Thursday 23 April 2020

12 महत्वपूर्ण विशिष्ट (प्रतिभाशाली) मेधावी बालकों की प्रमुख विशेषताएं जो बताते है सफलता important characteristics of talented (talented) meritorious children के सूत्र

12 महत्वपूर्ण विशिष्ट (प्रतिभाशाली) मेधावी बालकों की प्रमुख विशेषताएं जो बताते है सफलता के सूत्र 
12 important characteristics of talented (talented) meritorious children who tell the sources of success
Talented Childrens

इस आर्टिकल में सफलता पर आधारित महान लोगों के हिंदी सुविचार, Success Quotes in Hindi and सफलता सुविचार व अनमोल वचन  with Success Images photos  to download and share, Here we are adding some best motivational quotes in hindi, on success and best quotes on success in hindi for students to inspire, ऐसे ही super विचार आपके मन में नकारात्मक विचारों को दूर करके आपके भीतर जोश, उत्साह, उमंग, और गहरा आत्मविश्वास पैदा करेगा जिससे आप नकारात्मक विचार (negative thinking)छोड़कर सफलता के पथ पर अग्रसर हो जाएंगे,और खासकर विद्यार्थी जीवन के लिए,Best Success Quotes thoughts in Hindi for studentsसफलता पर अनमोल विचार और प्रसिद्द हस्तियों के कथन,बहुत ही लाभदायक सिद्ध होगाIndian womens in hindi gyansadhna.com

प्रतिभाशाली बालक कोई ईश्वरीय वरदान नहीं होता है, वे इसी रणभूमि मे तप कर अपने आपको हीरा बना देते है,और वही लोग समाज में अग्रणी भूमिका निभाते है।

भारत एक ऐसा ऐतिहासिक देश है जिसमें अनेकों योद्धाओं, वीरों तथा प्रतिभाशाली बालकों पुरूषो का जन्म हुआ है। इतिहास में ऐसे भी अनेक उदाहरण मिलते हैं , जो हमारे लिए प्रेरणा के स्रोत बने है, जिनसे विदित होता है कि अभिभावकों की जागरूकता के कारण कई महामानव अल्पायु में ही असंभव प्रतीत होने वाली प्रगति कर पाने में सफल हुए हैं।  उनी का जीवन सफल है।

1- वीर शिवाजी ने मात्र १३ वर्ष की आयु में ही तोरण का किला जीता था । 
2- अहिल्याबाई ने १८ वर्ष की आयु में ही राजकाज संभाल लिया था । 

3-  सिकंदर ने १७ वर्ष की आयु में ही शेरोनियाँ का युद्ध जीता था । 

4- अकबर ने १६ वर्ष की आयु में ही गद्दी संभाली और विशाल साम्राज्य को कुशलतापूर्वक चलाया था । 

5- संत ज्ञानेश्वर ने १२ वर्ष की आयु में ही गीता का ज्ञानेश्वरी भाष्य लिखा था । 

6- जगद्गुरु शंकराचार्य ने १६ वर्ष की आयु में ही अनेकों शास्त्रार्थ जीते थे । 
7- रवीन्द्र नाथ टैगोर ने १४ वर्ष की आयु में ही शेक्सपियर के नाटक ' मैकबैथ 'का बंगला अनुवाद किया था।

8- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने 10 वर्ष की आयु में ही यह कविता लिख डाली थी - ' ले ब्योडा ठाडे अरु अनिरुद्ध सुजान । 
बाणासुर की सेन को हनन चले भगवान ॥ 

9- बंगला कवयित्री तारादत्त १८ वर्ष की उम्र में ही विश्व विख्यात हो गयी थी।

10- हरीन्द्र चट्टोपाध्याय ने प्रथम नाटक अबूहसन १४ वर्ष की आयु में ही लिखा।

11- सरोजिनी नायड ने १३ वर्ष की उम्र में ही १३ सौ पॅक्तियों की बड़ी मर्मस्पर्शी कविता लिखकर साहित्य क्षेत्र में चमत्कार उपस्थित कर दिया ।

 12- परम पूज्य गुरुदेव आचार्य पं . श्रीराम शर्मा मात्र १० वर्ष की आग आध्यात्मिक जिज्ञासा जगने पर घर से हिमालय के लिए निकल पडे थे । बाल्यावरण में ही उनमें साधना की ओर गहन प्रवृत्ति जगी । १५ वर्ष की आयु में ही उन्हें माँ गायत्री का साक्षात्कार तथा गुरु का दर्शन हुआ था । बाल्यकाल से ही सेवा साधना में वे लीन रहने लगे थे । 

इन विवरणों से यह स्पष्ट है कि इन विलक्षण मेधावी संपन्न बालकों में जन्मजात - संस्कारों का महत्त्व तो है ही साथ उनकी पुरुषार्थ परायणता , प्रतिभा , लगन को समुचित पोषण देने वाले वातावरण तथा परिजनों को भी इसका श्रेय जाता है । कुछ करने से ही  कुछ हो पाता है, इसीलिए कर्म करते रहो, गलत भी होगा तो उससेषजरूर कुछ सीखने को मिलेगा खाली नही रहोगे।


प्रतिभाशाली मेधावी बालकों की महत्वपूर्ण 12 विशेषताएं12 Important features of talented talented children


1- जिन प्रतिभाशाली बालकों की बुद्धिलब्धि 120 से अधिक होती है । या जिन बालकों की बुद्धिलब्धि 140या इससे अधिक होती है । अन्य सभी वैज्ञानिक भी 120 या 140 से अधिक बुद्धिलब्धि वाले छात्रों को ही प्रतिभाशाली बालक मानते हैं ।

2- प्रतिभाशाली मेधावी बालक की सोच उच्चस्तर की होती है, वे हर समय कुछ नया करने के लिए प्रेरित रहते है।

3- प्रतिभाशाली बालकों का शारीरिक विकास अन्य बालकों की तुलना में अच्छा होता है । उनका स्वास्थ्य अच्छा रहता है । ऐसे बालकों का भावात्मक तथा मानसिक विकास भी अन्य बालकों की तुलना में उच्च कोटि का होता है ।

4- मेधावी बालको में नये ज्ञान का संचार स्वतः ही हो जाता है,और उनमें शब्दों का अपार भण्डार होता है।

5- प्रतिभाशाली बालकों में सीखने की गति अधिक होती है । इन बालकों की स्मरण शक्ति उच्च स्तर की होती है । ऐसे बालकों में अच्छी पुस्तकों को समझने की प्रवत्ति अधिक होती है । 

6- 
इन बालकों में सहभागिता एवं समानांतर करने की प्रवृत्ति तीव्र होती है।

7- सामाजिकता प्रतिभाशाली बालकों का सामाजिक चरित्र भी उच्च स्तर का होता है । ये बालक सामाजिक गुणों का आदान - प्रदान सरलता से कर लेते हैं।

8- प्रतिभाशाली बालकों में किसी भी विषय को सीखने की गति तथा उस विषय से संबधित प्रश्न तथा उत्तर देने की गति तीव्र होती है।

9- प्रतिभाशाली बालकों का दृष्टिकोण वैज्ञानिक होता है,उनमें खोजी प्रवृत्ति तीव्र होती है। 

10- प्रतिभाशाली बालक जीवन में घटित होने वाली सभी घटनाओं का बारीकियों से निरीक्षण करते हैं तथा विचार करते हैं । 

11- ये बालक खेल कूद में उत्कृष्ट होते हैं । और अच्छा प्रदर्शन भी करते है। और इनमें आत्मविश्वास की भी तीव्रता होती है।

12- पाठ्क्रम सम्बन्धी गतिविधियों तथा क्रियाकलापों में अत्यधिक उत्सुकता से भाग लेते हैं ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
अन्य सम्बन्धित लेख साहित्य-----

0 comments: