Sunday 9 February 2020

द्वादशज्योतिर्लिङ्गस्मरणम्, श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रम्, श्री रुद्राष्टक

द्वादशज्योतिर्लिङ्गस्मरणम्,
श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रम्,
श्री रुद्राष्टक

Dvadashjyotirlinggasmaranam,
Shreeshivapanchakshastotram,
Shree rudraashtak

सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम् ।
उज्जायिन्यां महाकालमोङ्कारममलेश्वरम् ।।१।।

परल्यां वेद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम् ।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारूकावने ।।२।।

वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे ।
हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये ।।३।।

एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठे न्नरः ।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति ।।४।।

द्वादश ज्योतिर्लिंगों  की व्याख्या,महिमा व स्थान--

1- सोमनाथः--  श्री सोमनाथ काठिमाबाड प्रदेश के अन्तर्गत प्रभाप्त क्षेत्र में स्थित है,जिसके दर्शन व स्मरण मात्र से ही मुक्ति प्रदान होती है।

2- मल्लिकार्जुनः--  यह मद्रास राज्य के कृष्णा जिले मे कृष्णा नदी के किनारे स्थित है। इसे दक्षिण का कैलाश पर्वत भी कहते है, जो अपने आप में एक स्वर्ग का द्वार भी माना जाता है।

3-- महाकालेश्वरः-- मालवा प्रदेश में शिक्षा नदी के किनारे पर स्थित उज्जैन नगर मे श्री महाकालेश्वर विराजमान है। मान्यता है कि इनके दर्शन मात्र से काल भंवर में फसा व्यक्ति भी वापस आ जाता है। 

4-- ॐकारेश्वरः -- मालवा प्रांत मे ही स्थित यह दूसरा पुण्य तीर्थ नर्मदा नदी के किनारे स्थित है। जहां ॐकारेश्वर भगवान विराजमान है। मान्यता है कि यहां भोले नाथ के दर्शन मात्र से अभीष्ठ फलों की प्राप्ति होती है। 

५- वैद्यनाथः--  आन्ध्र प्रदेश के हैदराबाद नगर के किनारे पर भी नानक एक जंक्शन में थोडी दूर स्थित एक गांव मे विराजमान है। मान्यता है कि यह भगवान रत्नों तथा धन-धान्य को देने वाले हैं।

6- भीम शंकरः--  श्री भीमशंकर का स्थान मुम्बई से पूर्व और पूना से उत्तर भीमा नदी के किनारे सह पर्वत पर स्थित है। मान्यता है कि यह भगवान बल,बुद्धि, विद्या को देने वाले है।

7-- श्री रामेश्वरः-- यह धाम भी मद्रास प्रान्त के रामानन्द जिले मे ही स्थित है। जहां के दर्शन मात्र से अभीष्ठ फल व पित्रों को मुक्ति मिलती है।

8-- नागेश्वरः--  यह गोमती द्वारिका में ईशान कोण में लग-भग एक मील दूर पर स्थित है। मान्यता है कि इनके दर्शन से ऊपरी बाधाएं तथा संकटों से जूझने में सहायता मिलती है।

9-- श्री विश्वेश्वरः-- यह काशी में श्री विश्वनाथ जी के रूप में स्थित है।जिनके दर्शन से विश्व को जीतकर भवसागर पार करने की अनुमती मिलती है।

10-  श्री त्र्यम्बकेश्वरः-- यह ज्योतिर्लिंग मुम्बई प्रान्त के नासिक जिले में नासिक पंचवटी से 18 मील दूर ब्रह्मगिरी के निकट गोदावरी नदी के किनारे स्थित है। 

11-  श्री केदारनाथः-- यह उत्तराखण्ड  राज्य के चमोली जिले में हिमालय के केदार नामक श्रृंग पर स्थित है। मन्दाकिनी के किनारे श्री केदारनाथ विराजमान है। 

12-  श्री घुष्मेश्वरः-- इनका स्थान आन्ध्र प्रदेश के अन्तरगतशदौलताबाद स्टेशन में 12 मील दूर बैरूल गांव के पास है।

श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रम्,-Shreeshivapanchakshastotram

नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय् भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै ()काराय नमः शिवाय ।।१।।

मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय ।
मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय तस्मै (म)काराय नमः शिवाय ।।२।।

शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्दसूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय ।
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय तस्मै (शि)काराय नमः शिवाय ।।३।।

वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्यमुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय  ।
चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय तस्मै (व)काराय नमः शिवा।।४।।

यक्षस्वरूपाय जटाधराय पिनाकहस्ताय सनातनाय ।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय तस्मै (य)काराय नमः शिवाय
।।५।।

पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसन्निधौ ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ।।६।।

श्री रुद्राष्टक                                        Shree rudraashtak

नमामीशमीशान निर्वाणरुपम् ।
विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदस्वरूपम् ।।१।।

निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं ।
चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ।।२।।

निराकारमोङ्कारमूलं तुरीयम् ।
गिरा ज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् ।।३।।

करालं महाकाल कालं कृपालं ।
गुणागार संसारपारं नतोऽहम् ।।४।।

तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरम् ।
मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरम् ।।५।।

स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारु गङ्गा ।
लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा ।।६।।

चलत्कुंण्लमंभ्रू सुनेत्रं विशालम् ।
प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।।७।।

मृगाधीशचर्म्माम्बरं मुण्डमालम् ।
प्रियं शंङ्करं सर्वनाथं भजामि ।।८।।

प्रचण्डमं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशम् ।
अखण्डं अजंभानुकोटिप्रकाशम् ।।९।।

त्रयः शूल निर्मूलनं शूलपाणिम् ।
भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यम् ।।१०।।

कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी ।
सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी ।।११।।

चिदानन्द सन्दोह मोहापहारी ।
प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ।।१२।।

नयावद उमानाथ पादारविन्दम्।
भजंतीह लोके परे वा नराणाम् ।।१३।।

न तावत्सुखं शांति सन्तापनाशम् ।
प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासम् ।।१४।।

न जानामि योगं जपं नैव पूजाम् ।
नतोऽहं सदा सर्वदा शम्भु तुभ्यम् ।।१५।।

जरा जन्मदुखौध तातप्यमानम् ।
प्रभो पाहि आपन्नमा रीश शम्भो ।।१६।।

रूद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेणाहरतोषये ।
ये पठंति नरा भक्त्या तेषां शम्भु पर्सीदति ।।१७।।

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