गरीबी एवं भूख पर अनमोल शायरी,सुविचार gareebi par thought on poverty and hunger
दोस्तों गरीबी एक ऐसा संयोग है जो मनुष्य को जीना सिखा देता है,वह इस भौतिक जगत से ऊपर उठ करके परमात्मा और आध्यात्म से जुड जाता है। क्योंकि जब तक भूख न हो तब तक दूसरों के दर्द का एहसास नहीं हो पाता, एक गरीब रोटी की कीमत समझता है,अन्न को मां का रूप मानता है। तो आज हम आपके लिए ऐसे ही गरीब पर शायरी अनमोल वचन एवं सुविचार लेकर आए है,जो आपको जीना सिखा देगी और आप हर गरीब की कद्र करना शुरू कर दोगे।
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1- एक पिता के पसीने छूट जाते है,बेटी की शादी में पीतल के गहने बनाने में ,जो अक्सर सोने की खदानों में काम किया करता है ।
2- चाहे गरीबी कहो उसकी या,कहो किस्मत खोटी थी,जिसे छुपाने में वह अक्सर, हर रोज रोजा उपवास करता था।
3- हूँ गरीब तन से मै,मन मे तो अमीरी का आलम है, छोड के मुंह का निवाला जब कोई,भूखा गुजरता सामने से है ।
4- राग नहीं साहब मै तो जीवन की तान सुनाने आया हू, झुलस रहे जो पेट की गर्मी से मै उनका दर्द लुटाने आया हूँ।
5- नहीँ होता सर पर साया जिन बच्चों के, देख हालात उनकी ऐसी मेरा तो कलेजा फट जाता है ।
6- न करना मजाक कभी उनसे ,जिनसे समय ने किया मजाक हो, सोच रहे है वो सभी कि हमारी ही किस्मत खराब है।
7- गरीबी की रुखसत जब दिल में उतर जाती है, सच पूछो यारों गरीब का बच्चा तो जिद करना ही भूल जाता है ।
8- गरीबी की नुकसत में मै इच्छाओं का दमन करता हूँ , दो पल की रोटी के लिए अक्सर जीवन पर दाव लगाता हूं ।।
9- लरजते ओठों पर गरीबी में वो ख्वा लिए फिरता है, आएगा दौर अपना भी वो हर पल आश लिए बैठा है ।।
10- क्या लेगा हिसाब वो खुदा मेरे गुनाहों, जिसने जीवन की तान पर रोटी गिन-गिन कर खाई हो ।
11-हाथों में छाले और पांव पर बेडियाँ पढ जाती है, जो गरीब दूसरों के आलीशान बंगलों को खडा करता है ।।
12- जिन टुकडों को अक्सर हम बेकार समझकर फेक देते है, कुछ बदनसीब लोगों का वो दिन का निवाला हुआ करता है ।।
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