Tuesday 17 August 2021

Poem on mother's love माँ के त्याग और बलिदान पर कविता, शायरी

Poem on mother's love माँ के त्याग और बलिदान पर कविता, शायरी 
Poem On Mother's Love माँ के त्याग और बलिदान पर कविता, शायरी

माँ तुम हो शक्ति स्वरूपा

जाने वो कौन सा दौर था जब ईश्वर ने तुझको प्रतिरूप दिया ।
उनके मन मे कोई कल्पना थी एक शक्ति को धरा पर बिठाना है 
हो सके इस धरा का कल्याण ऐसी इक शोच को ठाना था।
सारे नियम ,धर्म, त्याग, बलिदान तुझको है उपहार दिया ।
हर परीक्षा, तप,परेशानियों से तुझे है हर वक्त गुजरना।
प्रेम का बीज उत्पन्न करके इस धरा को स्वर्ग बनाना है ।
हे नारी तेरा तिरस्कार करे जो तीनो लोकों मे न टिक पायेगा ।
तेरा मन खिन्न हुआ तो कोई भी देव न मना पायेगा ।
तू है  उस ईश्वर की कल्पना उसको भी अभिमान है खुद पर ।
तेरा दर्द तो ईश्वर न समझा यह इन्सान क्या समझ पायेगा ।
तेरा हृदय तो ललित कली है हर फरमान न जान सकेगा ।
तू देवी है तू ही शक्ति तुझसे ही त्रिभुवन है टिका।
तू है तो अस्तित्व धरा का अमर रहे बलिदान तेरा ।
काल पर भी अधिकार है तेरा ज्वाला तेरे हृदय मे है।
तू शान्ति का प्रतिबिंब भी है तू काली का रूप भी है।
अमर रहे स्वाभिमान तेरा न जग समझा न समझेगा ।
अपने अंकुर बोते जा येही है बलिदान तेरा।
तू है उस ईश्वर की कल्पना उसको भी अभिमान है खुद पर।

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