Monday 27 February 2023

Patra Lekhan :हिन्दी पत्र लेखन की विशेषताएं,पत्र के अंग,पत्र के प्रकार

Patra Lekhan :हिन्दी पत्र लेखन की विशेषताएं,पत्र के अंग,पत्र के प्रकार

पत्र लिखना एक कला है।patra lekhan in hindi पत्र के माध्यम से हम अपने मनोभाव और विचार एक-दूसरे को पहुँचाते हैं; अतः पत्र संपर्क बनाए रखने में हमारा भरपूर सहयोग करते हैं। पत्र - लेखन की कला द्वारा लेखक के व्यक्तित्व का ज्ञान होता है और साथ-ही-साथ वह पाठकों को भी प्रभावित करता है। पत्र- लेखन का विषय घरेलू बातों से लेकर देश-काल की बातों तक ही नहीं, वरन् अब तो व्यापार भी इसी माध्यम से सम्पन्न हो रहे हैं;patra lekhan in hindi अतः अब पत्र महत्त्वपूर्ण बनते जा रहे हैं। इसलिए पत्र लिखते समय कुछ विशेष बातों का अवश्य ध्यान रखना चाहिए। इसके माध्यम से हम दूसरों का दिल भी जीत सकते हैं, मैत्री भाव, सद्भाव बढ़ा सकते हैं और समाज में अपना विशेष स्थान बना सकते हैं, किन्तु इसके लिए परिपक्व बुद्धि, विचारों की विशालता एवं उदारता, विषय का ज्ञान, अभिव्यक्ति की शक्ति और सुदृढ़ भाषा की आवश्यकता है।patra lekhan in hindi

पत्र की विशेषताएँ-letter features

1- सरलता-agility-
 पत्र में सरल, स्पष्ट और स्वाभाविक भाषा का प्रयोग करना चाहिए। कठिन शब्द अथवा साहित्यिक शब्दों से पत्र नीरस बन जाते हैं और जटिल भी ।

2- स्पष्टता-clarity
 भाषा स्पष्ट, किन्तु मधुर होनी चाहिए। शब्दों का उचित चुनाव, सरल, स्पष्ट वाक्य पत्र के विषय को समझाने में सहायक होते हैं।

3- संक्षिप्तता-brevity-
 पत्र में अनावश्यक विस्तार उचित नहीं। पत्र अपने आप में पूर्ण, किन्तु संक्षिप्त होना चाहिए।

4- उद्देश्यपूर्णता-purposefulness- 
पत्र का विषय अर्थात् कथ्य अपने आप में पूर्ण होना चाहिए। पत्र पढ़ने के बाद जिज्ञासा न शेष रहे; अतः कथ्य में स्वतः सम्पूर्ण पत्र होना चाहिए।

5- प्रभावोत्पादकता-effectiveness- 
पत्र की शैली प्रभावशाली होनी चाहिए। पाठक उसे पढ़कर प्रभावित हो । - लेखक के विचारों और भावों की छाप स्पष्ट झलकनी चाहिए। इसके लिए उचित मुहावरों, वाक्यों का नियोजन सोच-समझकर करना चाहिए ।

6- शिष्टता-chivalry- 
आवश्यकतानुसार भाषा में शिष्टता का प्रयोग आवश्यक है। सरकारी, व्यावसायिक - और अन्य औपचारिक पत्रों की भाषा-शैली शिष्टतापूर्ण होना चाहिए। नाराजगी, अस्वीकृति, शिकायत आदि भी शिष्ट भाषा में ही प्रकट करनी चाहिए |

7- आकर्षकता व मौलिकता-attractiveness and originality- 
पत्र के विषय के अतिरिक्त लेख भी ऐसा आकर्षक होना चाहिए कि वह पठनीय हो। कार्यालय सम्बन्धी पत्र (टाइप) टंकित करने चाहिए। भाषा मौलिक होनी चाहिए। आवश्यकतानुसार अपना वर्णन करना चाहिए, किन्तु दूसरे का वर्णन (प्राप्त करने वाले का) अधिक करना चाहिए।

8- चिह्नांकन-marking
पत्र में यथास्थान विराम-चिह्नों का प्रयोग करना आवश्यक है; जिससे लिखने वाले का अर्थ पढ़ने वाला सही ढंग से समझ सके और अर्थ का अनर्थ न हो। पत्र अनुच्छेदों में लिखना चाहिए। अल्प विराम, पूर्ण विराम, कोष्ठक, अर्द्ध विराम आदि के उचित प्रयोग से लेखक के भाव अधिक स्पष्ट होते हैं।

पत्र के अंग-letter parts-

1- प्रेषक का नाम व पता-Sender's name and address- पत्र में सबसे ऊपर लिखने वाले का पता नाम आता है। प्रेषक का पता सबसे उपर दायीं ओर होता है। सबसे नीचे फोन नम्बर तथा दिनांक आती है।

2- पत्र पाने वाले का नाम व पता-Name and address of the recipient of the letter- पृष्ठ की बायीं ओर पत्र पाने वाले का नाम व पता आता है और पाने वाले का विवरण इस प्रकार होना चाहिए- नाम, पदनाम, कार्यालय का नाम, स्थान ,शहर, जिला व पिन कोड ।

3- विषय संकेत-subject cues- 
औपचारिक पत्र में नाम पते के बाद विषय लिखा जाता है कि आपके पत्र लिखने का कारण क्या है।

4- सम्बोधन-speech- 
विषय के बाद आदर सूचक शब्दों का प्रयोग किया जाता है जैसे व्यक्तिगत पत्र में प्रिय लिखकर प्राप्त कर्ता का नाम दिया जाता है और कार्यालय पत्र में महोदय लिखा जाता है।

5- समापन सूचक शब्द-closing words-  
पत्र की समाप्ति पर इन शब्दों का प्रयोग किया जाता है जैसे- आपका आज्ञाकारी,  शुभचिंतक,  भवदीय आदि।

6- हस्ताक्षर व नाम-signature and name-  
समापन शब्द के ठीक नीचे हस्ताक्षर किये जाते है तथा कोष्ठक में भेजने वाले का पूर्ण पता व नाम लिखा जाता है।

7- पता-Address- 
लिफापा- अन्तर्देशीय पत्र या पोस्टकार्ड के बाहर अपना नाम लिख देना चाहिए। 

पत्रों के प्रकार-types of letters

विषय के अनुसार प्रेम पत्र, निमंत्रण-पत्र, विवाह-पत्र, शोक-पत्र, जन्मदिन - पत्र, संवेदना-पत्र, सामान्य पत्र आदि।
शैली- शिल्प की दृष्टि से पत्रों के दो वर्ग हैं - 
(1) अनौपचारिक पत्र, 
(2) औपचारिक पत्र

(1) अनौपचारिक पत्र-informal letter- 
जिनसे हमारा व्यक्तिगत सम्बन्ध होता है, उनके साथ अनौपचारिक पत्राचार किया जाता है। इसीलिए इन पत्रों में व्यक्तिगत सुख-दुःख का विवरण होता है। ऐसे पत्र अपने परिवार के लोगों, मित्रों तथा निकट सम्बन्धियों को लिखे जाते हैं।

(2) औपचारिक पत्र-formal letter- 
ये पत्र उन लोगों को लिखे जाते हैं, जिनसे हमारा कोई निजी परिचय नहीं होता। इनमें औपचारिकता और कथ्य संदेश ही मुख्य होता है तथा आत्मीयता गौण होती है। इनमें तथ्यों और सूचनाओं को अधिक महत्त्व दिया जाता है ।

औपचारिक पत्र विशिष्ट नियमों में आबद्ध पत्र होते हैं। औपचारिक पत्रों की परिधि इसके अनेकानेक रूप सम्भव हैं; 
जैसे— बहुत व्यापक है----
(1) सरकारी पत्र, 
(2) अर्द्धसरकारी पत्र, 
(3) व्यावसायिक पत्र, 
(4) पूछताछ पत्र, 
(5) सम्पादक के नाम पत्र, 
(6) अनुरोध पत्र,
(7) शोक पत्र, 
(8) आवेदन पत्र
(9) शिकायती पत्र
(10) निमन्त्रण पत्र 
(11) विज्ञापन पत्र 
(12) अनुस्मारक पत्र 
(13) स्वीकृति पत्र
(14) बधाई पत्र
(15) शुभकामना पत्र

0 comments: