Saturday 21 January 2023

Samas Definition in Hindi: समास-परिचय (Compound) परिभाषा, अर्थ एवं भेद

Samas Definition in Hindi: समास-परिचय (Compound) परिभाषा, अर्थ एवं भेद 

परिभाषा (Definition) -

दो या दो से अधिक पदों से मिलकर बना वह नया शब्द, जिसका अर्थ भी बदल जाए, सामासिक/संयुक्त पद समस्त पद या समास कहलाता है। 

समास के भेद (Kinds of Compound)
1- तत्पुरुष समास (Determinative Compound)
2- कर्मधारय समास (Appositional Compound)
3- द्विगु समास (Numeral Compound)
4- द्वंद्व समास (Copulative Compound)
5- बहुव्रीहि समास (Attributiv Compound)
6- अव्ययीभाव समास (Adverbial Compound)

1. तत्पुरुष समास (Determinative Compound) - जिस संयुक्त पद का उत्तरपद ( बाद वाला) प्रधान हो तथा दोनों पदों में कारक चिह्नों का लोप हो तो उसे तत्पुरुष समास कहते हैं; जैसे-देवालय, वनगमनं, सूर्यास्त, देशांतर, पथभ्रष्ट, स्वर्गप्राप्त आदि। तत्पुरुष समास में कर्त्ता को छोड़कर शेष सभी कारक भेदों का प्रयोग होता है। समास का निर्णय विग्रह के बाद ही होता है।
समस्त पद             समास-विग्रह
फलप्राप्त                           फल को प्राप्त
तुलसीकृत                         तुलसी द्वारा कृत
शिवालय                           शिव के लिए मंदिर
पथभ्रष्ट                              पथ से भ्रष्ट
गंगाजल                            गंगा का जल
हस्तगत                            हाथ में आया हुआ


2. कर्मधारय समास (Appositional Compound) - जिस संयुक्त पद के दोनों पदों में विशेषण विशेष्य या उपमेय- उपमान का संबंध हो, ऐसे पद कर्मधारय समास कहलाते हैं; जैसे - मुखचंद्र, श्वेतवसन, नीलाकाश, कृष्णसर्प, चरण-कमल आदि ।
समस्त पद    समास-विग्रह
(क) मुखचंद्र      चन्द्रमा के समान       मुख उपमेय, उपमान चंदमा ।
(ख) श्वेतवसन    सफेद कपड़ा   श्वेत विशेषण, वसन विशेष्य ।
(ग) नीलाकाश   नीला आकाश नीलेविशेषण, आकाशविशेष्य ।

3. द्विगुसमास (Numeral Compound)-
जिस संयुक्त पद का पहला पद संख्यावाचक विशेषण हो, किंतु यह संख्या इसी रूप में परम्परागत मान्य हो अर्थात् संख्या का यही समूह प्रचलित हो तो वहाँ द्विगु समास होता है; जैसे— पंचपात्र, नवरात्र, सप्तर्षि,नवरस, सप्तस्वर

समस्त-पद      समास-विग्रह
(क) पंचपात्र         पूजा के काम में आने वाले विशेष पाँच बर्तन।
(ख) नवरात्र           दुर्गा की पूजा से संबद्ध नौ रात्रियाँ (विशेष) ।
(ग) सप्तर्षि            सात पौराणिक ऋषियों का समूह।
(घ) नवरस            नौ रसों का समूह।
(ङ) सप्तस्वर         सात स्वरों का समूह।

4. द्वंद्व समास (Copulative Compound)- 
वह संयुक्त पद, जिसके दोनों पद प्रधान हों अर्थात् दोनों ही समान हों, उन्हें द्वंद्व समास कहते हैं। इन पदों के बीच योजक चिह्न लगा रहता है, इनके बीच में 'और' अथवा 'या' का लोप रहता है; जैसे- सीता-राम, राम-लक्ष्मण, माता-पिता, दिन-रात
समस्त पद             समास विग्रह
(क) सितार-राम                  सीता और राम
(ख) राम-लक्ष्मण                 राम और लक्ष्मण |
(ग) माता-पिता                   माता और पिता
(घ) दिन-रात                      दिन और रात

5. बहुव्रीहि समास-
वह संयुक्त पद है, जिसके दोनों ही पद प्रधान न हों, वरन दोनों को जुड़े किसी नए, प्रसिद्ध प्राणी प्राणी/ वस्तु का बोध हो तो वहां बहुव्री समास होता है; जैसे- आसनन, लम्बोदर, त्रिशूलधारी, चक्रधारी
समस्त पद              समास विग्रह
(क) दसानन           दस हैं आनन (मुख) जिसके अर्थात् रावण
(ख) लम्बोदर         लार्न है उदर (पेट) जिसका अर्थ है गणेशजी
(ग) त्रिशूलधारी       त्रिशूल धारण करने वाले अर्थात् शिव
(घ) चक्रधारी          चक्र को शस्त्र रूप में धारण करने वाले अर्थात् विष्णु।

6. अव्ययीभाव समास (Adverbial Compound) - जिस संयुक्त पद का पहला पद अव्यय हो तथा इसी की प्रधानता हो,वहाँ अव्ययीभाव समास होता है; जैसे—प्रतिदिन, भरपेट, यथाक्रम
समस्त पद           समास विग्रह
(क) प्रतिदिन                    एक-एक दिन
(ख) भरपेट                      पेट के भरने तक
(ग) यथाक्रम                    जैसा क्रम हो, वैसा
(घ) यावज्जीवन               जब तक जीवन है, तब तक



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