Sunday 25 April 2021

Poem on the future of humans in hindi मानव बिना धरती का जीवन Poem on Nature

Poem on the future of humans in hindi मानव बिना धरती का जीवन Poem on Nature

दोस्तों नमस्कार आज हम धरती तथा मानव के अस्तित्व पर कविता,शेरो शायरी लेकर आए है।आज दुनियाभर में वैश्विक महामारी बनकर फैले कोरोना corona वायरस का प्रकोप दिनों दिन बढ़ता जा रहा है, जिसके चलते दुनियाँ का जीवन अस्त-व्यस्त हो रखा है। Covid-19 in hindi लोग घरों के अन्दर कैद हो गये है। मानव का अस्तित्व खतरे में है। अगर ऐसा हुआ तो पृथ्वी विना मानव के कैसी लगेगी। Earth day poem in hindi प्रकृति मानव जीवन के लिए मां के समान है क्योंकि प्रकृति के बिना जीवन की कल्पना नही की जा सकती है।पर्यावरण प्रदूषण करके

environmental pollution in hindi आज तमाम बीमारियों का कारण खुद मानव ही है,जिस कारण मानव के जीवन पर ही नहीं कयी अन्य जीवों के जीवन का अस्तित्व भी समाप्त हो गया है। प्रकृति हमें जीवन यापन करने के लिए बहुत सारे संसाधन उपलब्ध करवाती है जिसका उपयोग कर मनुष्य जीवन सरल और सुखमय बनते हैं।Earth Crisis in hindi  मनुष्य ने अपनी खुशी के लिए तमाम जंगल काट दिए है,इसके बिना जीवन कैसे सम्भव है।Life without forests in hindi लेकिन अफसोस इस बात का है कि मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए प्रकृति का गलत इस्तेमाल कर रहा हैं। इसीलिए आज पूरी धरती दूषित हो चुकी है।Environmental pollution in hindi जिसके परिणाम स्वरूप पृथ्वी पर भयंकर महामारी उत्पन्न होती है जिसका असर संपूर्ण पृथ्वी पर होता है। आज हम इसी संकट पर कविता लेकर आए है। कविता का विषय है-मानव विना धरती का जीवन Human life without earth in hindi

Poem on Nature in hindi 

मानव बिना धरती का जीवन कैसा होगा
हरित-ललितमय पावन-पवित्र ऐसा जीवन होगा ।।
तेरे द्वारा बनाई हर चीज बेनकाब होगी
हर चीज जुवे में मानों बिखर सी जाएगी ।।
तेरे होने से धरती पर तम का आलम छायेगा
जाने कहाँ रौशनी जहाँ से गुलबंद हो जायेगी ।।
मानव बिना -----------------------------------।।
बिजली बिना तेरे उपकरणों का दम निकल जाएगा
इण्टरनेट भी इस जहाँ से आखिर अलविदा कह जाएगा ।।
अंतरिक्ष की सेटेलाइटों में महा संग्राम हो जाएगा
एक दूसरे से भिडकर आखिर ओ भी लुप्त हो जाएगा ।।
मानव बिना ------------------------------------।।
कुछ महीनों में ही आशा की किरण जाग जाएगी
धरती फिर से अपने वही पुराने रूप में नजर आएगी ।।
चमक उठेगी धरती फिर से स्वच्छ-जल-हवा लाएगी
मानव के फैलाए प्रदूषण से जब धरती मुक्त हो जाएगी ।।
मानव बिना ------------------------------------।।
विलुप्त जीव,वनस्पतियों में फिर से प्राण लौट आएगा
हरे-भरे वन-बागों से धरती फिर हरितमय कहलाएगी  ।।
तेरे द्वारा बनाई चीजों पर कुदरत अपना अधिकार जताएगी
तेरी हर वस्तु का आखिर नामो-निशान मिटाते जाएगी ।।
मानव बिना ------------------------------------।।
धरती के मौसम में फिर से वही बदलाव आएगा
पानी अधिक होने से प्रदूषण का नामो-निशान मिट जाएगा ।।
धीरे-धीरे शहर गांव जब जंगलों में बदल जाएंगे 
ए मंजर तब होगा मानव जब तेरा वजूद मिट जाएगा ।।
मानव बिना -------------------------------------।।
बांध-झीलों के बिखरने से नदियाँ फिर से छूम उठेगी
मानव रहित वसुधा सच में नई दुनियां कहलाएगी ।।
उन मासूम जीवों में फिर से वही मुस्कान लौट आएगी
तेरे होने से मानव जिन्होने आखिर  जीना छोड दिया था ।।
मानव बिना --------------------------------------।।
मानव बिना धरती के मौसम में बडा बदलाव आएगा
हर पहाडियों में फिर से सफेद चादर बिछ जाएगी ।।
पंछियों की चह-चाहट तथा नये जीवों का जनम होगा
बिना भय-हिंसा के जीवों में ममता प्रेम लौट आएगा ।।
मानव बिना ------------------------------------।।
हजारों साल बाद लगेगा जैसे मानव रहित धरती यह थी
तेरे होने की अगुवाई में प्लास्टिक दम तोडता दिख जाएगा ।।
जो कुछ छीना तूने धरती से वो सूत समेत लौटाएगा
आखिर तेरा अस्तित्व हे मानव मिट्टी में मिल जाएगा  ।।
आज नहीं तो कल मानव तुझको धरती से जाना होगा
तेरे रहते वन्य-जीवों का नामों-निशान मिट जाएगा  ।।
मानव बिना धरती का जीवन कैसा होगा
हरित-ललितमय पावन-पवित्र ऐसा होगा ।।

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