Friday 3 September 2021

Poems on teachers in hindi प्राइवेट शिक्षक की बेबसी पर दर्द भरी कविता || प्राइवेट शिक्षकों के शोषण और उत्पीड़न पर कविता ||Painful poem on helplessness of private teacher

दोस्तों हम लेकर आए है Guruji Motivational Shayari,poems Status in Hindi,Painful poem on helplessness of private teacher Shayari शिक्षक दिवस पर कविता,शायरी दोस्तों गुरु का शिक्षा जगत में गौरवपूर्ण स्थान होता है। भारतीय संस्कृति में गुरु को भगवान का दर्जा दिया गया है। मनुष्य को गुणवत्तापूर्ण बनाने व समाज और देश के निर्माण में शिक्षक का बहुत बड़ा योगदान है। इस लेख में हम Guru Par supar Shayari poem शिक्षक के दर्द पर कविता शायरी Shikshak Par Hindi kavita Shayari गुरु की बेबसी व लाचारी पर कविता अध्यापक पर कविता Guru Par Shayari poem in Hindi Love Heart Touching आदि यह आर्टिकल आपका ज्ञानवर्धन अवश्य करेगा। 

poem on helplessness of private teacher

Poems on teachers in hindi प्राइवेट शिक्षक की बेबसी पर दर्द भरी कविता || प्राइवेट शिक्षकों के शोषण और उत्पीड़न पर कविता ||Painful poem on helplessness of private teacher

प्राइवेट शिक्षक का दर्द आखिर कौन समझ पाएगा !!
जल रहा है खुद में वो उसकी प्यास कौन बुझा पायेगा !!
जलता है दिए की तरह जो सदा जहाँ को रौशन करता है !!
अक्सर इसी तरह से हर गुरु अपना फर्ज अदा करता है !!
तिरते सपनें आंखों में हरपल वो ख्वाब नए नित सजाता है !!
छोटी-छोटी खुशियाँ संजोकर वो नित-दिन अरमान जगाता है !!
कहाँ रहे स्कूल स्कूल अब ओ तो ठेकेदारी का हब बन गये है !!
जहाँ रोज अरमानों और भावनाओं की बली चढती है !!
पढाई लिखाई के खर्चे ने आखिर एक पिता को मार दिया !!
इसीलिए तो बेटा अपनी इस बेबसी से नित हार गया !!
सरकारी बनना ख्वाब रह गया,प्राईवेट ने ठेले सजा दिए !!
हुनर कहाँ लाजिम है यहाँ तो बिक रही डिग्रियां दुकानों पर !!
बाग माली का भेष बदलकर नन्हीं  कलियों को मुरझा दिए !!
अपने ही अंधकार में हरपल बच्चों के भविष्य को सुला दिए !!
रोज शुबह विद्यालय आकर मन में  हरपल ये भय बना रहे !!
कह ना दे बाॅस कुछ हर शिक्षक ने दर्द अपना छिपा दिए !!
सबकुछ ठीक करता है फिर भी जानें क्यों नुख्स निकालते है !!
इसी बेबसी से वो शिक्षक अपने अंदर से हरपल हार गए !!
बात वेतन की आए तो उसको उसका फर्ज बताने चलें !!
खडे कर दिए महल अपने वो शिक्षक आज भी रोता है !!
स्कूल बन गये ठेकेदारी तो अब शिक्षक कहाँ वजूद बचाएगा !!
कहाँ मिलेगा सम्मान उसको जो छूट गये किनारों पे !!
प्राइवेट शिक्षक का दर्द आखिर कौन समझ पाएगा !!
जल रहा है खुद में वो उसकी प्यास कौन बुझा पाएगा !!

लेखक अरूण सेमवाल के अपने विचार यह किसी व्यंग नहीं बल्कि  वर्तमान समय की बिगडती शिक्षा व्यवस्था पर भावों को प्रकटीकरण किया गया है।

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