Geeta Updesh in hindi : भगवत गीता के 5 सर्व शक्तिशाली श्लोकों में गीता का सार Popular 5 Shlokas of Bhagwad Geeta
दोस्तों आज हम गीता उपदेश के 5 सर्व शक्तिशाली श्लोक लेकर आए है,Geeta Shlok in Sanskrit to Hindi
हमारे सनातन धर्म में कई धार्मिक ग्रंथ हैं. जिनमें से एक है श्रीमद्भागवत गीता. इसमें लिखे भगवान कृष्ण के उपदेशों का आज भी लोग अनुसरण करें तो वे अपने जीवन में हर सफलता को प्राप्त कर सकते हैं,Geeta Shlok in Sanskrit to Hindi
गीता में लिखे उपदेश हर उम्र के व्यक्ति के लिए लाभकारी हैं, आइए जानते है इन पांच श्लोकों के बारे में ---
> 50 संस्कृत सुभाषितानी संस्कृत सुविचार एवं अनमोल
> जीवन पर 50 सर्वोच्च विचार व अनमोल वचन
> शास्त्रों के 65 संस्कृत सुभाषितानी
> संस्कृत में 40शिक्षाप्रद सूक्तियां
गीता उपदेश
श्रीकृष्णजी ने अपनी ओर से शान्ति स्थापित करने का पूर्ण प्रयत्न किया, परन्तु जब सभी उपाय असफल रहे युद्ध की घोषणा हो गई। दोनों सेनाएँ कुरुक्षेत्र के मैदान डट गईं। दुर्योधन ने भीष्मपितामह को अपना सेनाध्यक्ष में बनाया। पाण्डव सेना की बागडोर धृष्टद्युम्न के हाथ में थी । युद्धारम्भ होने से पूर्व अर्जुन ने कृष्ण से कहा कि मेरा रथ दोनों सेनाओं के मध्य में खड़ा करो, जिससे मैं यह देखूं कि मुझे किनके साथ संग्राम करना है। दोनों सेनाओं के मध्य में पहुँचकर अर्जुन ने देखा —दोनों सेनाओं में इष्टजन और सम्बन्धी, बन्धु-बान्धव, दादा, चाचा- ताऊ, मामा, गुरु और आचार्य खड़े हैं। उसका शरीर काँपने लगा। मस्तक पर पसीने की बूँदें छलकने लगीं। चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगीं। धनुष हाथ से छूट गया। " भगवन्! मैं नहीं लडूंगा।" ऐसा कहकर और गाण्डीव छोड़कर वह रथ के जूए पर बैठ गया।
इस समय श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिया वह भगवद्गीता के नाम से प्रसिद्ध है। श्रीकृष्णजी ने कहा-
Bhagwat Geeta shlok in hindi
भावार्थ - हे अर्जुन! तुम्हें युद्धस्थल में यह मोह कैसे उत्पन्न हुआ ? यह तो अनार्यों का कर्म है। यह न स्वर्ग देनेवाला है और न कीर्त्ति करनेवाला है।
Bhagwat Geeta shlok in hindi
क्लैब्यं मा स्म गमः पार्थ नैतत्वयुपपद्यते ।
क्षुद्रं हृदयदौर्बल्यं त्यक्त्वोत्तिष्ठ परन्तप ॥२॥
भावार्थ - अर्जुन! नपुंसकता मत दिखाओ। यह संदेश शोभा नहीं देता। हृदय की दुर्बलता त्याग और युद्ध कर ।
Bhagwat Geeta shlok in hindi
नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः ।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः ॥३॥
भावार्थ - अर्जुन ! आत्मा अमर है। शस्त्र इसे काट नहीं सकते। अग्नि इसे जला नहीं सकता, जल इसे गला नहीं सकता और वायु इसे सुखा नहीं सकता।
Bhagwat Geeta shlok in hindi
हतो वा प्राप्स्यसि स्वर्गं जित्वा वा भोक्ष्यसे महीम् ।
तस्मादुत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चयः ॥४॥
भावार्थ - अर्जुन ! यदि तू युद्ध में मर गया तो तुझे स्वर्ग के द्वार खुले मिलेंगे और यदि जीत गया तो पृथिवी का राज्य मिलेगा, अतः युद्ध के लिए निश्चय कर और खड़ा हो। श्रीकृष्ण के इस अमर एवं अद्वितीय उपदेश का अर्जुन पर आशातीत प्रभाव पड़ा। अर्जुन का मोह दूर हुआ। वह दुगुने जोश और चौगुने उत्साह से लड़ने के लिए तैयार हो गया।
Bhagwat Geeta shlok in hindi
सत्वं सुखे सञ्जयति रज: कर्मणि भारत।
ज्ञानमावृत्य तु तम: प्रमादे सञ्जयत्युत॥५॥
भावार्थ - इस भगवत गीता श्लोक में श्री कृष्ण अर्जुन से कहते है – “हे अर्जुन! सत्त्वगुण मनुष्य को सुख में बाँधता है, रजोगुण मनुष्य को सकाम कर्म में बाँधता है, और तमोगुण मनुष्य के ज्ञान को ढँक कर प्रमाद में बाँधता है
अन्य सम्बन्धित लेख साहित्य----
- संस्कृत सुभाषितानी, संस्कृत सुविचार
- मनुष्य जीवन पर सर्वश्रेष्ठसुविचार
> प्रेरित करने वाले सत्य वचन व सुविचार
> सफलता हासिल कैसे करे?सफलता पर सुविचार
> पिता पर सुविचार एवं अनमोल वचन
> क्रोध पर 21 महत्वपूर्ण सुविचार एवं अनमोल वचन
> सफलता व जीत पर सुविचार एवं अनमोल वचन
> समय के सदुपयोग पर सर्वोच्च विचार
> 50 संस्कृत सुभाषितानी संस्कृत सुविचार
> जीवन पर 50 सर्वोच्च विचार व अनमोल वचन
> महत्वपूर्ण 51 शिक्षाप्रद सूक्तियां एवं विचार
> संस्कृत में 40 शिक्षाप्रद सूक्तियां अर्थ सहित
> शास्त्रों के 65 संस्कृत सुभाषितानी संस्कृत सुविचार
0 comments: