कौन सा भोजन खाएं? कौन सा भोजन न खाएं? दूषित भोजन की पहचान एवं भोजन के दुष्प्रभाव
Which food to eat? Which food should not be eaten? Identification of contaminated food and side effects of food
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1- भरपूर मात्रा में खाए जाने वाले भोज्य पदार्थ
1- ताजा फल
2- ताजा और हरी सब्जियां
3- गाजर और खजूर
4- गाजर और मेथी का साग
5- बथुआ और दही का रायता
6- दूध के साथ खजूर , मुनक्का , छुआरा , घी , सोंठ , काली मिर्च ,
7- आम और ठण्डा दूध
2- अधिक खाने से शूल -
1- केले अधिक खा लेने से शूल होने पर दो छोटी इलायची खाने से ,2- गन्ना अधिक खा लेने से शूल होने पर चार बेर खाने से ,
3- आम अधिक खा लेने से शूल होने पर दो - चार जामुन खाने से ,
4- जामुन अधिक खा लेने से शूल होने पर एक आम खाने से ,
5- तरबूज अधिक खा लेने से शूल होने पर दो माशे नमक खाने से ,
6- खरबूजा अधिक खा लेने से शूल होने पर चीनी का शर्बत पीने से ,
7- मूली अधिक खा लेने से शूल होने पर गुड़ या मूली के पत्ते खाने से तुरन्त आराम होता है ।
3- मत खाओ ( विरुद्ध भोजन )
1- दूध और मछली का मांस , अन्य मांस , राई , केला , मदिरा , खट्टे पदार्थ ( खट्टा आम , दही , नींबु , करोदा , बेर जामुन , कैथ , खट्टा अनार , आँवला , कांजी , बेल फल ) । मधु ( शाद ) को गर्म दूध में मिलाकर या मधु खाकर गर्म दूध पीना मना है । दूध के साथ सत्तू , हलुआ , सरसों के तेल से बना हुआ पकवान भी नहीं खाना चाहिए ।
2- मछली और गुड़ , मधु , मिठाई
3- घी और मधु ( सम मात्रा में )
4- मद्य और घी
5- सत्तू और मांस
6- खीर और मटठा
7- खीर और खिचड़ी
8- गर्म भोजन और ठण्डा पानी
9- मधु और मूली , चिकने पदार्थ ( घी , तेल , चर्बी ) , गर्म दूध , गर्म जल ।
10- चावल और सिरका
11- कच्चा , अधिक पका हुआ , जला हुआ , विकृत , बासी भोजन
12- मांस और मधु , गुड़ , दूध , दही , सरसों का तेल
13- कांसे के पात्र में 10 दिन से अधिक रखा हुआ घी
14- पानी और तरबूज , ककड़ी , खीरा , घी और तेल के बने पदार्थ ।
4-
विष-दूषित भोजन की पहचान कैसे करें --
हमारे भारतवर्ष में एक बहुत अच्छी परम्परा है कि भोजन से पूर्व थोड़ा सा अंश अग्नि में डाला जाता है और पक्षियों को खिलाया जाता है । ऐसा करने से भोजन में मिले हुए विष का तत्काल पता चल जाता है ।
विषैले अन्न को आग में डालने से आग का रंग मोर की गर्दन के समान हो जाता है । इसका तेज असह्य होता है । ज्वाला फटी हुई अलग - अलग हो जाती है । धूम में तीक्ष्णता रहती है , शीघ्र बुझ जाती है । विषैले भोजन में से दी हुई बलि को खाने से कौवे का स्वर भंग हो जाता है , गाय और मक्खी तत्काल वहीं मर जाती है ; चकोर की आंख की लाली तुरन्त जाती रहती है । विषैले अन्न को देखकर जीव - जीवक तुरन्त मर जाता है , कोयल का स्वर बदल जाता है , क्रौंच को मद चढ़ जाता है , मोर हृष्ट एवं उद्विग्न होता है , तोता और मैना चिल्लाते हैं , हंस ऊंचे स्वर से शब्द करता है , भृगराज कूजता है , चित्तल हरिण आंसू बहाता है , बन्दर का मल निकल जाता है । इसलिए पशु - पक्षियों को घर में पालना अच्छा है । इनमें घर की शोभा होने के साथ - साथ अपनी भी सदा रक्षा होती रहती है ।
कुछ अन्य पहचाने भी हैं , जैसे विष - दूषित मांस में नीली बत्ती के आकार की , दुग्ध में तांबे जैसे रंग की , दही में श्याम रंग की , तक्र में पीली , घृत में पानी जैसे रंग की , शराब और पानी में काली , शहद में.हरी , और तेल में लाल रंग की पंक्ति दीखती है । कच्चे फलों में विष का योग होने से वे पक जाते हैं और पक्के सड़ने लगते हैं ।
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