Thursday 26 March 2020

मां दुर्गा के 32 अत्यन्त दुर्लभ नामावली, जिसको जपने से होगी सभी इच्छाओं की पूर्ति , घोर विपत्ति को दूर करेंगे मां के ये 32 नामावली

मां दुर्गा के 32 अत्यन्त दुर्लभ नामावली, जिसको जपने से होगी सभी इच्छाओं की पूर्ति 
32 extremely rare lists of Maa Durga, which will be fulfilled by chanting

घोर विपत्ति को दूर करेंगे मां के ये 32 नामावली।32 Namavali stotra. This stotra has been provided as Durga Dvatrinsh Naammala in the spiritual book Durga Saptasatiअथ दुर्गाद्वात्रिंशन्नाममाला आदी प्रकार के Hindi Quotes ,संस्कृत सुभाषितानीसफलता के सूत्र, गायत्री मंत्र का अर्थ आदि शेयर कर रहा हूँ । जो आपको जीवन जीने, समझने और Life में अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्व पूर्ण भूमिका निभाते है,आध्यात्म ज्ञान से सम्बंधित गरूडपुराण के श्लोक,हनुमान चालीसा का अर्थ ,ॐध्वनि, आदि 

प्राचीन महत्व 

एक समय की बात है , ब्रह्मा आदि देवताओं ने पुष्प आदि विविध उपचारोंसे माहेश्वरी दुर्गाका पूजन किया । इससे प्रसन्न होकर दुर्गतिनाशिनी दुर्गा ने कहा ' देवताओ ! मैं तुम्हारे पूजन से संतुष्ट हूँ , तुम्हारी जो इच्छा हो , माँगो , मैं तुम्हें दलभ - से - दुर्लभ वस्तु भी प्रदान करूँगी । ' दुर्गा का यह वचन सुनकर देवता बोले - ' देवि ! हमारे शत्रु महिषासुरको , जो तीनों लोकोंके लिये कंटक था , आपने मार डाला , इससे सम्पूर्ण जगत् स्वस्थ एवं निर्भय हो गया । आपकी ही कृपासे हमें पुन : अपने - अपने पदकी प्राप्ति हुई है । आप भक्तोंके लिये कल्पवृक्ष हैं , हम आपकी शरणमें आये हैं । अतः अब हमारे मनमें कुछ भी पानेकी अभिलाषा शेष नहीं है । हमें सब कुछ मिल गया ; तथापि आपकी आज्ञा है , इसलिये हम जगत्की रक्षाके लिये आपसे कुछ पूछना चाहते हैं । महेश्वरि ! कौन - सा ऐसा उपाय है , जिससे शीघ्र प्रसन्न होकर आप संकटमें पड़े हुए जीवकी रक्षा करती हैं । देवेश्वरि ! यह बात सर्वथा गोपनीय हो तो भी हमें अवश्य बतावें ।

 देवताओंके इस प्रकार प्रार्थना करनेपर दयामयी दुर्गा देवीने कहा - यह रहस्य अत्यन्त गोपनीय और दुर्लभ है । मेरे बत्तीस ' देवगण ! सुनो - यह रहस्य नामोंकी माला सब प्रकारकी आपत्ति इसके समान दूसरी कोई स्तुति दूसरा कोई स्तुति नहीं है । यह रहस्यरूप है ।

मैं इसे बतलाती हूं सुनो----

नामावली श्लोक
दुर्गा दुर्गार्तिशमनी दुर्गापद्विनिवारिणी । 
दुर्गमच्छेदिनी दुर्गसाधिनी दुर्गनाशिनी ॥ 

दुर्गतोद्धारिणी दुर्गनिहन्त्री दुर्गमापहा ।
दुर्गमज्ञानदा दुर्गदैत्यलोकदवानला ॥ 

दुर्गमा दुर्गमालोका दुर्गमात्मस्वरूपिणी । 
दुर्गमार्गप्रदा दुर्गमविद्या दुर्गमाश्रिता ॥ 

दुर्गमज्ञानसंस्थाना दुर्गमध्यानभासिनी । 
दुर्गमोहा दुर्गमगा दुर्गमार्थस्वरूपिणी ॥ 

दुर्गमासुरसंहन्त्री दुर्गमायुधधारिणी । 
दुर्गमाङ्गी दुर्गमता दुर्गम्या दुर्गमेश्वरी ॥ 

दुर्गभीमा दुर्गभामा दुर्गभा दुर्गदारिणी । 
नामावलिमिमां यस्तु दुर्गाया मम मानवः ॥ 

पठेत् सर्वभयान्मुक्तो भविष्यति न संशयः ॥ 

भावार्थ-

१ दुर्गा     २ दुर्गार्तिशमनी   ३ दुर्गापद्विनिवारिणी 
४ दुर्गमच्छेदिनी     ५ दुर्गसाधिनी   ६ दुर्गनाशिनी 
७ दुर्गतोद्धारिणी    ८ दुर्गनिहन्त्री   ९ दुर्गमापहा 
१० दुर्गमज्ञानदा    ११ दुर्गदैत्यलोकदवानला 
१२ दुर्गमा             १३ दुर्गमालोका 
१४ दुर्गमात्मस्वरूपिणी      १५ दुर्गमार्गप्रदा 
१६ दुर्गमविद्या                   १७ दुर्गमाश्रिता 
१८ दुर्गमज्ञानसंस्थाना    १९ दुर्गमध्यानभासिनी 
२० दुर्गमोहा    २१ दुर्गमगा    २२ दुर्गमार्थस्वरूपिणी २३ दुर्गमासुरसंहन्त्री   २४ दुर्गमायुधधारिणी 
२५ दुर्गमाङ्गी       २६ दुर्गमता     २७ दुर्गम्या 
२८ दर्गमेश्वरी      २९ दुर्गभीमा    ३० दुर्गभामा 
३१ दुर्गभा          ३२ दुर्गदारिणी ।


विशेष महत्व--

जो मनुष्य मुझ दुर्गाकी इस नाममालाका पाठ करता है , वह निसन्देह सब प्रकारके भयसे मुक्त हो जायगा । '

नामावली जपने के फायदे- 
1-  कोई शत्रुओंसे पीड़ित हो अथवा दुर्भेद्य बन्धनमें पड़ा हो , इन बत्तीस (32) नामोंके पाठमात्रसे संकटसे छुटकारा पा जाता है । इसमें तनिक भी संदेहके लिये स्थान नहीं है ।

2- यदि राजा क्रोधमें भरकर वधके लिये अथवा और किसी कठोर दण्ड के लिए आज्ञा दे दे युद्ध में शत्रुओं द्वारा मनुष्य घिर जाय अथवा वनमें आदि हिंसक जन्तुओंके चंगुलमें फँस जाय , तो इन बत्तीस (32) नामोंका एक सौ आठ बार पाठमात्र करनेसे वह सम्पूर्ण भयोंसे मुक्त हो जाता है ।

3- विपत्तिके समय इसके समान भयनाशक उपाय दूसरा नहीं है । देवगण ! इस नाममालाका पाठ करनेवाले मनुष्योंकी कभी कोई हानि नहीं होती । अभक्त . नास्तिक और शठ मनुष्यको इसका उपदेश नहीं देना चाहिये । जो भारी विपत्तिमें पड़नेपर भी इस नामावलीका हजार , दस हजार अथवा लाख बार पाठ स्वयं करता या ब्राह्मणोंसे कराता है , वह सब प्रकारकी आपत्तियोंसे मुक्त हो जाता है ।

4-  सिद्ध अग्निमें मधुमिश्रित सफेद तिलोंसे इन नामोंद्वारा लाख बार हवन करे तो मनुष्य सब विपत्तियोंसे छूट जाता है । इस नाममालाका पुरश्चरण तीस हजारका है । पुरश्चरणपूर्वक पाठ करनेसे मनुष्य इसके द्वारा सम्पूर्ण कार्य सिद्ध कर सकता है ।

5- मेरी सुन्दर मिट्टीकी अष्टभुजा मूर्ति बनावे , आठों भुजाओंमें क्रमशः गदा , खड्ग , त्रिशूल , बाण , धनुष , कमल , खेट ( ढाल ) और मुद्गर धारण करावे । मूर्तिके मस्तकमें चन्द्रमाका चिह्न हो , उसके तीन नेत्र हों , उसे लाल वस्त्र पहनाया गया हो , वह सिंहके कंधेपर सवार हो और शूलसे महिषासुरका वध कर रही हो , इस प्रकारकी प्रतिमा बनाकर नाना प्रकारकी सामग्रियोंसे भक्तिपूर्वक मेरा पूजन करे । मेरे उक्त नामोंसे लाल कनेरके फूल चढ़ाते हुए सौ बार पूजा करे और मन्त्र - जप करते हुए पूए से हवन करे । भाँति भातिक उत्तम पदार्थ भोग लगावे । इस प्रकार करनेसे मनुष्य असाध्य कार्यको भी सिद्ध कर लेता है ।

6-  जो मानव प्रतिदिन मेरा भजन करता है , वह कभी विपत्तिमें नहीं पड़ता

भास एसा कहकर जगदम्बा वहीं अन्तर्धान हो गयीं । दुर्गाजीक इस उपाख्यानको जो सुनते हैं , उनपर कोई विपत्ति नहीं आती ।
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