्थान देते थे उन्हीं में हनुमान जी भी एक थे।

2- सरयू तट - सुन्दर अयोध्या नगरी सरयू नदी के किनारे बसी है। इस नदी में श्रद्धालु श्रद्धा व विश्वास के साथ स्नान करने आते है।

3- राजा मंदिर - अयोध्या में,राम भक्तों का श्रद्धा का प्रतीक राजा मंदिर सरयू तट के किनारे पर है। यह वास्तुकला तथा अनेकों कलाओं से सुशोभित है जो भक्तों को रोमांचित करता है।

4- कनक भवन - अयोध्या के उत्तर पूर्व में यह भवन माता सीता को शादी के बाद उपहार स्वरूप दिया गया था। यह भी श्रद्धा का केन्द्र है। 

5- दिगंम्बर जैन मंदिर - जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर ऋषभदेव जी की जन्म स्थरी भी अयोध्या नगरी होने के कारण आस्था व विश्वास का केन्द्र बना हुआ है।

6- सीता की रसोई - यहाँ पर पहले माता सीता की रसोई होती थी इसको बाद में मंदिर बनाया गया। यहाँ पर अभी भी पुराने बर्तन व अन्य सामान देखने के लिए भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है। 

7- दन्तधावन कुण्ड - यह स्थान अयोध्या नगरी के बीचो-बीच है। यहीं पर श्रीराम जी दांत साफ करने आया करते थे जो आज भी आस्था का केन्द्र बना हुआ है।

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