Thursday 27 October 2022

Lard hanuman ji ki Marriage: हनुमान जी का विवाह क्यों और किससे हुआ था तथा हनुमान जी की पत्नी और पुत्र कौन थे

Lard hanuman ji ki Marriage: हनुमान जी का विवाह क्यों और किससे हुआ था तथा हनुमान जी की पत्नी और पुत्र कौन थे

जय श्रीकृष्ण दोस्तों आज हम जानेंगे कि कि हनुमान जी का विवाह क्यों और किससे हुआ था? Why and with whom did Hanuman ji get married दोस्तों यह तो हम सभी जानते ही है कि हनुमानजी बाल ब्रह्मचारी थे और यह भी जानते है कि हनुमान जी का विवाह नहीं हुआ था। not married to Lord hanuman  लेकिन प्राचीन कहानियों के अनुसार यह क।आ गया है कि हनुमान जी की पत्नी भी थी और उनका एक पुत्र भी था। लेकिन फिर भी वे आजीवन ब्रह्मचारी ही माने गये है।
तो चलिए जानते है कौन है हनुमान जी की पत्नी और पुत्र तथा क्यों करना पडा हनुमानजी को विवाह..........

आखिर क्यों करना पढा विवाह----
पौराणिक कथाओं के अनुसार सूर्यदेव हनुमान जी के गुरू थे और सूर्य ने हनुमान जी को नौ विद्याएं देने की सोची पांच विद्याएं तो आसानी से प्राप्त कर ली थी परन्तु फिर अडचन आने लगी क्योंकि उन विद्याओं को सीखने के लिए पत्नी का होना आवश्यक था।

सूर्य देव ने अपने शिष्य को विद्याओं का ज्ञान देने के लिए अपनी परम तेजस्वी तथा हर समय भक्ति और ध्यान में लीन रहने वाली पुत्री सुवर्चला का विवाह हनुमान जी से कराया फिर भी वे आजीवन ब्रह्मचारी ही रहे क्योंकि सुवर्चला शादी के दिन से ही हमेंशा के लिए तपस्या में लीन हो गयी और हनुमान जी विद्याओं को सीखने में लीन हो गये।

वास्तविक रूप में हनुमान जी की आजतक आपने ब्रह्मचारी रूप में ही हनुमानजी की मूर्ति या मंदिर देखे होंगे। लेकिन आपको बता दें कि तेलांगना राज्य के खम्मम जिले में हनुमान जी का एक मंदिर है जहाँ वे गृहस्थ जीवन में विराजमान है यानी अपनी पत्नी के साथ उस मन्दिर में स्थापित है। और यह भी मान्यता है कि जो भी भक्त इस रूप में हनुमानजी के दर्शन करता है उनका गृहस्थ जीवन खुशहाल तथा सुख समृद्धि से व्यतीत होता है।

अब बात यह है कि जब हनुमान जी शादी के बाद भी पूर्णरूप से ब्रह्मचारी थे तो फिर उनका पुत्र कैसे हुआ.....
इसमें भी पौराणिक कहानी है क्योंकि वाल्मीकि रामायण में उल्लेख हुआ है कि जब रावण श्रीराम और लक्ष्मण का अपहरण करते है तो हनुमान जी श्रीराम की ढूंढ में पाताल पुरी तक पहुंच जाते है और फिर वहाँ उन्हें पाताल के द्वार पाल यानी मकरध्वज से हुआ। और जब हनुमान जी ने उनका परिचय पूछा तो मकरध्वज ने बताया कि वे श्रीहनुमान जी के पुत्र है। 

इतना सुनते ही हनुमानजी आग बगूले हो जाते और मकरध्वज से कहते है कि तुम्हें पता है ना कि तुम क्या कह रहे हो मै पूर्णरूप से ब्रह्मचारी हूँ। मकरध्वज कहते है मैं जानता हूँ महाराज परन्तु जब आप लंका दहन करके समुद्र के ऊपर से गुजर रहा था तो आपकी पसीने की बूंद एक मछली ने अपने मुंह में लिया और वह गर्भवती हो गयी। कुस समय के बार रावण के सैनिक उस मछली को पकड लेते है और जब उसका पेट काटते है तो वहाँ से मेरा जन्म होता है। रावण सबकुछ समझ लेता था कि मैं किसका पुत्र हूं इसी लिए मुझें पाताल का द्वार पाल बना दिया।

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