Tuesday 12 March 2024

Purush hona aasan nahi poem in hindi पुरुष होना आसान नहीं पर कविता

Purush hona aasan nahi poem in hindi पुरुष होना आसान नहीं पर कविता 

पुरुष और स्त्री में भेद नहीं मालूम पर इतना कहता हूँ ।
जनाब पुरुष होना आसान नहीं होता,
कभी तूफान तो कभी शमशान बन जाता है ।
आधी उम्र जिम्मेदारी समझने में गुजर जाती है।
बाकी जीवन जिम्मेदारी निभाने में गुजर जाती है ।
बचपन से उसे लडके होने का एहसास जताया जाता है ।
रोना भी नसीब नहीं उसे धमकाया जाता है ।
नौकरी की दौड में खुद से कश्मकश करता है।
टूटता कई बार है पर उसे जिम्मेदारी थाम लेती है ।
जवान बेटा घर में रहे तो सब ताने मारते है ।
काम के बोझ समय न दो तो लापरवाह कहलाता है ।
वह हर किसी की तकलीफें समझता है ।
तकलीफें समझता है सबकी खुद जिक्र नहीं करता ।
मां से प्रेम करे तो मां का गुलाम कहलाता है ।
बीबी घुल-मिले तो बीबी का गुलाम कहलाता है ।
बच्चों को डांटने समझाने पर निर्दयी कहलाता है ।
कुछ ना भी कहे तो लापरवाह कहलाता है ।
पत्नी कहे अगर की नौकरी करना आसान है ।
तो सुनिए नौकरी नौकरी नहीं गुलामी होती है ।
कभी न चाहकर भी गलत सहना पढता है ।
हुक्म का इक्का हर पल रहना पडता है ।
घिन आती है तब जब तकलीफ बहुत मिलती है ।
कभी-कभी तो नौकरी छोडने का भी जी करता है ।
मगर फिर से परिवार व जिम्मेदारी  धकेल देती है ।
हमसे ही सबकी ख्वाइशें जुडी होती है ।
मगर कोई हमारी ख्वाइशों के बारे में नही पूछता ।
एक एक पैसा कसे जोडता है ये समझो, 
अपनी खुशियाँ,तकलीफ,सपनें,स्वास्थ्य सब लुटा देता है ।
अन्दर से कितना भी टूटे फिर भी मुस्कुराना पडता है।
थोडी सी नोक-झोंक पर पत्नी तलाक मांगने लगती है।
पलभर में तोड रिश्ता जीवन पहाड बना देती है ।
पुरूष रोता नहीं तो क्या उसमें दिल नहीं है ।
बिखर न जाए परिवार खुद में ही सहम जाता है।
जिम्मेदारियों के बोझ तले कई अरमान दबा देते है।
जनाब पुरूष होना आसान नहीं होता ।

0 comments: