सामान्य ज्ञान,इतिहास प्रश्नोत्तर
General study in histry
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1- ऋग्वेद मे 10 मंडल और 1028 सूक्त तथा 10462 ऋचाएं है।2- गायत्री मंत्र विश्वामित्र द्वारा रचित ऋग्वेद के तीसरे मंडल मे है।
3- महात्मा बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व मे हुआ था।
4- ईसा मसीह की जन्म तिथी से आरम्भ हुआ सन् ,ईसवी सन् कहलाता है।
5- ऋग्वेद मे इन्द्र के लिए 250 तथा अग्नि के लिए 200 ऋचाओं की रचना की गयी है।
6- यजुर्वेद तथा सामवेद मे किसी भी विशिष्ट ऐतिहासिक घटना का वर्णन नहीं मिलता है।
7- सबसे प्राचीन वेद ऋग्वेद तथा सबसे बाद का वेद अथर्ववेद कहलाया गया है।
8- पुराणों मे सबसे पुराना एवं प्रामाणिक पुराण मत्स्यपुराण है।
9- अथर्वा ऋषि के द्वारा रचित वेद मे कुल 731 मंत्र एवं 6000 पद्य है।
10- अधकतर सारे पुराण सरल संस्कृत भाषा मे लिखे गये है।
11- वेदों को समझने के लिए छः वेदांगों की रचना की गयी वे इस प्रकार से है----
शिक्षा, कल्प, ज्योतिष, व्याकरण, निरुक्त, छंद
12- अष्टाध्यायी संस्कृत भाषा व्याकरण की प्रथम पुस्तक है जिसके लेखक पाणिनी जी है।
13- अर्थशास्त्र के लेखक चाणक्य है जिनका वास्विक नाम---कौटिल्य या विष्णुगुप्त है।
14- अर्थशास्त्र को 15 अधिकरणों एवं 180 प्रकरणों में विभाजित किया गया है।
15- संस्कृत साहित्य मे ऐतिहासिक घटनाओं को क्रमबद्ध लिखने का प्रयास सर्वप्रथम कल्हण के द्वारे किया गया।
16- टाॅलमी ने दूसरी शतास्दी मे भारत का भूगोल नामक पुस्तक लिखी।
17- ह्वेनसांग के अध्ययन के समय नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य शीलभद्र थे। यह विश्वविद्यालय बौद्ध दर्शन के लिए प्रसिद्ध था।
18- संयुगन 518 ई.मे भारत आया था। इसने अपने तीन वर्षों की यात्रा में बौद्ध धर्म की प्राप्तियां एकत्रित की।
19- फहियान चीनी यात्री गुप्त नरेश चन्द्रगुप्त द्वितीय के दरवार मे आया था।
20- इत्सिंग 7वीं शताब्दी के अन्त मे भारत आया था। इसने अपने विवरण मे नालंदा विश्वविद्यालय ,विक्रमशिला विश्वविद्यालय एवं अपने समय के भारत का वर्णन किया।
21- 1400 ईसा पूर्व के अभिलेख बोगाज-कोई से वैदिक देवता (मित्र,वरूण,इन्द्र,नासत्य) के नाम मिलते है।
22- भारतीय पुरातत्वशास्त्र का पितामह (Father of indian archeology) सर एलेक्जेण्डर कर्निघम को कहा गया है।
23- सर्वप्रथम भारतवर्ष का जिक्र हाथोगुम्फा अभिलेख मे है।
24- सती-प्रथा का पहला लिखित साक्ष्य एरण अभिलेख (शासक भानुगुप्त) से प्राप्त होती है।
25- कश्मीरी नवपाषाणिक पुरास्थल बुर्जहोम से गर्तवास (गड्डा घर) का साक्ष्य मिला है,इनमें उतरने के लिए सीढियां होती थी।
26- सबसे पहले भारत के सम्बन्ध बर्मा (सुवर्णभूमि-म्यांमार) मलाया (स्वर्णदीप) कंबोडिया (कंबोज) जावा (यवद्वीप) से स्थापित हुए।
27 - मनुष्य ने स्थायी निवास की प्रवृत्ति नव-पाषाभ काल मे मे हुई तथा उसने सबसे पहले कुत्ते को पलतु बनाया।
28- भारत मे पूर्व प्रस्तर युग के अधिकांश औजार स्फटिक (पत्थर) के बने थे।
29- भारत का सबसे प्राचीन नगर मोहनजोदडो था,सिंधि भाषा मे जिसका अर्थ मृतकों का टीला है।
30- भारत मे शिवालिक की पहाडी से जीवाश्म का प्रमाण मिला।
31- भारत मे मनुष्य सम्बन्धी सबसे पहला प्रमाण नर्मदा घाटी मे मिला।
32- भारतीय नागरिक सेवा के अधिकारी रिलजे प्रथम व्यक्ति थे,जिन्होने प्रथम बार वैज्ञानिक आधार पर भारत की जनसंख्या का प्रजातीय विभेदीकरण किया।
33- सिन्धु सभ्यता की खोज 1921 मे रायबहादुर दयाराम साहनी ने की थी।
34- स्वतन्त्रता-प्राप्ति पश्चात हडप्पा संस्कृति के सर्वाधिक स्थल गुजरात मे खोजे गये है।
35- सिन्धु घाटी सभ्यता का सबसे बडा स्थल मोहनजोदडो है,जबकी भारत मे इसका सबसे बडा स्थल राखीगढी (घग्घर नदी) है जो हरियाणा के जींद जिला मे स्थित है। इसकी खोज 1969ई. मे सूरजभान ने की थी।
36- लोथल एवं सुतकोतदा सिन्धु सभ्यता का बन्दरगाह था।
37- मोहनजोदडो मे नर्तकी की एक कांस्य मूर्ती थी।
38- हडपा संस्कृति का शासन वणिक वर्ग के हाथों में था।
39- मिट्टी से बने हल का साक्ष्य बनमाली से मिला था।
40- सिंधु सभ्यता के लोग धरती को उर्वरता की देवी मानकर उसकी पूजा किया करते थे।
41- वृक्ष एवं शिव पूजा के प्रचलन के साक्ष्य भी सिंधु सभ्यता से प्राप्त हुए थे।
42- महिलाओं की मिट्टी की मूर्तियां अधिक मात्रा मे मिलने से ऐसा अनुमान लगाया जाता है,कि सैंधव सभ्यता मातृसत्तात्मक था।
43- सैंधव सभ्यता मे सूति एवं ऊनी वस्त्रों का प्रयोग किया जाता था।
44- पर्दा प्रथा एवं वैश्यावृति सैंधव सभ्यता मे अधिक प्रचलित थी।
45- वैदिककाल का विभाजन दो भागों मे है-----
1- ऋग्वैदिक काल-1500-1000ई. पू.
2- उत्तर वैदिक काल 1000-600 ई.पू.
46- राज्याधिकारियों में पुरोहित एवं सेनानी प्रमुख थे। वसिष्ठ रूढीवादी एवं विश्वामित्र उदार पुरोहित थे।
47- वैदिककाल मे दिशाएं एवं राजाओं का उल्लेख--
● पूर्वदिशा--वैदिक शब्द (प्राची) राजा का नाम (सम्राट)
● पश्चिम--वैदिक शब्द(प्रतीचि) राजा (स्वराष्ट्र)
● उत्तर-- वैदिक शब्द( उदीचि) राजा (विराट)
● दक्षिण-- राजा(भोज)
48- अपराधियों को पकडने का कार्य उग्र करता था।
49- ऋग्वेद मे किसी भी तरह से न्यायाधिकारियों का उल्लेख नही है।
50- उपनिषदों की कुल संख्या-- 108
-- महापुराणों की संख्या-- 18
-- वेदांगो की संख्या--- 6
51- वैदिक काल मे स्त्रियां अपने पति के साथ यज्ञ कार्य में भाग लेती थी।52- वैदिक काल मे बाल-विवाह या पर्दा-प्रथा का प्रचलन नही था।
53- वैदिक काल मे विधवा अपने मृतक पति कः छोटे भाई से विवाह कर सकती थी।
54- जीविकोपार्जन के लिए वेद-वेदांग पढने वाला अध्यापक या उपाध्याय कहा जाता है।
55- आर्यों का पेय पदार्थ सोमरस था,यह वनस्पति से बनाया जाता था।
56- विदिक काल मे आर्यों के मनोरंजन के मुख्य साधन---- रथदौड, संगीत, घुडदौड, द्यूतक्रीडा थी।
57- आर्यों का मुख्य व्यवसाय कृषि या पशु पालन हुआ करता था।
58- आर्यों का सर्वाधि प्रिय देवता इन्द्र तथा प्रिय पशु घोडा था।
59- वैदिक काल में लेन-देन मे वस्तु विनिमय की प्रणाली प्रचलित थी।
60- मनुष्य एवं देवता के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाने वाला देवता के रूप मे अग्नि की पूजा की जाती थी।
61- उत्तर वैदिक काल में हल को सिरा और हल रेखा को सीता कहा जाता था।
62- महाकाव्य केवल दो को ही माना गया है--महाभारत और रामायण ।
63- महाभारत का पुराना नाम जयसंहिता है,यह विश्व का सबसे बडा महाकाव्य है।
64- गोत्र का प्रचलन उत्तर वैदिक काल मे हुआ था।
65- वेदान्त दर्शन के मौलिक ग्रंथ ब्रह्मसूत्र या वेदान्त सूत्र की रचना बदरायण ने की थी।
66- महावीर स्वामी जैन धर्म के 24 वें एवं अन्तिम तीर्थकर थे।
67- महावीर की पत्नी का नाम यशोदा एवं पुत्री का नाम अनोज्जा प्रियदर्शनी था।
68- महावीर के बचपन का नाम वर्द्धमान था , इन्होने 30 वर्ष की उम्र मे माता-पिता की मृत्यु के बाद अपने बडे भाई नंदिवर्धन से अनुमति लेकर सन्यास जीवन शुरू किया था।
69- महावीर ने अपना उपदेश प्राकृत भाषा मे दिया था।
70- महावीर के प्रथम अनुयायी उनके दामाद (प्रियदर्शनी के पति) जामिल बने।
71- लगभग 300 ईसा पू. मगध में 12- वर्षों का अकाल पडा।
72- जैन धर्म के त्रिरत्न माने जाते है------
सम्यक् दर्शन, सम्यक् ज्ञान, सम्यक् आचरण
73- जैन धर्म मे आत्मा की महानता बताई गयी है।
74- जैन धर्म मे सप्तभंगी ज्ञान के अन्य नाम स्यादवाद तथा अनेकांतवाद है।
75- खजुराहो मे जैन मंदिरों का निर्माण चंदेल शासकों द्वारा किया गया।
76- जैन तीर्थकरों की जीवनी भद्रबाहु द्वारा रचित कल्पसूत्र मे निहित है।
77- महावी की मृत्यु 72 वर्ष की आयु मे 468 ईसा पू.बिहार के पावापुरी मे हुयी थी।
78- गौतम बुद्ध जी का जन्म 563 ईसा पू.कपिलवस्तु के लुम्बिनी नामक स्थान पर हुआ था।
79- गौतम बुद्ध के पिता शुद्धोधन शाक्य गण के मुखिया थे।
80- गौतम बुद्ध का विवाह 16 वर्ष की आयु मे यशोधरा के साथ हुआ, इनके पुत्र का नाम राहुल था।
81- सांसारिक समस्याओं से दुखी होकर बुद्ध ने 29 वर्ष की आयु मे घर किया जिसे बौद्ध धर्म मे महाभिनिष्क्रमण कहा गया।
82- ज्ञान प्राप्ति के बाद सिद्धार्थ बुद्ध के नाम से मसहूर हुए,वह सथान बोधगया कहलाया।
83- बुद्ध ने अपने उपदेश जनसाधारण की भाषा पाली मे दिए।
84- बुद्ध की मृत्यु 80 वर्ष की अवस्था मे हुयी,
85- मल्लों ने अत्यन्त सम्मानपूर्वक बुद्ध का अन्त्येष्टी संस्कार किया।
86- बुद्ध के अनुयायी दो भागों मे विभाजित थे----
भिक्षुक और उपासक
87-- बौद्ध संघ मे सम्मिलितहोने के लिए न्यूनतम आयु 15 वर्ष थी।
88- अजातशत्रु का उपनाम कुणिक था,वह पहले जैन धर्म का अनुयायी था।
89- अजातशत्रु ने 32- वर्षों तक मगध पर शासन किया।
90- नंदवंश के अंतिम शासक घनानंद था,यह सिकन्दर का समकालीन था।
91- सिकन्दर का जन्म 356 ईस पूर्व मे हुआ,इनके पिता का नाम फिलिप था।
92- सिकन्दर के गुरू का नाम अरस्तु था।
93- सिकन्दर को पंजाब के शासक पोरस के साथ युद्ध करना पडा,जिसे हाईडेस्पीज के युद्ध या झेलम का युद्ध के नाम से जाना जाता है।
94- सिकन्दर को मृत्यु 323 ईसा पूर्व मे बेबीलोन मे 33 वर्ष की अवस्था मे हो गयी थी।
95- चन्द्रगुप्त ने अपना आखिरी समय कर्नाटक के श्रवणबेलगोला नामक स्थान पर बिताया था।
96- चन्द्रगुप्त ने 305 ईसा पूर्व में सेल्यूकस निकेटर को हराया था।
97- चन्द्रगुप्त ने जैनी गुरू भद्रबाहु से जैनधर्म की दीक्षा ली थी।
98- प्लूटार्क के अनुसार चन्द्रगुप्त ने सेल्यूकस को 500 हाथी उपहार मे दिए थे।
99- वायुपुराण मे बिन्दुसार को भद्रसार कहा गया है।
100- जैन ग्रन्थों मे बिन्दुसार को सिंहसेन कहा गया है।
101- राजगद्दी पर बैठने के समय अशोक अवन्ति का राज्यपाल था।
102- पुराणों मे अशोक को अशोकवर्धन कहा गया है।
103- उपगुप्त नामक बौद्ध भिक्षु ने अशोक को बौद्ध धर्म की दीक्षा दी थी।
104- आजीवक सम्प्रदाय की स्थापना मक्खलि गोसाल ने की थी।
105- अशोक ने आजीवकों को रहने के लिए बराबर की पहाबियों मे चार गुफाओं का निर्माण करवाया ,जिनका नाम (कर्ज,चोपार,सुदामा,तथा विश्वझोपडी था।
106- अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार हेतु अपने पुत्र महेन्द्र एवं पुत्री संघमित्रा को श्रीलंका भेजा था।
107- अशोक ने 84000 स्तूपों का निर्माण किया था।
108- भारत मे शिलालेखों का प्रचलन सर्वप्रथम अशोक ने ही किया।
109- खरोष्ठी लिपि दायीं से बायीं ओर लिखी जाती थी।
110- अशोक के अभिलेख पढने मे सबसे पहली सफलता 1837 ई. मे जेम्स प्रिसेप को हुयी।
111- कौशाम्बी अभिलेख को रानी का अभिलेख कहा जाता है।
112- अशोक के समय मौर्य साम्राज्य मे प्रांतो की संख्या (5) थी,और प्रांतो को चक्र कहा जाता था।
113- प्रशासकों मे सबसे छोटा गोप था ,जो 10 ग्रामों का शासन संभालता था।
114- बिक्रि कर मे मूल्य का 10वां भाग वसूला जाता था ,इसे बचाने वालों को मृत्युदण्ड दिया जाता था।
115- चन्द्रगुप्त मौर्य की सेना मे लगभग 50000 अश्वारोही सैनिक तथा 9000 हाथी व 8000 रथ थे।
116- अशोक के समय जनपदीय न्यायालय के न्यायाधीश को राजुक कहा जाता था।
117- स्वतंत्र वेश्यावृत्ति को अपनाने वाली महिला को रूपाजीवा कहा जाता था।
118- मौर्य वंश का अंतिम शासक बृहद्रथ था, इसकी हत्या इसके सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने 185 ईसा पूर्व मे कर दी और मगध पर शुंग वंश की नीव डाली।
119- पुष्यमित्र शुंग इन्होने मगध पर शुंग वंश की नीव डाली थी,वे ब्राह्मण जाती के थे।
120- शुंग शासकों की राजधानी विदिशा थी।
121- कण्व वंश का अंतिम राजा सुशर्मा हुआ।
122- शातवाहन शासकों ने अपनी राजधानी प्रतिष्ठान (गोदावरी नदी के किनारे) स्थापित की थी।
123- शातवाहन वंश के प्रमुख शासक थे---
सिमुक,शातकर्णी,गौतमीपुत्र,शातकर्णी,वशिष्ठिपुत्र,पुलुमावी,यज्ञश्रीशातकर्णी
124- शातकर्णी ने दो अश्वमेध यज्ञ तथा एक राजसूय यज्ञ किया था।
125- शातवाहनों की राजकीय भाषा प्राकृत एवं लिपि ब्राह्मी थी।
126- सातवाहन राज्य ने उत्तर और दक्षिणभारत के बीच सेतु का काम किया।
127- भारत पर आक्रमण करने वाले विदेशी आक्रमणकारियों का क्रम है---
हिन्द-यूनानी --> शक--->पहल्व--->कुषाण
128-- भारत पर सबसे पहले आक्रमण बैक्ट्रिया के शासक डेमिट्रियस ने किया। इसने 190 ईसा पूर्व मे भारत पर आक्रमणकरके अफगानिस्तान, पंजाब, सिंध पर अधिकार कर कर लिया।
129- हिन्द यूनानी भारत के पहले शासक हुए जिनके जारी किए गये सिक्कों के बारे मे निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि सिक्के किन-किन राजाओं के है।
130- भारत मे सबसे पहले हिन्द -यूनानियों ने ही सोने के सिक्के जारी किए।
131- यूनानियों ने परदे का प्रचलन आरम्भ कर भारतीय नाट्यकला के विकास मे योगदान किया। इसे यवनिका नाम से जाना जाता था।
132- शक मूलतः मध्य एशिया के निवासी थे और चरागाह की खोज मे भारत आए।
133- शकों पर विजय प्राप्त करके 58 ईसा पूर्व से एक नया संवत (विक्रम संवत) के नाम से प्रारम्भ हुआ।
134- शकों का सबसे प्रतापी शासक रूद्रदामन प्रथम था,जिसका शासन (130-150) गुजरात के बडे भाग पर था।
135- रूद्रदामन संस्कृत का बडा प्रेमी था ,उसने ही सबसे पहले विशुद्ध संस्कृत भाषा मे लम्बा अभिलेख जारी किया।
136- भारत मे शक राजा अपने को क्षत्रप कहते थे।
137- पार्थियाई लोगों का मूल स्थान ईरान मे था।
138- चीनी जनरल पेन चौआ ने कनिष्क को हराया था।
139- कुषाणों ने सोने के सर्वाधिक शुद्ध सिक्के जारी किए।
140- कुषाण राजा देवपुत्र कहलाते थे,यह उपाधि कुषाणों शे चीनियों से ली।
141- रेशम बनाने की तकनीक का आविष्कार सबसे पहले चीन में हुआ था।
142- कनिष्क का राजवैद्य आयुर्वेद का विख्यात विद्वान चरक था।
143- कनिष्क के राजकवि अश्वघोष ने बौद्धों का रामायण बुद्धचरितम् की रचना की।
144- कुषाण काल का सबसे अधिक विकास वास्तुकला के क्षेत्र मे हुआ था,इसी काल मे बुद्ध की खडी प्रतिमा का निर्माण हुआ।
145- वसुमित्र ,पार्श्व ,नागार्जुन ,महाचेत और संघरक्ष भी कनिष्क के दरबार कवि थे।
146- संगम साहित्य का विभाजन तीन भागों मे किया गया है----
(पत्थुप्पात्तु, इत्थुथोकै,पादिनेन)
147- तिरूवल्लुवर द्वारा रचित कुराल तमिल साहित्य का एक आधारभूत ग्रंथ बताया जाता है।इसके तीन विषय है----
(आचारशास्त्र, राजनीति, प्रणय)
148- मदुरा के बौद्ध धर्मावलंबी व्यापारी सीतलैसत्तनार ने मणिमेकलै की रचना की थी।
149- संगम काल के बहुत बाद की रचना जीवकचिन्तामणि है,यह जैन भिक्षु तिरूत्तक्क देवर की है।
150- संगम साहित्य मे तमिल प्रदेश के तीन राज्यों (चोल,चेर,पाण्ड्य) का विवरण प्राप्त होता है।
151- संगम युग मे मंत्रियों को अमाइच्चान या अमाइच्चार कहा जाता था।
152- चोरी तथा व्यभिचारी के अपराध के लिए मृत्युदण्ड संगम युग मे दिया जाता था। और झूठी गवाई देने पर जीभ काटी जाती थी ।
153- संगम युग मे राजा अपने आवास की रक्षा के लिए सशस्त्र महिलाओं को तैनात करता था।
154- संगम साहित्य मे व्यापारी वर्ग को वेनिगर कहा जाता था।
155- संगम काल के लोग कौवे को शुभ पक्षी मानते थे,जो अतिथियों के आगमन की सूचना देता था।
156- संगम काल मे समाधियों के स्थान पर पत्थर गाडने की प्रथा थी। इन्हे वीरगल यै वीरप्रस्तर कहा जाता था,और इनकी पूजा भी होती थी।
157- संगम साहित्य से यह पता चलता है कि महिलाएं अधिकतर खेती का कार्य ही करती थी।इन्हे कडैसिवर कहा जाता था।
158- संगम काल मे हो मिस्र के एक नाविक हिप्पोलस ने मानसूनी हवाओं के सहारे बडे जहाजों से सीधे समुद्र पार कर सकने की विधि खोजी थी।
159- गुप्त वंश का संस्थापक श्रीगुप्त (240-280) था।
160- गुप्त वंश संवत (319-320) की शुरुआत चन्द्रगुप्त प्रथम ने की थी।
161- परमभागवत की उपाधि धारण करने वाला वाल प्रथम गुप्त शासक समुद्रगुप्त था।
162- समुद्रगुप्त भगवान बिष्णु के परम भक्त थे।
163- समुद्रगुप्त का उत्तराधिकारी चन्द्रगुप्त द्वितीय हुआ जो 380ई.मे राजगद्दी पर बैठा।
164- चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल में चीनी बौद्ध यात्री फहियान भारत आया था।
165- शकों पर विजय प्राप्त करने के बाद चन्द्रगुप्त द्वितीय ने चांदी के सिक्के चलाए थे।
166- चन्दूरगुप्त द्वितीय का उत्तराधिकारी कुमारगुप्त प्रथम या गोविन्दगुप्त (415-ई.-454ई.) मे हुआ।
167- नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना कुमारगुप्त ने की थी।
168- स्कन्धगुप्त ने पर्णदत्त को सौराष्ट्र का गवर्नर नियुक्त किया ।
169- पुलिस विभाग का मुख्य अधिकारी दण्डपाशिक कहलाता था।
170- पुलिस विभाग के साधारण कर्मचारियों को चाट या भाट कहा जाता था।
171- गुप्त संवत मे ग्राम समूहों की छोटी इकाई को पेठ नाम से जाना जाता था।
172- गुप्त साम्राज्य मे भू राजस्व कुल उत्पादन का 1/4 भाग से 1/6 भाग हुआ करता था।
173- गुप्त संवत मे आर्थिक उपयोगिता के आधार पर निम्न प्रकार की भूमि थी----
● क्षेत्र---- कृषि करने योग्य भूमि।
● वास्तु---- वास करने योग्य भूमि।
● चरागाह भूमि---- पशुओं के चारा योग्य भूमि।
● सिल---- ऐसी भूमि जो जीतने योग्य नही होती थी।
● अप्रहत----- ऐसी भूमि जो जंगली होती थी।
174- सिंचाई के लिए इस काल में रहट या घंटी यंत्र का प्रयोग किया जाता था।
175- गुप्तकाल मे उज्जैन सर्वाधिक महत्वपूर्भ व्यापारिक केन्द्र माना जाता था।
176- गुप्त काल मे विंध्य जंगल मे शबर जातै के लोग अपने देवताओं को मनुष्य का मांस चडाते थे।
177- गुप्तकाल मे वेश्वृत्ति करने वाली महिलाओं को गणिका कहा जाता था।
178- अजंता की गुफाएं बौद्धधर्म की महायान शाखा से सम्बन्धित थी।
179- गुप्तकाल मे बिष्णु शर्मा द्वारा रचित पंचतंत्र (संस्कृत) को विश्व का सर्वाधिक प्रचलित ग्रंथ माना गया है। जो कि बाईबिल के बाद दूसरे स्थान पर है।
180- आचार्य आर्यभट्ट ने आर्यभट्टीयम् तथा सूर्यसिद्धांत नामक ग्रंथ लिखे।
181- पुराणों की वर्तमान रूप मे रचना गुप्त काल मे हुयी। इसमे ऐतिहासिक परम्पराओं का उल्लेख हुआ।
182- गुप्तवंश के राजाओं की शासकीय भाषा संस्कृत थी।
183- गुप्त काल मे याज्ञवल्क्य ,नारद,कात्यायन एवं बृहस्पति स्मृतियों की रचना हुई।
184- मंदिरों को बनाने की परम्परा भी गुप्तकाल मे ही हुयी।
185- गुप्त काल मे मंदिरों एवं ब्राह्मणों को सबसे अधिक ग्राम अनुदान देते थे।
186- कालिदास द्वारा रचित अभिज्ञानशाकुन्तलम् प्रथम भारतीय रचना है जिसका अनुवाद यूरोपीय भाषाओं मे किया गया।
187- गुप्त का मे ही महाकवि भास ने तेरह(13) नाटक इसी काल के है।
188- सांस्कृतिक उपलब्धियों के कारण गुप्त काल को भारतीय इतिहास का स्वर्णकाल माना जाता है।
189- गुप्तकाल की प्रमुख विशेषता है नगरों का क्रमिक पतन ।
190- हरिषेण बासीम शाखा का सर्वाधिक शक्तिशाली शासक था ,यह वाकाटक वंश का अंतिम ज्ञात शासक था।
191- संस्कृत की वैधर्भी शैली का पूर्ण विकास वाकाटक नरेशों के दरबार मे हुआ।
192- वाकाटक नरेश ब्राह्मण धर्मालंबी थे,वे शिव और बिष्णु के अनन्य उपासक थे।
193- राज्यावर्द्धन ने देवगुप्त को मार डाला ,परन्तु देवगुप्तके मित्र गौड नरेश शशांक ने धोका देकर राज्यवर्द्धन की हत्या कर दी।
194- शशांक शैवधर्म का अनुयायी था। इसने बोधिवृक्ष (बोधगया को कटवा दिया।
195- हर्ष ने शशांक को पराजित कर कन्नौज पर अधिकार कर लिया तथा उसे अपनी राजधानी बनाया।
196- चीनी यात्री ह्वेनसांग हर्षवर्द्धन के शासन काल मे भारत आया था।
197- हर्ष के समय नालंदा महाविहार महायान बौद्ध धर्म की शिक्षा का प्रधान केंद्र था।
198- महाकवि बाणभट्ट हर्ष के दरवारी कवि थे,उन्होने हर्षचरितम् एवं कादम्बरी की रचना की ।
199- हर्ष ने ही प्रियदर्शिका ,रत्नावली ,नागानन्द की रचनाएं की।
200- हर्ष को भारत का अंतिम हिन्दु सम्राट कहा गया है।
201- किरातार्जुनीयम के लेखक भारवि बिष्णु सिंह के दरवार मे रहते थे।
202- मतविलास प्रहसन की रचना महेन्द्र वर्मन ने की थी।
203- परमेश्वर वर्मन प्रथम विद्याप्रेमी भी था और उसने विद्याविनीत की उपाधी भी ली थी।
204- कांची के कैलाशनाथ मंदिर में पल्लव राजाओं और रानियों की आदमकद तस्वीरें लगी है।
205- प्रसिद्ध वैष्णव संत तिरुमङ्गई अलवार नन्दिवर्मन (द्वितीय) के दरवार मे रहते थे।
206- विजयालय ने नरकेसरी की उपाधी धारण की और निशुम्भसूदिनी देवी का मंदिर बनवाया।
207- चोलों का स्वतंत्र राज्य आदित्य प्रथम ने स्थापित किया था।
208- चोल वंश के प्रमुख राजा थे----
परंतक प्रथम, राजराज प्रथम, राजेन्द्र प्रथम, राजेन्द्र द्वितीय, कुलोत्तुंग।
209- राजराज प्रथम ने श्रीलंका पर आक्रमण किया था।
210- नाडु की स्थानीय सभा को नाटूर एवं नगर की स्थानीय सभा को नगरतार कहा जाता था।
211- चोल वंश मे गांव मे कार्यसमिति की सदस्यता के लिए जो वेतनभोगी कर्मचारी रखे जाते थे ,उन्हे मध्यस्थ कहते थे।
212- कंन्नड साहित्य के तीन रत्न माने जाते है---- पंप,पोन्न, रन्न ।
213- चोल वंश मे कांस्य प्रतिमाएं संसार की सबसे उत्कृष्ठ कांस्य प्रतिमाओं मे गिना जाता था।
214- चोल वंश मे बहुत बडा गांव जो एक इकाई के रूप मे शासित किया जाता था, उसे तनियर कहते थे।
215- चोलों की राजधानी कालक्रम के अनुसार थी--- उरैयूर , तंजौड, गंगैकोड, चोलपुरम,कांची।
216- चोल काल मे सडकों की देखभाल बगान समिति किया करती थी।
217- चोल काल के पूरमुख व्यापारी थे-- वलंजियार,नानादैसी, मनिग्रामम्
218- एलोरा के प्रसिद्ध कैलाश मंदिर का निर्माण कृष्ण प्रथम ने करवाया था।
219- ध्रुव को धारावर्ष भी कहा जाता था।
220- अमोघवर्ष जैन धर्म का अनुयायी था।
221- अमोघव्रष ने तुंगभद्रा नदी में जलसमाधी लेकर अपने जीवन का अंत किया था।
222- एलोरा गुफाओं का सर्वप्रथम उल्लेख फ्रांसीसी यात्री थेविनेट ने 17 वीं शताब्दी मे किया था।
223- राष्ट्रकूट शैव,वैष्णव,शाक्त सम्प्रदायों के साथ-साथ जैन धर्म के भी उपासक थे ।
224- कल्याणी के चालुक्य वंश की स्थापना तैलप द्वितीय ने की थी।
225- सोमेश्वर प्रथम ने मान्यखेट से राजधानी हटाकर कल्याणी (कर्नाटक) को बनाया था।
226- एहोल अभिलेख का सम्ब्ध पुलकेशिन द्वितीय से है। (लेखक रविकीर्ति)
227- वातापी का निर्माणकर्ता कीर्तिवर्मन को माना जाता है।
228- विक्रमादित्य द्वितीय के शासनकाल मे ही दक्कन मे अरबों ने आक्रमण किया था।
229- विक्रमादित्य द्वितीय की प्रथम पत्नि लोकमहादेवी ने पट्टदकल में विरूपाक्षमहादेव मंदिर तथा दूसरी पत्नि त्रैलोक्य देवी ने त्रैलोकेश्वर मंदिर का निर्माण करवाया था।
230- देवगिरी के यादव वंश की स्थापना भिल्लम पंचम ने की ,इसकी राजधानी बेंगी (आंध्रप्रदेश) मे थी।
231- होयसल वंश की राजधानी द्वारसमुद्र था।
232- होयसल वंश का अंतिम शासक वीर बल्लाल तृतीय था,जिसे मलिक काफूर ने हराया था।
233- कदम्ब वंश की राजधानी राजधानी वनवासी था, और इसकी स्थापना मयूर शर्मन ने की थी।
234- गंगवंश का संस्थापक बज्रहस्त था।
235- दत्तकसूत्र पर टीका लिखने वाला गंग शासक माधव प्रथम था।
236- गणपति ने अपनी राजधानी वारंगल मे स्थानान्तरित कर ली थी।
237- काकतीय राजवंश का अंतिम शासक प्रताप रूद्र (1295-1323 ई.) था।
238- पालवंश का संस्थापकगोपाल (750ई.) था, इस वंश की राजधानी मुंगेर थी।
239- पालवंश के प्रमुख शासक थे----- धर्मपाल , देवपाल, नारायणपाल ,महिपाल, नयपाल थे।
240- पालवंश का सबसे महान शासक धर्मपाल था,जिसने विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना की थी।
241- ओदन्तपुरी (बिहार) के प्रसिद्ध बौद्धमठ का निर्माण देवपाल ने करवाया था।
242- पाल शासक बौद्ध धर्म के अनुयायि थे।
243- गौडीरीति नामक साहित्यिक विद्या का विकास पाल शासकों के समय मे हुआ।
244- सेनवंश की स्थापना सामन्त सेन ने राढ मे की थी,और इसकी राजधानी नदिया थी।
245- बल्लालसेन ने दानसागर एवं अद्भुत सागर नामक ग्रंथ की रचना की थी।
246- हलायुद्ध लक्ष्मण सेन का प्रधान न्यायाधीश एवं मुख्यमंत्री था।
247- सेन राजवंश का प्रथम राजवंश था,जिसने अपना अभिलेख सर्वप्रथम हिन्दी मे उत्कीर्ण करवाया।
248- कार्कोट वंश का सबसे शक्तिशाली राजा ललितादित्य मुक्तापीड था।
249- अवन्ति वर्मन के अभियन्ता सूय्य ने सिंचाई के लिए नहरों का निर्माण करवाया था।
250- लोहार वंश का शासक हर्ष विद्वान कवि तथा कई भाषाओं का ज्ञाता था।
251- मालवा का शासक (नागभट्ट प्रथम) गुर्जर प्रतिहार वंश का संस्थापक था।
252- प्रतिहार वंश का सबसे शक्तिशाली एवं प्रतापी राजा (मिहिरभोज) था।
253- दिल्ली नगर की स्थापना तोमर नरेश (अनंगपाल) ने ग्यारहवीं सदी के मध्य मे की थी।
254- गहडवाल वंश का संस्थापक (चन्द्रदेव) था,और इसकी राठधानी (वाराणसी) थी।
255- गोविन्दचंद्र की एक रानी कुमारदेवी ने सारनाथ मे (धर्मचक्र-जिन विहार) बनवायी।
256- पृथ्वीराज रासो तृतीय ने स्वयंवर से (जयचन्द) की पुत्री (संयोगिता) का अपहरण कर लिया था।
257- चौहान वंश का संस्थापक (वासुदेव) था,और इस वंश की प्रारम्भिक राजधानी (अहिच्छत्र) थी।
258- अढाई दिन का झोपडा नामक मस्जिद शुरू में विग्रहराज-चतुर्थ द्वारा निर्मित एक (विद्यालय )था।
259- पृथ्वीराज रासो-तृतीय चौहान वंश का अंतिम शासक था।
260- रणथम्भौर के जैन मंदिर का शिखर पृथ्वीराज तृतीय ने बनवाया था।
261- तराइन का प्रथम युद्ध (1191 ई.) मे हुआ ,जिसमे पृथ्वीराज तृतीय की विजय एवं गौरी की हार हुई।
262- तराइन के द्वितीय युद्ध (1192 ई.) मे हुआ,जिसमे गौरी की विजय एवं पृथ्वीराज तृतीय की हार हुयी थी।
263- राजा भोज ने भोपाल के दक्षिण मे भोजपुर नामक झील का निर्माण करवाया।
264- राजा भोज ने (चिकित्सा, गणित एवं व्याकरण) पर अनेक ग्रंथ लिखे थे।
265- राजा भोज ने अपनी राजधानी मे (सरस्वती मंदिर) का निर्माण करवाया।
266- राजा भोज ने भोजपुर नगर की स्थापना की थी।
267- परमार वंश के बाद (तोमर वंश) का तथा उसके बाद (चौहान वंश) और अंत मे उलुग खां ने मालवा पर अधिकार कर लिया।
268- चंदेल वंश का संस्थापक (नन्नुक) (831 ई.) था।
269- चंदेल वंश का सर्व प्रथम स्वतंत्र एवं सबसे पूरतापी राजा था।
270- विद्याधर ही अकेला ऐसा भारतीय राजा था जिसने (महमूद गजनी) की महत्वकांक्षाओं का सफलतापूर्वक पर्तिरोध किया
271- बघेल वंश का कर्ण द्वितीय गुजरात का अंतिम हिन्दु शासक था। इसने अलाउद्दीन खिलजी की सेनाओं का मुकाबला किया था।
272- कलचुरी वंश का संस्थापक (कोक्कल) था,और इसकी राजधानी (त्रिपुरी) थी।
273- कलचुरी वंश चुरी सबसे महान शासक कर्णदेव था,जिसने कलिंग पर विजय प्राप्त की और (त्रिकलिंगाधिपति) की उपाधी धारण की थी।
274- प्रसिद्ध कवि (राजशेखर) कलचुरी के दरबार मे ही रहते थे।
275- अपनी विजयों के उपलक्ष मे (विजयस्तम्भ) का निर्माण (राणा कुम्भा) ने चित्तौड मे करवाया।
276- राणा सांगा एवं इब्राहिम के बीच (खतोली का युद्ध) 1518 ई. मे हुआ था।
277- (मुहम्मद बिन कासिम) के नेतृत्व मे अरबों ने भारत पर पहला सफल आक्रमण किया। अरबों ने (सिंध) पर 712 ई. मे विजय पायी थी।
278- अरब आक्रमण के समय सिंध पर (दाहिर) का शासन था।
279- 932 ई. मे (अलप्तगीन) नामक एक तुर्क सरदार (गजनी) साम्राज्य की स्थापना की,जिसकी राजधानी गजनी थी।
280- (पहला तुर्क आक्रमण के समय) पंजाब मे शाही वंश का शासक जयपाल शासन कर रहा था।
281- अपने पिता के समय मे महमूद गजनी (खुरासान) का शासक था।
282- (महमूद गजनी) 27 वर्ष की उम्र मे 998 ई. मे गद्दी पर बैठा था।
283- महमूद गजनी ने भारत पर प्रथम आक्रमण (1000 ई.) मे किया था।
284- महमूद गजनी ने भारत पर (17 बार) आक्रमण किया था।
285- महमूद गजनी ने (1001 ई.) मे शाही राजा (जयपाल) के विरूद्ध आक्रमण किया था।
286- महमूद गजनी ने अन्तिम भारतीय आक्रमण (1027 ई. मे जाटों) के विरूद्ध किया था।
287- महमूद गजनी का सबसे चर्चित आक्रमण (1025ई.सोमनाथ मंदिर) पर हुआ,इस मंदिर से उसने लगभग (20-लाख) दीनार की सम्पति उठा ली थी।
288- मौहम्मद गौरी ने दूसरा आक्रमण (1178 ई.पाटन-गुजरात) पर किया।
289- मुहम्मद गौरी की हत्या (15 मार्च 1206) को की गयी थी।
290- छुलाम वंश की स्थापना 1206 ई. मे (कुतुबुद्दीनऐबक) ने किया था, वह गौरी का गुलाम था।
291- गुलामों को फारसी मे (बंदगाॅ) कहा जाता है,तथा (सैनिक) सेवा के लिए खरीदा जाता है।
292- कुतुबुद्दीन ऐबक ने अपना राज्याभिषेक (24 जून 1206) को किया था।
293- कुतुबुद्दीन ऐबक ने (कुतुबमीनार) की नीव डालो थी।
294- प्राचीन (नालंदा विश्वविद्यालय) को ध्वस्थ करने वाला कुतुबुद्दीन ऐबक का सहायक सेनानायक (बख्तियारखिलजो)था।
295- आरामशाह की हत्या करके (इल्तुतमिश) 1211 ई. मे दिल्ली की राज गद्दी पर बैठा।
296- इल्तुतमिश की मृत्यु (अप्रैल 1236 ई.) मृ हुई थी।
297- इल्तुतमिश के बाद राज गद्दी उसके पुत्र (रुकनुद्दीन फिरोज ने सम्भालो थी।
298- मंगोल चीन के उत्तर मे (गोबी) के रेगिस्तान के निवासी थे।
299- 1163 ई.मे तेमूचिन उर्फ (चंगेज खां) का जन्म हुआ,इनके पिता का नाम (येसूगाई बहादुर) था।
300- (रजिया बेगम) सर्वप्रथम मुस्लिम महिला थी जिसने शासन की बागडोर खुद सम्भाली थी।
301- रजिये की शादी (अल्तुनिया) से हुई,इससे शादी करने के बाद रजिया ने पुनः गद्दी प्राप्त करने का प्रयास किया।
302- रजिया को हत्या (13 अक्टुबर 1240) मे डाकुओं के द्वारा कैथल मे की गयी थी।
303- बलबन ने षड्यंत्र केआध् से (1246 मे) अलाउद्दीन मसूद शाह को सुल्तान के पद से हटाकर (नासीरुद्दीन महमूद) को सुल्तान बना दिया था।
304- बलबन ने अपनी का विवाह नासीरूद्दीन से किया था।
305- राजदरबार मे (सिजदा) एवं (पैबोस) प्रथा की शुरूआत बलबन ने को थी।
306- बलबन ने फारसी रीती-रिवाजों पर आधारित (नवरोज) उत्सव को प्रारम्भ करवाया था।
307- अपने विरोधियों के प्रति बलबन ने कठोर (लौह ,रक्त) की नीति का पालन किया ।
308- गुल वंश का अंत शासक (शम्मुद्दीन कैमुर्स) था।
309- गुलाम वंश के शासन को समाप्त कर (13 जून1290) को जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने (खिलजी वंश ) की स्थापना को थी।
310- अमीर खुसरो का वास्तविच नाम (मुहम्मद हसन) था।,इनका जन पटियाला मे हुआ था।
311- सितार एवं तबले के आविष्कार का श्रेय (अमीरखुसरो) को ही जाता है।
312- इल्तुतमिश ने ही सबसे पहले शुद्ध अरबी सिक्के जारी किए थे।
313- इल्तुतमिश ने ही दिल्ली के अमीरो का नाश किया था।
314- इल्तुतमिश ने ही (इक्ता) प्रणाली चलाई थी।
315- मुहम्मद बिन तुगलक की मृत्यु (20 मार्च 1351) को सिन्ध जाते समय (थट्टा) के निकट गोडाल मे हुयी थी।
316- महाराष्ट्र में (अलाउद्दीन बहमन शाह) ने वर्ष स्वतंत्र (बहमनी राज्य) की स्थापना की थी।
317- फिरोज तुगलक का राज्याभिषेक थट्टा के नजदीक (20 मार्च 13) को हुआ था,खलीफा द्वारा इसे (कासिम अमीर उल मोममीन) की उपाधी दी गयी थी।
318- फिरोज तुगलक ने एक नया कर (सिंचाई-कर) भी लगाया ,जो उपज का 1/10 भाग था।
319- फिरोज तुगलक ने अपने शासन काल मे 5 बडी (नहरों) का निर्माण करवाया था।
320- फिरोज तुगलक ने (300 नगरों) की स्थापना की थी।
321- सल्तनतकालीन सुल्तानों के शासन शासन काल में सबसे अधिक दासों की संख्या (लगभग--180000) फिरोज तुगलक के समय थी।
322- फफिरोज तुगलक ने अपनी आत्मकथा (फतूहात ए फिरोजशाही ) की स्थापना की।
323- फिरोज तुगलक की मृत्यु सितम्बर (1388 ई.) मे हो गयी थी।
324- तुगलक वंश का अंतिम शासक (नासिरूद्दीन महमूद तुगलक) था।
325- सैय्यद वंश का संस्थापक (खिज्र खां) था।
326- सैय्यद वंश का शासन करीब (37 वर्षों) तक चला था।
यमुना के किनारे (मुबारकाबाद) की स्थापना (मुबारक शाह ) ने की थी।
327- लोदी वंश का संस्थापक (बहलोल लोदी) था,वह (19 अप्रैल 1451) को दिल्ली के सिंहासन पर बैठा था।
328- बहलोल लोदी ने बहलोल सिक्के का प्रचलन करवाया।
329- सिकन्दर लोदी ने 1504 ई.मे (आगरा) शहर की स्थापना की थी।
330- गले सम्बन्धी बीमारी के कारण सिकन्दर लोदी की मृत्यु (21 नवम्बर 1517) मे हुयी थी।
331- 21 अप्रैल 1526 ई. को (पानीपत के प्रथम युद्ध) मे इब्राहिम लोदी बाबर से हारा था।
332- अमीरों का महत्व चरमोत्कर्ष पर था (लोदी वंश) के शासनकाल मे।
333- (वजीर) राजस्व विभाग का प्रमुख कहलाता है।
334- (सद्र उस सुदूर) धर्म विभाग एवं दान विभाग का प्रमुख होता था।
335- (दीवाश ए बंदगान) दास विभाग को कहा जाता था।
336- (दीवान ए खैरात) दान विभाग को कहा जाता था ।
337- मुसलमानों से लिया जाने वाला भूमी कर को (उश्र) कहते थे।
338- गैर मुसलमानों पर धार्मिक कर को कहा जाता था (जजिया)।
339- एक शहर या (100 गांवो) की शासन की देखरेख (अमीर ए सदा) नामक अधिकारी करता था।
340- प्रशासन की सबसे छोटी इकाई को (ग्राम) कहा जाता था।
341- अल्लाउद्दीन खिलजी ने (इक्ता प्रथा) को समाप्त किया था।
342- मुस्लीम कानून के चार महत्वपूर्ण स्त्रोत थे-----
(कुरान,हसीद, इजमा,कयास)
343- सल्तनत काल मे अंतराष्ट्रीय बन्दरगाह के रूप मे (देवल) प्रसिद्ध था।
344- हरिहर एवं बुक्का पहले वारंगल के काकतीय शासक (शासक रूद्रदेव)के सांमत थे।
345- विजयनगर साम्राज्य पर क्रमशः निम्न वंशो ने शासन किया--- (संगम,सलुब,तुलुब,अरावीडूवंश)
346- संगम वंश का सबसे प्रतापी राजा (देवराय द्वितीय) था ।
346- शालुव नरसिंह ने विजयनगर मे दूसरे राजवंश (शालुक वंश-1485-1506 ई.) को स्थापना की।
347- कृष्णदेवराय को भारत का सबसे शक्तिशाली शासक बाबर ने अपनी आत्मकथा (बाबरनामा) मे बताया है।
348- कृष्भदेवराय के शासन काल मे (पुर्तगाली यात्री डोमिगोस पायस) विजयनगर आया था।
349- कृष्णदेवराय ने (आन्ध्रभोज, अभिनव भोज, आन्ध्र पितामह) आदी उपाधी धारभ की थी।
350- तालोकोटा के युद्ध मे विजयनगर का नेतृत्व (राम राय) कर रहा था।
351- विजयानगर साम्राज्य की आय का सबसे बडा स्त्रोत (लगान) था।
352- विजय नगर का सैन्य विभाग (कदाचार) कहलाता था तथा इस विभाग का उच्च अधिकारी (दण्डनायक,सेनापति) होता था।
353- उत्तर भारत से दक्षिण भारत मे बसे।लोगों को (बडवा) कहा जाता था।
354- विठय नगर मे दास प्रथा प्रचलित थी ,मनुष्यों के क्रय-विक्रयको (वेस-वग) कहते थे।
355- विजय नगर मे मंदिरों मे रहने वाली महिलाओं को (देवदासी) कहा जाता था।
356- विजय नगर की मुद्रा (पेगोडा व बहमनी) राज्य की मुद्रा (हूण) थी।
357- भीमा नदी के तट पर फिरोजाबाद की स्थापना (ताज-उद्दीन-फिरोज) ने की थी।
358- 1470 ई. मे रूसी यात्री (निकितन) बहमनी साम्राज्य (बीदर) की यात्रा पर आया था।
359- बीजापुर गुलबर्गा तराफ (सबसे महत्वपूर्ण) मे शामिल था।
360- बहमनी राज्य मे केवल (18 शासक) हुये,जिन्होने कुल मिलाकर (175 वर्ष) तक शासन किया।
361- नासिरूद्दीन नुसरत शाह ने गौड में (बडासोना व कदम रसूल मस्जिद) का निर्माण करवाया।
362- बाबर के आक्रमण के समय बंगाल का शासक (नुसरत शाह) था।
363- दिलावर खां ने (1401 ई.) मे मालवा को स्वतंत्र घोषित किया।
364- मालवा मे (खिलजी वंश) की स्थापना (महमूद शाह) ने की थी।
365- (जहाजमहल) का निर्माण गयासुद्दीन खिलजी ने मांडू मे करवाया था।
366- गुजरात के प्रमुख शासक के रूप मे रहे है----
● अहमद शाह --- 1411-52 ई.
● महमूद शाह बेगडा---- 1458-1511 ई.
● बहादुर शाह---- 1526-1537 ई.
367- गुजरात का सबसे प्रसिद्ध शासक (महमूद बेगडा)था।
368- 1572 ई. मे अकबर ने गुजरात को मुगल साम्राज्य मे मिला दिया था।
369- राणा कुम्भा ने 1448 ई.मे चित्तौड मे एक (विजय स्तंभ) की स्थापना की थी।
370- 1576 ई. मे(हल्दीघाटी का युद्ध) राणा प्रताप एवं अकबर के बीच हुआ,इसमे अकबर विजयी हुआ था।
371- मेवाड की राजधानी (चित्तौडगढ) थी,जहांगीर ने मेवाड को मुगल साम्राज्य मे मिला लिया।
372- खानदेश की राजधानी (बुरहानपुर थी,इसका सैनिक मुख्यालय (असीरगढ) था।
373- 1601ई.मे अकबर ने खानदेश को मुगल साम्राज्य मे मिला लिया
374- भारत मे (चिश्ती व सुहरावर्दी) सिलसिले की जडेकाफी गहरी थी।
375- बाबा फरीद की रचनाएं (गुरूग्रंथ साहिब) मे मिलती है।
376- (शेख अब्दुल्ला सत्तारी) ने सत्तारी सिलसिले की स्थापना की थी,और इसका मुख्य केन्द्र (बिहार) था।
377- राजकुमार द्वारा (शाहजहां का बडा बेटा) कादिरी सिलसिला के मुल्लाशाह का शिष्य था।
भक्ति आन्दोलन से सम्बन्धित प्रश्न------
378- भक्ति आन्दोलन का विकास बारह अलावर (वैष्णव संतो) ने और तिरसठ नयार (शैव संतो) ने किया था।
379- छठी शताब्दी मे भक्ति आन्दोलन का शुरूआत तमिल क्षेत्र से हुई जो (कर्नाटक,महाराष्ट्र) मे फैल गयी।
380- भक्ति आन्दोलन को दक्षिण भारत और उत्तर भारत मे (रामानन्द) के द्वारा लाया गया।
381- रामानन्द की शिक्षा दो सम्प्रदायों मे थी----
● सगुण शाखा
● निर्गुण शाखा
382- सगुण शाखा के प्रसिद्ध कवि थे-----
● कालीदास
● तुलसो दास
● नाभा दास
● निम्बार्क
● वल्भाचार्य
● चैतन्य
● सूरदास
● मीराबाई।
383- निर्गुण शाखा के प्रमुख कवि थे---- कबीर दास - जिन्हे भावी उत्तर भारतीय पंथों का आध्यात्मिक गुरू माना है।
384- ( रामानुजाचार्य) ने राम को अपना गुरू माना और इनका जन्म (1017ई.)मे मद्रास के निकट (पेरूम्बर) स्थान मे हुआ।
385- (रामानंद) इनका जन्म 1299 मे प्रयाग नामक स्थान मे हुआ।
386- रामानंद के 12 शिष्यों मे से दो स्त्रियां (पद्मावती) एवं (सुरसरी) थी।
387- (कबीरदास) इनका जन्म 1440 ई. माना गया है, ये वाराणसी मे एक विधवा ब्राह्मणी के पुत्र थे।
388- कवीरदास के उपदेश (सबद) सिक्खों के आदिग्रंथ मे संगृहीत है।
389- कवीरदास की वाणी का संग्रह (बीजक) नाम से प्रसिद्ध है।
390- बीजक को तीन भागोद मे रखा गया है------
● रमैनी
● सबद
● साखी
391- कवीरदास की मृत्यु 1510 ई.मे (मगहर) मे हुई थी।
392- (गुरूनानक) का जन्म 1469 अविभाजित पंजाब के राबी नदी के किनारे (तलवण्डी) मे हुआ था।
393- गुरू नानक की मृत्यु (1538) मे करतारपुर मे हुई थी।
394- (चैतन्य स्वामी) इनका जन्म 1486 मे (नवदीप) के मायापुर मे हुआ था।
395- विद्यालय मू चैतन्य को (निमाई पंडित) या (गतरांग) कहाजाता था।
396- चैतन्य स्वामो को मृत्यु (1533) मे हो गयी थी।
397- (गोस्वामो तुलसी दास) इनका उत्तर प्रदेश के बांदा जिले मे हुआ था।
398- तुलसी दास जी ने (रामचरितमानस) को रचना की थी।
399- तुलसी दास की मृत्यु (1623) मे हुयी थी।
400- तुलसी दास मुगल शासक अकबर एवं मेवाड के शासक (राणाप्रताप) के समकालीन थे।
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