Friday 6 March 2020

गायत्री मंत्र का वैजानिक महत्व एवं उपयोगिता ,How powerful is gayatri mantra

कितना शक्तिशाली है गायत्री मंत्र 
How powerful is gayatri mantra

गायत्री मंत्र का वैजानिक महत्व एवं उपयोगिता 

Gayatri Mantra's legal importance and utility


दोस्तों हमें गर्व है कि हम भारत जैसे देश में पैदा हुए है जहां हमारे शास्त्रों,तथा वेदों में वर्णित मंत्रों की शक्तियाँ विचरण कर रही है। और उन्ही वेदों का एक महत्त्वपूर्ण मंत्र है जिसकी महत्ता यानी शिव के लगभग बराबर मानी जाती है। क्योंकि शिव में ही सम्पूर्ण सृष्टि समायी हुयी है। यह यजुर्वेद के मन्त्र ' भूर्भुवः स्वः' और ऋग्वेद के छन्द 3.62.10 के अंक से है,Why is Gayatri Mantra powerful in hindi इस मंत्र में सवितृ देव की उपासना है इसलिए इसे सावित्री यानी माता के रूप में भी कहा जाता है।गरुडपुराण के सूत्र व रहस्यमय श्लोक 

 Why is Gayatri Mantra powerful in hindi गायत्री में अनेकों शक्तियां एवं उपयोगिता छिपी हुई है, सर्वकामना को पूर्ण करने वाला यह मंत्र दैवीय शक्तियों से विख्यात है, गायत्री के तीन पद होते हैं (त्रिपदा वै गायत्री)। अतएव जब छंद या वाक के रूप में सृष्टि के प्रतीक की कल्पना की जाने लगी तब इस विश्व को त्रिपदा गायत्री का स्वरूप माना गया। How powerful is gayatri mantra in hindi जब गायत्री के रूप में जीवन की प्रतीकात्मक व्याख्या होने लगी तब गायत्री छंद की बढ़ती हुई महिता के अनुरूप विशेष मंत्र की रचना हुई,तथा मानव के कल्याण के लिए व अपने द्वारा किए गये कर्मों का फल भोगने के लिए व समस्त बाह्य जगत की शक्तियों को अपने अन्दर समाहित करने के लिए इस मंत्र की रचना हुयी है।50-

गायत्री मंत्र 
ओ३म् भूर्भुवः स्वः। तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि । धियोयो नः प्रचोदयात्।

सम्पूर्ण भावार्थ - उस प्राणस्वरूप, दु:ख नाशक, सुख स्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देव स्वरूप परमात्मा को हम अन्तरात्मा में धारण करें। वह ईश्वर हमारी बुद्धि को सन्मार्ग पर प्रेरित करे। तथा हमे अच्छे मार्ग की ओर प्रशस्त करे।

गायत्री मंत्र के हर अक्षर व शब्द का अलग-अलग महत्व है,जो अपने आप में अलौकिक है--

Every letter and word of Gayatri Mantra has different importance, which in itself is supernatural


= सबभी की रक्षा करने वाला हर कण कण में मौजूद है जो यानी (शिव)

भू = पूरे संसार के जीवन का आधार और प्राणों से भी प्रिय (पृथ्वी)

भुवः = सभी दुःखों से रहित, जिसके साथ से सभी दुखों का नाश हो जाता है,और मोक्ष प्राप्त होता है।

स्वः = वो स्वयं:, जो सम्पूर्ण जगत के जीवों और वनस्पतियों का धारण करते हैं,

तत् = उस परमात्मा के रूप को हम सभी

सवितु = जो सम्पूर्ण जगत का उत्पादक है।

र्वरेण्यं = जो स्वीकार करने योग्य बहुत श्रेष्ठ है,

भर्गो = शुद्ध स्वरूप और पवित्र करने वाला चेतन स्वरूप है,

देवस्य = भगवान स्वरूप जिसकी प्राप्ति सभी करना चाहते हैं,

धीमहि = धारण करें,

धियो = बुद्धि को

यो = जो देव परमात्मा

नः = हमारी

प्रचोदयात् = प्रेरित करें, अर्थात बुरे कर्मों से मुक्त होकर अच्छे कर्मों में लिप्त हों। और पूरे ब्रह्माण्ड का ज्ञान निहित हो सके।

गायत्री मन्त्र की शक्ति का वर्णन--- 

Description of power of gayatri mantra

गायत्री मन्त्र सद्बुद्धि को प्रदान करने वाला मन्त्र है। जिसमें एक ऐसी विलक्षण सामर्थ्य है, कि यह उपासक के हृदय और मस्तिष्क पर आश्चर्यजनक प्रभाव डालता है। उसे आध्यात्म से जोड सकती है। इस महामंत्र की उपासना करने से तथा इसके उच्चारण मात्र से– अंतःकरण यानी आंतरिक मन स्वच्छ होता है,तथा व्यक्ति के हृदय में समाई हुई,कुरीतियों, कुविचारों जैसे काम, क्रोध, लोभ, मोह, ईर्ष्या और द्वेष,आचरण,हाव-भाव,मिथ्या,भ्रम, आदि दूर होकरके पवित्रता प्रदान करती है।

सभी दुखों का कारण अविद्या (अज्ञान) ही माना गया है। और जब ज्ञान शून्य हो जाता है तो व्यक्ति के अन्दर बेईमानी, झगड़ा, आलस्य, अशक्ति, अभाव और चिंता आदि जितने भी अवगुण है,वह व्यक्ति के शरीर तथा हृदय में जन्म लेने लगते है।  इन्हीं के कारण मनुष्य स्वयं गलती करके बेवजह दुखी होता रहता है ।

गायत्री मन्त्र में ही वह शक्ति है जो कुबुद्धि को दूर कर सद्बुद्धि और सद्विचारों का निर्माण करती है ।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो जिन लोगों की स्मरण शक्ति कमजोर हो चुकी है, ऐसे लोगों को यह गायत्री मंत्र शक्ति प्रदान करता है। और उन्हे सबल तथा विचारों की प्रांगणता देकर उसका समस्त विकास करती है। गायत्री मंत्र का जाप जीवन में सुख वैभव तो देता ही है किन्तु उसे सांसारिक मोह से परे रहने की युक्ति भी बताता है, समस्त विद्याओं को भी प्रदान करता है।


क्या कारण है कि गायत्री मन्त्र को 108 बार ही जापते हैं?

What is the reason that Gayatri Mantra is chanted 108 times only

मंत्रों में गूढ रहस्य व शक्तियाँ समाहित होती है,और इसका अपना उद्देश्य भी होता है और महत्व भी, क्योंकि हमारे ब्रह्मांड जगत में 9 ग्रह होते है,और 28 नक्षत्र होते हैं। जब 9 ग्रह इन 12 नक्षत्रों के चारों ओर घूमते हैं, तो इनसे निकलने वाले 108 प्रकार के प्रभाव के कारण अच्छे व बुरी शक्तियाँ प्रवेश करती हैं। इन प्रभावों के कार हमारे अन्दर नकारात्मक भाव उत्पन्न होते है। इन्हीं नकारात्मक प्रभावों को सकारात्मक में बदलने के लिए गायत्री मंत्र का जाप व उच्चारण अहम भूमिका निभाता है, क्योंकि व्यक्ति का निर्माण सकरात्मक ऊर्जा से सुधर होना सम्भव है।

गायत्री मंत्र-जाप के अलौकिक फायदे-
Gayatri Mantra - Supernatural Benefits of Chanting

वैसे तो गायत्री मंत्र के लाभो के बारे में बताना सम्भव नही है,और ना ही मै अपने आप को सक्षम समझता हूँ। यह मंत्र तो तो अपने आप में दिव्य है। सागर की तरह अथाह शक्ति इसमें समाहित है, अकाल मृत्यु भी इस मंत्र से भयभीत हो जाती है। यह सर्व सुखोंको प्रदान करने वाली तथा मोक्ष प्राप्ति का भी साधन बताया गया है।

कुछ विशेष फायदे इस प्रकार से है--


1- इस मंत्र से सकारात्मकता बढ़ती है (This mantra increases positivity)

अगर आप नित्य इस मंत्र का उच्चारण करते है तो आपके अन्दर कभी भी नकारात्मक भाव उत्पन्न नही होंगे, आपकी सोच प्रबल होखी और समाज में आपकी प्रतिष्ठा व मान-सम्मान का विस्तार होगा।

2- त्वचा व ललाट में चमक तथा तेज होगा (Will brighten and brighten skin and frontal

यह वैदिक मंत्र है, और यह सदैव उपासक के ऊपर चक्र बनाये रखता है, उसकी शरीर की बनावट ही किसी दिव्य पुरूष की भांती प्रतीत होती है।

3- मन में बुराईयों का अभाव होता है(There is a lack of evil in the mind

जहां गायत्री मंत्र निवास करता है वह पूर्ण रूप से पवित्र हो जाता है, किसी के प्रति भी मन में कोई बुरा भाव उत्पन्न नहीँ होता है।सभी को वह ईश्वर का अंश मानकर जीवों तथा मनुष्यों को पूजने लगता है।

4- धर्म और सेवा कार्यों में प्रांगणता होना(Have a crush on religion and service

इस मंत्र के प्रभाव से व्यक्ति आस्तिक प्रवृत्ति का बन जाता है, धार्मिक कार्यों के प्रति उसका रुझान बडता है, मन में बुरे विचार आने बंद हो जाते है उसमेआपरोपकार की भावना जागृत होती है। आस्था में विस्वास करने लगता है, और उसे ही मोक्ष का मार्ग मानता है।

5- विद्या प्राप्ति का साधन(Means of learning

गायत्री को ज्ञान की अधीष्ठात्रि माना गया है,और यह सदैव विद्यार्थियों पर समर्पित रहती है। विद्यार्थियों के लिए यह मंत्र बहुत लाभदायक है ,इस मंत्र के जाप से याद्दाश्त बढ़ती है , एकाग्रता में वृद्धि होती है  तथा पढ़ने में मन लगने लगता है ।और सफलता की ऊंचाइयों को छूता है।


6-  गरीबी को दूर करने में सहायक–(Helpful in alleviating poverty

 अगर आपके व्यापर में हानि हो रही है,या व्यापर नहीं चल रहा है ,ग्राहकों में अचानक कमी आ गई है तो या नौकरी में परेशानी आ रही है तो ज्ञातृ मंत्र को शुक्रवार  विधिवत प्राण प्रितिष्ठित अभिमंत्रित व गायत्री मंत्र के जप से सिद्ध कर पूजा कक्ष में स्थापित करे लगातार प्रतिदिन गायत्री मंत्र का जप चन्दन या तुलसी  माला से 108 बार यानि १, माला अवश्य जप करे |


7-  रोग निवारण गायत्री मंत्र -(
Disease prevention gayatri mantra

इस मंत्र से रोगों से लडने में शक्ति प्राप्त होती है,अगर आप किसी रोग ग्र्स्त है और रोग से  मुक्ति चाहते है तो शुद्ध मुहूर्त में कैसे के पत्र में स्वच्छ जल भरकर रख ले एवम उसके सामने लाल आसान पर बैठकर ॐ ऐ हीं क्लिं का सम्पुट लगाकर  मंत्र का रुद्राक्ष  जप करे फिर उस जल को रोगी को पीला दे ,गंभीर से गंभीर रोग का नाश हो जायेगा।

8- क्रोध शांत होता है-(Rage cools

तनमयता से किया गया मंत्र जाप से व्यक्ति का क्रोध भी अपने वश में हो जाता है, कारण कोई भी हो वह उस अलौकिक क्षण में अपने आप को रोक पाने में सक्षम रहता है। क्योंकि क्रोध दोना तरह से आता है कारणवश और अकारण वश ।


प्रमुख गायत्री मंत्रो की सूची-(List of major Gayatri Mantras


हमारे शास्त्रों में गायत्री मंत्र कयी प्रकार के होते है लगभग सभी देवताओं तथा देवियों के गायत्री है जिसके जप मात्र से सर्वार्थ सिद्धि प्राप्त हो जाती है, गायत्री मंत्र देवी स्वरूप माना जाता है और देवी अपनी शक्तियों से भक्तों का उद्धार करती है।
आपको कुछ प्रसिद्ध गायत्रियों से अवगत करा रहे है,जो निम्न प्रकार से है।

1- ब्रह्मा गायत्री मंत्र –
ऊँ वेदात्मने च विद्महे हिरण्य गर्भाय धीमहि, तन्नो ब्रह्मा प्रचोदयात्।

2- सरस्वती गायत्री मंत्र –
ऊँ ऎं वाग्देव्यै च विद्महे कामराजाय धीमहि, तन्नो देवी प्रचोदयात्।

3- राम गायत्री मंत्र –
ऊँ दशरथये विद्महे सीतावल्लभाय धीमहि, तन्नो राम: प्रचोदयात्।

 4- सीता गायत्री मंत्र –
ऊँ जनकाय विद्महे राम प्रियाय धीमहि, तन्नो सीता प्रचोदयात्।

 5- हनुमान गायत्री मंत्र –
ऊँ अंजनीजाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि तन्नो हनुमान् प्रचोदयात्।

 6- कृष्ण गायत्री मंत्र –
ऊँ देवकी नन्दनाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि, तन्नो कृष्ण: प्रचोदयात्।

7- विष्णु गायत्री मंत्र –
ऊँ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विष्णु: प्रचोदयात्।

8- लक्ष्मी गायत्री मंत्र –
ऊँ महादेव्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि, तन्नो लक्ष्मी: प्रचोदयात्।

9- नारायण गायत्री मंत्र
ऊँ नारायण: विद्महे वासुदेवाय धीमहि, तन्नो नारायण: प्रचोदयात्।

11- नरसिंह गायत्री मंत्र -
ऊँ उग्र नरसिंहाय विद्महे वज्रनखाय धीमहि, तन्नो नृसिंह: प्रचोदयात्।

12- शिव गायत्री मंत्र –
ऊँ महादेवाय विद्महे रुद्र मूर्तये धीमहि, तन्नो शिव: प्रचोदयात्।

13- रूद्र गायत्री मंत्र –
ऊँ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्।


14- गौरी गायत्री मंत्र –
ऊँ सुभगायै च विद्महे काम मालार्य धीमहि, तन्नो गौरी प्रचोदयात्।


15- गणेश गायत्री मंत्र -
ऊँ तत्पुरुषाय विद्महे वक्र तुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ति प्रचोदयात्।

16- सूर्य गायत्री मंत्र –
ऊँ भास्कराय विद्महे महातेजाय धीमहि, तन्नो सूर्य: प्रचोदयात्।

17- भौम(मंगल) गायत्री मंत्र -
ऊँ अंगारकाय विद्महे शक्ति: हस्तात धीमहि, तन्नो भौम: प्रचोदयात्।

18- अग्नि गायत्री मंत्र –
ऊँ महाज्वालाय विद्महे अग्नि मध्न्याय धीमहि, तन्नो अग्नि प्रचोदयात्।

19- काम गायत्री मंत्र –
ऊँ मन्मथेशाय विद्महे काम देवाय धीमहि, तन्नो अनंग प्रचोदयात्।

20- गुरु गायत्री मंत्र –
ऊँ गुरु देवाय विद्महे पर ब्रह्माय धीमहि, तन्नो गुरु: प्रचोदयात्।

21- तुलसी गायत्री मंत्र –
ऊँ श्रीत्रिपुराय हृदयाय तुलसीपत्राय धीमहि । तन्नो तुलसी प्रचोदयात्।

22- देवी गायत्री मंत्र –
ऊँ देव्यै ब्रह्माण्यै विद्महे महाशक्त्यै च धीमहि, तन्नो देवी प्रचोदयात्।

23- शक्ति गायत्री मंत्र –
ऊँ सर्व सम्मोहिन्यै विद्महे विश्वजनन्यै धीमहि, तन्नो शक्ति प्रचोदयात्।

24 अन्नपूर्णा गायत्री मंत्र –
ऊँ भगवत्यै च विद्महे माहेश्वर्यै च धीमहि, तन्नो अन्नपूर्णा प्रचोदयात्।

25- काली गायत्री मंत्र 
ऊँ कालिकाये च विद्महे श्मशान वासिन्यै धीमहि, तन्नो अघोरा प्रचोदयात्।

26- भैरवी गायत्री मंत्र –
ऊँ त्रिपुरायै च विद्महे भैरव्यै च धीमहि, तन्नो देवी प्रचोदयात्।

27- बगलामुखी गायत्री मंत्र -
ऊँ बगुलामुख्यै च विद्महे स्तंभिन्यै च धीमहि, तन्नो देवी प्रचोदयात्

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