हिन्दी के अनोखे एवं विशेष अर्थ वाले संख्यावाची शब्द
Numerical words with unique and special meaning in Hindi
हिन्दी भाषा में कुछ शब्द ऐसे भी है, जो विशेषार्थ के लिए प्राचीन कवियों द्वारा प्रयोग में व
लाए गए हैं। उनके अर्थ ध्यान में रखने चाहिए । कहीं उनका प्रयोग हो तो अर्थ एवं भाव-ग्रहण में आसानी होती ।
सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण प्रश्न, ctet,utet,upet,,ssc,समूह ग,आदि परीक्षाओं में सफलता दिलाने वाले प्रश्न हिन्दी व्याकरण से सम्बन्धित अन्य भी लेख है, इस ब्लॉग पर हिन्दी व्याकरण रस,और सन्धि प्रकरण, तथा हिन्दी अलंकारMotivational Quotes, Best Shayari, WhatsApp Status in Hindi के साथ-साथ और भी कई प्रकार के Hindi Quotes ,संस्कृत सुभाषितानी, सफलता के सूत्र, गायत्री मंत्र का अर्थ आदि शेयर कर रहा हूँ । जो आपको जीवन जीने, समझने और Life में अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्व पूर्ण भूमिका निभाते है,आध्यात्म ज्ञान से सम्बंधित गरूडपुराण के श्लोक,हनुमान चालीसा का अर्थ ,ॐध्वनि, आदि कई GAYN SADHANA.COM मे है,
● एक = ईश्वर, चन्द्र , सूर्य , पृथ्वी , गणेश का दाँत , शुक्राचार्य का नेत्र।
● दो = दो(उभय) पक्ष - कृष्ण पक्ष एवं शुक्ल पक्ष।
● दो मार्ग = प्रवृत्ति मार्ग , निवृत्तिमार्ग।
● दो अयन = दक्षिणायन , उत्तरायण ।
● दो उपासना = निर्गुण , सगुण ।
● दो विद्या = परा विद्या , अपरा विद्या ।
● तीन लोक = मृत्युलोक , आकाश , पाताल ।
● तीन देव = ब्रह्मा , विष्णु , महेश ।
● तीन गुण = सत्त्वगुण , रजोगुण , तमोगुण ।
● तीन ऋण = पितृऋण , ऋषिऋण , देवऋण ।
● तीन काल = भूत , वर्तमान , भविष्यत् ।
● तीन आग = जठरानल , वड़वानल , दावानल ।
●तीन दोष = वात , पित्त , कफ़ ।
● तीन ताप = दैहिक , दैविक , भौतिक।
● तीन अवस्थाएँ = बाल्यावस्था , युवावस्था , वृद्धावस्था ।
● तीन कर्म = संचित , प्रालब्ध , क्रियमाण ।
● तीन दिव्य पदार्थ = ब्रह्म , जीव , प्रकृति ।
● तीन वायु = शीतल , मन्द , सुगंध।
● तीन जीव = थलचर , जलचर , नमचर।
● तीन वेदकांड = कर्मकाण्ड , ज्ञानकाण्ड , उपासनाकांड।
● तीन राम = परशुराम , राम , बलराम।
● चार वेद = ऋग्वेद , यजुर्वेद , सामवेद , अथर्ववेद ।
● चार उपवेद ' = आयुर्वेद , गान्धर्ववेद , स्थापर्य ,अर्थवेद।
● चार ब्राह्मण ग्रन्थ = ऐतरेय , कौशीतकी , तैत्तिरीय , शतपथ ।
● चार आश्रम = ब्रहमचर्य , गृहस्थ , वानप्रस्थ , संन्यास ।
● चार वर्ण = ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य , शूद्र ।
● चार अवस्थाएँ = जाग्रत , स्वप्न , सषप्ति , तुरीयावस्था ।
● चार देवता = मातृ , पितृ , आचार्य , अतिथि।
● चार अंग = साम , दाम , दंड , भेद।
● चार युग = सतयुग , त्रेता , द्वापर , कलियुग।
● चार फल = धर्म , अर्थ , काम , मोक्ष ।
● चार दिशाएँ = पूर्व , पश्चिम , उत्तर , दक्षिण।
● चतुः सृष्टि = जरायुज , अण्डज , स्वेदज , उभिज्ज।
● चार धाम = रामेश्वर , द्वारका , बद्रीनाथ , जगन्नाथ ।
● चतुरंगिणी सेना = गजसेना , अश्वसेना . रथी , पदाति।
● पंचगव्य = दूध , दही , घी , गोबर , गोमूत्र।
● पंच तत्व = पृथ्वी , जल , अग्नि , वायु , आकाश।
● पांच ज्ञानेन्द्रियां = आँख , कान , नाक , जिह्वा , त्वचा।
● पाँच कमेन्द्रियों = मुख , हस्त , पाद , गुदा , लिंग ।
● प्रचामृत = दुग्ध , दधि , घृत , मधु , शर्करा।
● पंच कन्या = अहल्या , द्रौपदी , तारा , कुन्ती , मन्दोदरी ।
● पंच रत्न = स्वर्ण , मुक्ता , हीरक , लाल , नीलम ।
● पंच यम = अहिंसा , सत्य , अस्तेय , ब्रह्मचर्य , इन्द्रियनिग्रह।
● पाँच नियम = शौच , संतोष , तप , स्वाध्याय , ईश्वर , प्रणिधान।
● पाँच यज्ञ = ब्रह्मयज्ञ , देवयज्ञ , भूतयज्ञ , पितृयज्ञ , अतिथियज्ञ ।
● पाँच कोष = अन्नमय , मनोमय , प्राणमय , आनंदमय , विज्ञानमय।
● पांच बाण = मोहित , मस्त , तपन , शुष्क , शिघित ।
● पंचवटी = पीपल , बेल , बड़ , हरड़ , अशोक ।
● पाँच लक्षण = काकचेष्टा , बकध्यान , श्वाननिद्रा , अल्पाहार , गृहत्याग ।
● पाँच शत्रु = काम , क्रोध , लोभ , मोह , अहंकार ।
● पंच माता = अम्बा , आचार्य - पत्नी , सास , राजपत्नी , मातृभूमि।
● पंच प्राण = प्राण , अपान , समान , व्यान , उदान ।
● षट् वेदान्त = शिक्षा , कल्प , व्याकरण , निरुक्त , छन्द , ज्योतिष
● षड्दर्शन = न्याय , वैशेषिक , योग , सांख्य , मीमांसा , वेदान्त ।
● षड रस = मधुर , अम्ल , लवण , कटु , तिक्त , कषाय ।
● षड ऋतु = हेमन्त , शिशिर , बसन्त , ग्रीष्म , वर्षा , शरद।
● षट् जीव गुण = ईर्ष्या , द्वेष , प्रयत्न , सुख , दुःख , ज्ञान ।
● षट् घोर दःख = गर्भ - दुःख , जन्म - दुःख , रोग - दुःख , जरा - दुःख , बुभुक्षा , मरण - दुःख।
● सप्तवासर = सोम , मंगल , बुध , बृहस्पति , शुक्र , शनि , रवि ।
● सप्तस्वर = षड्ज , ऋषभ , गांधार , मध्यम , पंचम , धैवत , निषाद सप्तद्वीप : जम्बू , प्लक्ष , कुश , शाल्मली , कौंच , शाक , पुष्कर।
● सप्तसागर = क्षीर , दधि , घृत , इक्षु , मधु , मदिरा , लवण ।
● सप्तर्षि = गौतम , भारद्वाज , विश्वामित्र , जमदग्नि , वशिष्ठ , कश्यप , अत्रि ।
● अष्टसिद्धि = अणिमा , महिमा , लघिमा , गरिमा , प्राप्ति , प्राकाम्य , ईशित्व , वशित्व ।
● आठ लक्षण = साहस , अनृत , चपलता , माया , भय , अविवेक , अशौच . निर्दयता ।
● अष्टांग योग = यम , नियम , आसन , प्राणायाम , प्रत्याहार , धारणा , ध्यान , समाधि ।
● अष्टधातु = स्वर्ण , रजत , ताम्र , सीसक ( सीसा ) , कांस्य , रांगा।
● अष्टछाप कवि = सूरदास , कृष्णदास , नन्ददास , परमानन्ददास , कुंभनदास , चतुर्भुजस्वार्म छीतस्वामी , गोविन्ददास ।
● अष्टविवाह = ब्राह्म , देव , आर्ष , प्रजापत्य , आसुर , पैशाच , गान्धर्व , स्वयंवर ।
● आठ वसु = आदित्य , चन्द्र , नक्षत्र , पृथ्वी , जल , अग्नि , वायु , आकाश ।
● नवधाभक्ति = श्रवण , कीर्तन , स्मरण , पाद - सेवन , अर्चन , वन्दन , सख्य , दास्य , आ निवेदन ।
● नवरत्न = हीरक , माणिक्य , पुखराज , पन्ना , मोती , गोमेद , मूंगा , लहसुनिया , नीलम ।
● नवग्रह = सूर्य , चन्द्र , मंगल , बुध , बृहस्पति , शुक्र , शनि , राहु , केतु।
● नवरस = शृंगार , करुण , हाम्य , रौद्र , वीर , भयानक , बीभत्स , अद्भुत , शान्त ।
● नवनिधि = पद्म , महापद्म , शंख , मकर , कच्छप , मुकुन्द , कुंद , नील , खर्व ।
● दस लक्षण ( धर्म ) = धैर्य , क्षमा , दम , अम्तेय . शौच , इन्द्रियनिग्रह , बुद्धि , विद्या , सत्य , अक्रोध ।
● दस दिग्पाल = गरुडध्वज , गोविन्द , अग्नि , पवन , ईश , राक्षस , यक्ष , सुरपति , धनद , वारण ।
● दस दिशाएँ = पूर्व , पश्चिम , उत्तर . दक्षिण , ईशान , नैऋत्य , वायव्य , आग्नेय , उपरि ,अधः ।
● दस अवतार = मत्स्य , कूर्म , वराह , नरसिंह , वामन , परशुराम , राम , कृष्ण , बुद्ध , कल्कि ।
● ग्यारह रुद्र = प्राण , अपान , समान , व्यान , उदान , नाग , कूर्म , कृकल , देवदत्त , धनंजय , आत्मा ।
● बारह राशियों = मेष , वृष , मिथुन , कर्क , सिंह , कन्या , तुला , वृश्चिक , धनु , मकर , कुम्भ , मीन।
● बारह आदित्य = दिव , बृहद्भान , रवि , चक्षु , ऋचीक , भानु , विभावसु , अर्क , आज्ञा . वह सविता , आत्मा , सद्यः ।
● बारह भूषण = नूपुर , किंकिणी , हार , नथ , चूड़ी , मुद्रिका , शीशफूल , बिंदी , कंकन , कंठश्री . बाजूबन्द , टीका ।
● तेरह उपनिषद् = ईश , केन , कठ , प्रश्न , मुण्डक , माण्डूक्य , ऐतरेय , तैत्तिरीय , छान्दोग्य , बृहदारण्यक , कौशीतकी , मैत्रायणी , श्वेताश्वतर ।
● चौदह लोक = तल , अतल , वितल , सुतल , तलातल , रसातल , पाताल , भूलोक , भवर्लोक, स्वर्लोक , महर्लोक , जनलोक , तपलोक , सत्यलोक ।
● चौदह विद्या = ब्रह्म ज्ञान , रसायन , श्रुति , वैदिक , ज्योतिष , व्याकरण , धनुर्विद्या , जल तरंग , संगीत , नाटक , घुड़सवारी , कोकशास्त्र , चौर्य , चातुर्य ।
● चौदह रल = श्री . रम्भा , विष , वारुणी , अमृत , शंख , ऐरावत , धनुष , धन्वन्तरि , कामधेनु , कल्पवृक्ष , चन्द्रमा , उच्चैःश्रवा , कौस्तुभमणि ।
● पन्द्रह तिथियाँ = प्रतिपदा , द्वितीया , तृतीया , चतुर्थी , पंचमी , षष्ठी , सप्तमी , अष्टमी , नवमी , दशमी , एकादशी , द्वादशी , त्रयोदशी , चतुर्दशी , अमावस्या या पूर्णिमा ।
● सोलह संस्कार = गर्भाधान , पुंसवन , सीमन्तोन्नयन , जातकर्म , नामकरण , निष्क्रमण , अन्नप्राशन , अन्त्येष्टि ,चूडाकर्म , कर्णवेध , उपनयन , वेदारम्भ , विवाह . समावर्तन , वानप्रस्थ , संन्यास।
● सोलह शृंगार = अंगशीच , मज्जन ( स्नान ) , दिव्यवस्त्र , महावर . केश , माँग , ठोड़ी , मस्तक , मेंहदी , उबटन , भूषण , सुगन्ध , मुखराग , दन्तराग , अधरराग , काजल ।
● सोलह उपचार = आवाहन , स्थापन , पाद्य , सिंहासन , अर्घ्य , आचमन , स्नान , चन्दन पुष्प , दीपक , धूप , नैवेद्य , ताम्बूल , प्रदक्षिणा . नमस्कार , आरती ।
● अट्ठारह पुराण = ब्रह्म , पद्म , विष्ण , शिव . भागवत . नारदीय . मार्कण्डेय , आग्न , ' ब्रह्मवैवर्त , लिंग , वराह , स्कन्द , वामन , कर्म , मत्स्य , गरुड़ , ब्रह्माण्ड ।
● चौबीस अवतार = सनत्कुमार , वाराह , नारद , नरनारायण , कपिल , दत्तात्रेय ,यज्ञपुरूष,ऋषभ, पृथु , मत्स्य , कूर्म , धन्वन्तरि , मोहिनी . नसिंह , वामन , परशुराम , व्यास,हंस, कृष्ण , हयग्रीव , हरि , बुद्ध , कल्कि ।
● सत्ताईस नक्षत्र = अश्विनी , भरणी , कृत्तिका , रोहिणी . मगशिर , आर्द्रा , पुनर्वसु , पुष्य , मघा , पूर्वाफाल्गुनी , उत्तराफाल्गनी , हस्त , चित्रा , स्वाति , विशाखा , ज्येष्ठा , मूल , पूर्वाषाढ , उत्तराषाढ , श्रवण , घनिष्ठा ,शतविषा, पूर्वाभाद्रपद ,उत्तराभाद्रपद, रेवती।
● अक्षौहिणी सेना = ऐसी सेना जिसमें - 109 , 350 पदाति , 65 , 610 अश्वारोही , 31 , 870 रथी और 11 , 870 गजारोही हो ।
● चौरासी लाख योनियाँ =
4 लाख मनुष्य योनियाँ
9 लाख जलचर योनियाँ और नभचर।
11 लाख कृमियोनियाँ ।
23 लाख पशुयोनियाँ + 37 लाख स्थावर योनियाँ।
कुल 84 लाख योनियाँ
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