Sunday 9 October 2022

Maha Mrityunjaya Mantra Benifits महा मृत्युन्जय मंत्र विधि-नियम,अर्थ,रहस्य,फायदे एवं सम्पूर्ण अध्ययन

Maha Mrityunjaya Mantra  Benifits महा मृत्युन्जय मंत्र विधि-नियम,अर्थ,रहस्य,फायदे एवं सम्पूर्ण अध्ययन

जय श्रीकृष्ण दोस्तों हमारे धर्म में "महामृत्युंजय मंत्र" विशेष महत्व बताया गया है। इसके जाप मात्र से व्यक्ति "घोर अकाल मृत्यु से"  भी वापस आ जाता है। माना यह भी जाता है कि इस मंत्र के जाप से असाद्य यानी बड़ा से बड़ा रोग भी सही हो जाता है। व्यक्ति की आर्थिक स्थिति सुधर जाती है।इस मंत्र का जाप अत्यंत लाभप्रद होता है। महामृत्युंजय मंत्र के जाप से मनुष्य के जीवन के कई व्याधियों, दुखों, संकटों को दूर कर सकते हैं। 

हमारे भारत मे ही नहीं अपितु पूरा विश्व All Ward  इस महा शक्तिशाली मंत्र से प्रभावित है। तभी तो अभी तक लगभग सभी लोगों की आस्था इस मंत्र से जुडी हुयी है। इस महा शक्तिशाली मंत्र पर पूरा विश्व रिसर्च कर रहा बै यह हम भारतीयों के लिए गर्व की बात है। इसीलिए तो इस मंत्र में कयी वैज्ञानिक तथा आध्यात्मिक रहस्य छिपे हुए है।

आइए जानतें हैं इस महा मृत्युन्जय का मंत्र व अर्थ......

महा मृत्युन्जय मंत्र  Mantraof Maha Mrityunjaya......

" ॐ हौं जूं स: ॐ भूर्भुव: स्व: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्व: भुव: भू: ॐ स: जूं हौं ॐ !!"

महा मृत्युन्जय मंत्र का अर्थ Mantra and meaning of Maha Mrityunjaya..........

दोस्तों इस महा मृत्युंजय मंत्र को शिव का स्वरूप माना जाता है...अर्थात हम उस महाकाल वासी भगवान शिव की आराधना करते है। जो अपनी दिव्य शक्तियों  से हमें,तारण कराते है और इस संसार का पालन -पोषण करते है। उनसे हम प्रार्थना करते हैं कि हे भोले नाथ हमें इस जन्म -मृत्यु के बंधन से मुक्त कर दो, और हमें मोक्ष प्रदान करो।  जिस प्रकार से कोई फल वृक्ष से पूर्णतःपक जाने के बाद अपने आप ही वृक्ष से आज़ाद होकर जमीन पर गिर जाता है।

हे भोलेनाथ! ठीक उसी प्रकार हमें भी इस जंजाल रुपी सांसारिक जीवन से जन्म -मृत्यु के सभी बन्धनों से मुक्ति प्रदान कर मोक्ष प्रदान करने की कृपा करें। 

आखिर क्यों करते है मृत्युन्जय मंत्र  का जाप.....

दोस्तों इस मंत्र में अनेकों दिव्य शक्तियां मौजूद है, और इसके नियम भी आसान नहीं है।.... इस मंत्र का जाप विशेष फल प्राप्ति के लिए तथा संकट के समय में किया जा ता है...।

जैसे...."अकाल मृत्यु में, महा रोग में, गृह बाधा में,  प्रॉपर्टी विवाद में, गृह क्लेश में, सजा, रूपये, परिवार संकट में "भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इस महा मंत्र का जाप किया जाता है।

महा मृत्युन्जय मंत्र किस कार्य के लिए कितनी बार जप करना चाहिए एवं फायदे..........

वैसे तो दोस्तों इस मंत्र में इतनी शक्ति है कि यह सर्वभौतिक तथा आध्यात्मिक सुखों की प्राप्ति करा सकता है।

"लेकिन कुछ सर्वश्रेष्ठ अचूक लाभ है जो इस प्रकार से है....

1. अकाल मृत्यु से बचने के लिए, पुत्र प्राप्ति तथा उन्नति हासिल करने के लिए इस मंत्र  का "सवा लाख मंत्र जाप" करना अनिवार्य है, तभी फल की प्राप्ति होती है। 

2. संकोच, भय आदि से निवृत्ति हेतु "1100 मंत्र जाप" अनिवार्य है।

3. मनवांछित फल प्राप्ति हेतु व्यक्ति श्रद्धा और विश्वास के साथ नित्य इस मंत्र का "108 मंत्र जाप" कर सकता है।

4. रोग, व्याधि, दुखों से मुक्ति पाने हेतु "11000 मंत्र जाप " करना अनिवार्य है। 

5. सबसे महत्वपूर्ण यह है कि इस महा मंत्र का पूजन जप अनुष्ठान "शास्त्रसमत ही होना चाहिए तथा योग्य ब्राह्मणों के द्वार शुद्ध उच्चारण के साथ होना अनिवार्य है अन्यथा इस विपरीत परिणाम भी निकल सकता है।

महा मृत्युन्जय मंत्र जाप विधि व नियम.....

 वैसे तो हर किसी मंत्रोच्चारण के विए नीति नियम का जरूरी है, लेकिन इस महा मंत्र के लिए तो नियम बेहद ही जरूरी है। यह मंत्र जाप सोमवार से शुरू करते है और रूद्राक्ष की माला पर सुबह 12 बजे से पहले ही करना चाहिए।  शास्त्रों में मान्यता है कि  दिन में 12 बजे के बाद इस मंत्र का कोई फल नहीं मिलता है। और अंत में हवन करना भी अनिवार्य है, यह मंत्र जाप रोग,व्याधि, कोर्ट कचहरी,पुत्र कामना,अकाल मृत्यु से बचने के लिए, सर्वबाधा हरने के लिए, वर-वधू मेलापक दोष, ग्रह पीडा, गृहबाधा, धन-हानि हेतु विकट परिस्थितियो में किया जाता है।

आइए जानते हैं क्या है महा मृत्युन्जय मंत्र जाप के खास नियम.....

1. महा मृत्युन्जय मंत्र भगवान भोलेनाथ को समर्पित है और ये देवता प्रसन्न होने पर सबकुछ दे देते है और क्रुद्ध होने पर सबकुछ छीन भी लेते है।इसीलिए इस मंत्र का उच्चारण आंतरिक व बाह्य शरीर तन मन से होकर ही करना चाहिए ।

2. महा मृत्युन्जय मंत्र का "पुरश्चरण सवा लाख मंत्र " है, और लघु मृत्युन्जय मंत्र की संख्या  11 लाख है।

3. मंत्रोच्चार शुद्ध व पूर्ण रूप से होना चाहिए। 

4. मृत्युन्जय मंत्र जाप करते समय ध्यान एकाग्रचित होना चाहिए तथा माला गोमुखी के अंदर ढकी होनी चाहिए। 

5. महा मृत्युन्जय मंत्र का जाप 108 दानो की माला से ही होनी चाहिए क्योंकि संख्याहीन मंत्र जाप का कोई फल प्राप्त नहीं होता है। और इस मंत्र का बाह्य रूप से नहीं बल्कि आंतरिक मन में होना चाहिए तभी पूर्ण फल की प्राप्ति होती है। 

6. मृत्युन्जय मंत्र का जाप हमेशा "कुशासन पर बैठकर" ही करना चाहिए लेकिन सम्भव न हो तो स्वच्छ आसन पर बैठकर ही जपना चाहिए। 

7. मृत्युन्जय मंत्र का जाप करते समय शिव लिंग, मूर्ति, चित्र या अन्य कोई एक माध्यम सामने होना अनिवार्य है ।

8.मृत्युन्जय मंत्र का जाप करते समय सभी का मुंह "पूर्व दिशा की  ओर हो" और ध्यान रहे कि इस समय आलस या ऊबासी या नींद नहीं आनी चाहिए अन्यथा ईष्ट फल की प्राप्ति नहीं हो पाती है।

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