Sunday 5 March 2023

Definition Of Language : भाषा का अर्थ,परिभाषा व उनके प्रकार

Definition Of Language : भाषा का अर्थ,परिभाषा व उनके प्रकार

भाषा (Language)

मानव-जीवन को प्रकृति द्वारा प्रदत्त अनमोल उपहार है - 'भाषा'। भाषा का मानव-जीवन में अत्यधिक महत्त्व है अपनी इसी विशेषता के कारण मानव प्रकृति का सर्वश्रेष्ठ प्राणी है। भाषा संसार के व्यवहार का मूल है। हम सुख-दुख जो कुछ भी अनुभव करते हैं। उसे भाषा के माध्यम से ही अभिव्यक्त किया जा सकता है अर्थात् 'भाषा' ही मानव के पास एक ऐसा साधन है जिसके माध्यम से वह समाज में अपने विचारों का आदान-प्रदान करता है।

परिभाषा (Definition)
भाषा एक ऐसा समर्थ साधन है, जिसके द्वारा मनुष्य अपने मन के भावों और विचारों को लिखकर, पढ़कर या बोलकर दूसरों पर प्रकट करता है तथा दूसरे के कहे या लिखे भावों अथवा विचारों को समझता है।

संसार में अनेक भाषाएँ हैं - जैसे - हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी, चीनी, जर्मनी, रूसी और फ्रेंच आदि। भारत देश में अनेक भाषाएँ बोली जाती और पढ़ी जाती हैं; जैसे- बंगाल में बाँग्ला, गुजरात में गुजराती, महाराष्ट्र में मराठी, पंजाब में पंजाबी, तमिलनाडु में तमिल, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश में हिन्दी आदि । अधिकांश विद्यालयों में हिन्दी, अंग्रेजी तथा संस्कृत तीनों भाषाएँ पढ़ाई जाती हैं। कुछ विद्यालयों में पंजाबी आदि दूसरी अपनी भाषा भी पढ़ाई जाती है। संक्षेप में जूनियर कक्षाओं में त्रिभाषा सूत्र के अंतर्गत तीन भाषाएँ पढ़ाई जाती हैं, जिसमें भारत में हिन्दी अनिवार्य भाषा है।

एक भाषा के अंतर्गत कई बोलियाँ हो सकती हैं, जबकि एक बोली में कई भाषाएँ नहीं होतीं । बोली बोलनेवाले भी अपने क्षेत्र के लोगों से तो बोली में बातें करते हैं; किन्तु बाहरी लोगों से भाषा का ही प्रयोग करते हैं ।

ग्रियर्सन के अनुसार भारत में 6 भाषा-परिवार, 179 भाषाएँ और 544 बोलियाँ हैं—

(क) भारोपीय परिवार - उत्तरी भारत में बोली जानेवाली भाषाएँ।
(ख) द्रविड़ परिवार - तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम ।
(ग) आस्ट्रिक परिवार - संताली, मुंडारी, हो, सवेरा, खड़िया, कोर्क, भूमिज, गदवा, पलक, वा, खासी, मोनख्मे, निकोबारी ।
(घ) तिब्बती चीनी - लुशेइ, मेइथेइ, मारो, मिश्मी, अबोर-मिरी, अक ।
(ड़) अवर्गीकृत - बुरूशास्की, अंडमानी
(च) करेन तथा मन - बर्मा की भाषा (जो अब स्वतंत्र है )

भाषा के रूप (Kinds of the Language)

भाषा के तीन रूप हैं—
1- मौखिक भाषा -Oral Language
2- लिखित भाषा -Written Language
3- सांकेतिक भाषा-Sign language-

1- मौखिक भाषा-Oral Language- 
इसे भाषा का कथित (कहा हुआ) या वाचिक ( बोला हुआ) रूप भी कहते हैं। जब आमने-सामने बैठे व्यक्ति आपस में बात करते हैं या कोई व्यक्ति भाषण देता है अथवा मौखिक रूप से किसी विषय पर अपने विचार प्रकट करता है तो उसका यह मुख से कहना ही मौखिक भाषा कहलाता है। कक्षा में आचार्य/अध्यापक का बिना किताब के किसी विषय पर बोलना मौखिक भाषा ही है।

2- लिखित भाषा -Written Language- 
जब कोई व्यक्ति अपनी बात या अपने विचार अथवा भाव लिखकर प्रकट करता है, जैसा कि अखबारों में चिट्ठियों या किताबों में लिखा रहता है तो भाषा के उस लिखे हुए स्वरूप को लिखित भाषा कहते हैं।

3-सांकेतिक भाषा-Sign language-
जिन संकेतो के द्वारा बच्चे या गूँगे अपनी बात दूसरों को समझाते है, वे सब सांकेतिक भाषा कहलाती है।या जब संकेतों (इशारों) द्वारा बात समझाई और समझी जाती है, तब वह सांकेतिक भाषा कहलाती है।
जैसे- मूक-बधिर व्यक्तियों का वार्तालाप आदि।

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