Saturday 21 March 2020

जानिए कैसे और कब होगा विश्व का अन्त,गीता और शास्त्रों ने की है सटीक भविष्यवाणी

जानिए कैसे और कब होगा विश्व का अन्त?
Know how and when will the end of the world be
गीता और शास्त्रों ने की है सटीक भविष्यवाणी
Gita and scriptures have accurately predicted
World end


Motivational Quotes, Best ,संस्कृत सुभाषितानीसफलता के सूत्र, गायत्री मंत्र का अर्थ आदि शेयर कर रहा हूँ । जो आपको जीवन जीने, समझने और Life में अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्व पूर्ण भूमिका निभाते है,आध्यात्म ज्ञान से सम्बंधित गरूडपुराण के श्लोक,हनुमान चालीसा का अर्थ ,ॐध्वनि किन कर्मों से मिलता है स्वर्ग और नर्क   दान फल व महत्व  इन कामों से घटती है उम्र ॐ का महत्व ॐ ध्वनि के लाभ
गरूडपुराण के रहस्यमय श्लोक आत्मा क्या है

दोस्तों जैसा कि आज कल हम देख रहे है कि सृष्टि विनाश की ओर अग्रसर है, धीरे धीरे नयी बीमारियां उत्पन्न हो रही है।end of the world be in hindi यही विनाश का कारण है।
समय-समय पर टीवी और अख़बारों में दुनिया के सर्वनाश की ख़बरें देखने-सुनने को मिलती रहती है, कई बार, तो लोगों को घर से बाहर कदम न रखने की चेतावनी भी दी जाती है, और कई बार तो ये तक बोल दिया जाता है कि उक्त दिन दुनिया का आख़िरी दिन होगा। हम खौफ मे आ जाते है,कुछ दिन मौत को नजदीक से देखकर जब हालात सामान्य हो जाते है तो फिर भूल जाते है।end of the world be in hindi लेकिन जैसा हम सुनते आए है वैसा आज तक नही हुआ।लेकिन यह मानना आवश्यक होगा कि सभी धर्मों में भी दुनिया के अंत की भवष्यिवाणी की गई है। क्योंकि जिसका जन्म हुआ है उसका मरण भी निश्चित ही है।end of the world be in hind

हिंदू धर्म में ब्रह्म व विष्णु पुराण को लेकर अनकों मान्यताएं प्रचलित हैं। हमारे शास्त्रों ने पुरूफ किया है कि  कलियुग खत्म होने के बाद दुनिया समाप्त हो जाएगी। विष्णु पुराण में ऐसी कई परिस्थियां का वर्णन भी किया गया है, जिनसे साफ़-साफ़ पता चल सकता है कि सृष्टि अपने अंत के करीब है। इस संसार में केवल पानी ही पानी शेष रह जाएगा।
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अगर गरुड़ पुराण की माने तो, जब कलियुग का अंत होगा तो सृष्टि में किस तरह के बदलाव आएंगे। कलियुग, ऐसा चिन्ह जिससे पता चलता है कि सृष्टि का अंत नज़दीक है। जीवन चक्र 4 अवधियों में चलता है। सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग। ऐसा माना जाता है कि हर अवधि को पूरा करने के बाद दुनिया का नाश हो जाता है। end of the world be in hind


धीरे-धीरे विलुप्त हो जाएगा सूर्य

 सूर्य का अन्त तो सब कुछ समाप्त,
Aztecs के अनुसार, एक दिन सूर्य धीरे-धीरे गायब होने लगेगा और उसी दिन से दुनिया का विनाश शुरू हो जाएगा,end of the world be in hind

धरती पर एक साथ दिखेंगे 7 सूर्य

सोचो एक सूर्य से धरती कभी-कभी जलने लगती है,और अगर सात सूर्य एक साथ आए तो क्या होगा। 4600 साल में दुनिया समाप्त हो जाएगी,यही एक निश्चित समय है  जिसके बाद पृथ्वी आग से भस्म  जाएगी।

पाप का घड़ा भरने पर ख़त्म हो जाएगी दुनिया

जी हां दुनियां मे पाप अपनी चरम सीमा पर है, सद्भावना, परोपकार,दया ,प्रेम सब नष्ट हो चुका है।यह भी एक कारण है विनाश का।

कलयुग के अन्त मे होगा भगवान कल्कि का अवतार

जब भगवान कल्कि का अवतार होगा तब मनुष्य अपनी वास्तविक अवस्था से कहीं दूर चला जाएगा। कलयुग के अंत में जिस समय कल्कि अवतार अव‍तरित होंगे उस समय मनुष्य की परम आयु केवल 20 या 30 वर्ष होगी।जिस समय कल्कि अवतार आएंगे। चारों वर्णों के लोग क्षुद्रों (बोने) के समान हो जाएंगे।जीव जन्तु और जानवर भी छोटी छोटी अवस्था में आ जाएगें।  कलियुग के अंत में भयंकर तूफान और भूकंप ही चला करेंगे।  धरती का तीन हाथ अंश अर्थात लगभग साढ़े चार फुट नीचे तक धरती का उपजाऊ अंश नष्ट हो जाएगा। ऐसी ‍स्थिति में धर्म की रक्षा करने के लिए सतगुण स्वीकार करके स्वयं भगवान अवतार ग्रहण करेंगे।

सृष्टि के अन्त के कारण व शास्त्रों की भविष्यवाणी

1- आंशिक प्रलय --

पृथ्वी का अन्त एक तो चौथे युग ( कलियुग ) के अंत में प्रथ्वी पर एकनिकलंक नामक दसवों अवतार आता है , जिसे कल्कि भगवान भी कहा है । वह उस समय ( कलियग ) के सर्व भक्तिहीन मानव शरीर धारी प्राणियों को अपनी तलवार से मार कर समाप्त करेगा,उस समय मानव की उम्र 20 वर्ष की होगी तथा 5 वर्ष खण्ड ( Less ) होगी अर्थात् 15 वर्ष में सब बालक - जवान - वृद्ध होकर मर जाया करेंगे। आप ही अन्दाजा लगाइए क्या कर पाएगा इतनी कम उम्र में केवल पांच वर्ष की लड़की बच्चों को जन्म दिया करेगी ।

मानव कद लगभग डेढ या ढाई फुट का होगा । उस समय इतने भूकंप आया करेंगे कि पृथ्वी पर चार फुट ऊंचे भवन भी नहीं बना पाया करेंगे । सर्व प्राणी धरती में बिल खोद कर रहा करेंगे । पृथ्वी उपजाऊँ नहीं रहेगी । तीन हाथ ( लगभग साढे चार फुट ) नीचे तक जमीन का उपजाऊ तत्त्व समाप्त हो जाएगा । कोई फलदार वृक्ष नहीं होगा तथा पीपल के पेड़ को पत्ते नहीं लगेंगे। जो कि सबसे अधिक आक्सीजन देते है ,सभी मनुष्य ( स्त्री व पुरुष ) मांसाहारी होंगे। जव कुछ खाने को नही मिलेगा तो लोग सांप की तरह अपने ही बच्चों को खाने के लिए मजबूर हो जाएंगें।

आपसी व्यवहार में भी खटास उत्पन्न होने लगेगी । पर्यावरण दूषित होने से वर्षा होनी बंद हो जाएंगी । जैसे ओस पड़ती है ऐसे वर्षा हुआ करेगी। गंगा - जमुना आदि नदियाँ भी सूख जाएगी । यह कलियुग का अंत होगा ।

जब यह महा दृष्य होगा तो उस समय पृथ्वी पर पानी ही पानी होगा । एक दम इतनी वर्षा होगी की सारी पृथ्वी पर सैकड़ों फुट पानी हो जाएगा । अति उच्चे स्थानों पर कुछ मानव शेष रहेंगे । यह पानी सैंकड़ों वर्षों में सूखेगा । फिर सारी पृथ्वी पर जंगल उग जाएगा । पृथ्वी फिर से उपजाऊ हो जाएगी । जंगल ( वृक्षों ) की अधिकता से पर्यावरण फिर शुद्ध हो जाएगा । कुछ व्यक्ति जो भक्ति युक्त होंगे ऊँचे स्थानों पर बचे रह जाएंगे । उनके संतान होगी । वह बहुत ऊँचे कद की होगी । चूंकि वायुमण्डल में वातावरण की शुद्धता होने से शरीर अधिक स्वस्थ हो जायेगा ।

 2- दूसरी आंशिक प्रलय

एक हजार चतुर्युग पश्चात् होती है । तब श्री ब्रह्मा जी का एक दिन समाप्त होता है । इतने ही चतुर्युग तक रात्रि होती है । एक रात्रि तक प्रलय रहती है । वास्तव में श्री ब्रह्मा जी का एक दिन 1008 चतुर्युग होता है , एक ब्रह्मा जी के दिन में चौदह इन्द्रों का शासन काल रा होता है । एक इन्द्र का शासन काल बहतर चौकड़ी युग का होता है ।

एक चौकड़ी ( चतुर्युगी ) में चार युग होते हैं---
1- सतयुग जो 1728000 वर्षों का होता है ।
2- त्रेता युग जो 1296000 वर्षों का होता है ।
3- द्वापर युग जो 864000 वर्षों का होता है ।
4- कलयुग जो 432000 वर्षों का होता है ।

इसी को सीधा एक हजार चतुर्युग कहते हैं । )

जब ब्रह्मा का दिन समाप्त होता है तो पृथ्वी , पाताल व स्वर्ग ( इन्द्र ) लोक के सर्व प्राणी नाश ने प्राप्त होते हैं । प्रलय में विनाश हुए प्राणी ब्रह्म अर्थात् काल जो ब्रह्म लोक में रहता है तथा व्यक्त प से किसी को दर्शन नहीं देता जिसे अव्यक्त मान लिया गया है उस अव्यक्त ( ब्रह्म ) के लोक में चेत करके गुप्त डाल दिए जाते हैं । फिर एक हजार चतुर्युग ( वास्तव में 1008 चतुर्युग की होती है ) ' ब्रह्मा की रात्रि समाप्त होने पर फिर इन तीनों लोकों ( पाताल - पृथ्वी - स्वर्ग लोक ) में उत्पत्ति कर्म रम्भ हो जाता है । उस समय ब्रह्मा , विष्णु , शिव लोक के प्राणी और ब्रह्मलोक ( महास्वर्ग ) के प्राणी बचे रहते है।

विश्व का महाप्रलय --

यह भी तीन प्रकार की होती है--

1- प्रथम महाप्रलय ---

यह काल ( ज्योति निरंजन ) महाकल्प के अंत में करता है जिस समय ब्रह्मा जी की मृत्यु होती है । ब्रह्मा की आयु = ब्रह्मा की रात्रि एक हजार चतुर्युग की होती है तथा इतना ही दिन होता है । तीस दिन - रात्रि का एक महिना , 12 महिनों का एक वर्ष , सौ वर्ष का एक ब्रह्मा का जीवन । यह एक महाकल्प कहलाता है । )


2- दूसरी महाप्रलय---

सात ब्रह्मा जी की मृत्यु के बाद एक विष्णु जी की मृत्यु होती है , सात विष्णु जी की मृत्यु के उपरान्त एक शिव की मृत्यु होती है । इसे दिव्य महाकल्प कहते हैं उसमें ब्रह्मा , विष्णु , शिव सहित इनके लोकों के प्राणी तथा स्वर्ग लोक , पाताल लोक , मृत्यु लोक आदि में अन्य रचना तथा उनके प्राणी नष्ट हो जाते हैं । उस समय केवल ब्रह्मलोक बचता है जिसमें यह काल भगवान ( ज्योति निरंजन ) तथा दुर्गा तीन रूपों महाब्रह्मा - महासावित्री , महाविष्णु - महालक्ष्मी और महाशंकर महादेवी ( पार्वती ) के रूप , में तीन लोक बना कर रहता है । इसी ब्रह्मलोक में एक महास्वर्ग बना है , उसमें चौथी मुक्ति प्राप्त प्राणी रहते हैं । [ मार्कण्डेय , रूमी ऋषि जैसी आत्मा जो चौथी मुक्ति प्राप्त हैं जिन्हें ब्रह्म लीन कहा जाता है ।

3- तीसरी महाप्रलय --

एक ब्रह्मण्ड में 70000 वार त्रिलोकिय शिव ( काल के तमोगुण पुत्र ) की मृत्यु हो जाती है तब एक ब्रह्मण्ड की प्रलय होती है तथा ब्रह्मलोक में तीनों स्थानों पर रहने वाला काल ( महाशिव ) अपना महाशिव वाला शरीर भी त्याग देता है । इस प्रकार यह एक ब्रह्मण्ड की प्रलय अर्थात् तीसरी महाप्रलय हुई तथा उस समय एक ब्रह्मलोकिय शिव ( काल ) की मृत्यु हुई तथा 70000 ( सतर हजार ) त्रिलोकिय शिव ( काल के पुत्र ) की मृत्यु हुई अर्थात् एक ब्रह्मण्ड में बने ब्रह्म लोक सहित सर्व लोकों के प्राणी विनाश में आते हैं । इस समय को परब्रह्म अर्थात अक्षर पुरूष का एक युग कहते हैं ।
इस प्रकार गीता अध्याय 8 श्लोक 16 का भावार्थ समझना चाहिए ।

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